…. और भारत फेल (खेल) महाशक्ति बन गया
- वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) की ताज़ा रिपोर्ट पर नज़र डालें तो अपना देश नशाखोरी (डोपिंग) में विश्व रिकॉर्ड बना चुका है
- रिपोर्ट के अनुसार बीते साल लिए गए मूत्र और खून के नमूनों में से 260 पॉजिटिव रहे हैं जो कि भारतीय खिलाड़ियों के भटकाव की पोल खोलते हैं
राजेंद्र सजवान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को खेल महाशक्ति बनाने के लिए प्रयासरत हैं l खेल मंत्री और सरकारी तंत्र बार-बार खेलों को बढ़ावा देने की बात करते हैं लेकिन वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) की ताज़ा रिपोर्ट पर नज़र डालें तो अपना देश नशाखोरी (डोपिंग) में विश्व रिकॉर्ड बना चुका है l दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश खेलों में भले ही फिसड्डी है लेकिन डोप टेस्ट के ताज़ा आंकड़े भारत की खेल प्रगति की असली पोल खोलते हैं। रिपोर्ट के अनुसार बीते साल लिए गए मूत्र और खून के नमूनों में से 260 पॉजिटिव रहे हैं जो कि भारतीय खिलाड़ियों के भटकाव की पोल खोलते हैं। हैरानी वाली बात यह है कि भारतीय खेलों के कर्णधार देश के खेलों, खेल संघो के अधिकारियों, खिलाड़ियों और अन्य दोषियों के काले कारनामों को उजागर करने की बजाय लगातार झूठ परोस रहे हैं।

सवाल यह पैदा होता है कि हम किस आधार पर खेल महाशक्ति बनने का आदम भर रहे हैं? दावा करने वाले अपनी गिरेबाँ में झांकने का प्रयास क्यों नहीं करते? फिलहाल, भारत दुनिया के सबसे बदनाम और नशाखोर (डोपिंग) देशों की कतार में पहले नंबर पर खड़ा हैं। नशाखोर (डोपिंग) खिलाड़ी ना सिर्फ अपने जीवन और देश के मान-सम्मान से खेल रहे हैं बल्कि देश की खेल प्रगति की पोल भी खोल रहे है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ असफल और कमजोर खिलाड़ी ही डोपिंग कर रहे हैं, कई अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ी भी पकड़े गए हैं। ऐसे खिलाड़ी भावी पीढ़ी को गलत मैसेज दे रहे हैं। उनको सजा मिलती है लेकिन पदक के भूखे और फिसड्डी, एथलीट, पहलवान, मुक्केबाज, तैराक, जिम्नास्ट, जूडोका और कराटेबाज, वेटलिफ्टर और अन्य खिलाड़ी नशाखोरी का शॉर्टकट अपना कर देश का नाम ख़राब कर रहे हैं।

बेशक़, खिलाड़ी शॉर्टकट अपना कर जीतना चाहते हैं, नाम और पैसा कमाना चाहते हैं, नौकरी पा रहे हैं। उनकी इस हसरत को पूरा करने में देश के भ्रष्ट कोच भी बखूबी सहयोग कर रहे हैं। इसलिए क्योंकि खिलाड़ी की क़ामयाबी का पुरस्कार उन्हें भी मिलता है। देश के कई नामी खिलाड़ी और उनके कोच रातों रात नाम-सम्मान पाने के लालच से प्रतिबंधित दवाओं के सेवन से देश के खेलों को बर्बाद कर रहे हैं लेकिन देश का सरकारी तंत्र खामोश बैठा है। नशाखोर खिलाड़ियों और भ्रष्ट सपोर्ट स्टाफ की शर्मनाक हरकतों को नज़रअंदाज कर खेल महाशक्ति बनने का ख्वाब देख रहा है l मुंगेरी लाल का हसीन सपना देख रहा है।
ऐसा नहीं है कि बाकी देश दूध के धुले हैं l लेकिन उनका खेल विज्ञान बड़े से बड़े नशाखोरों के पाप धोने में सक्षम है l रूस, जर्मनी, अमेरिका, फ़्रांस, ऑस्ट्रेलिया, चीन आदि देश भी डोप सेवन में कमतर नहीं हैं लेकिन उनका विज्ञान और उच्च तकनीक भारत के अपढ़, गँवार कोचों और दोयम दर्जे के विज्ञान से कहीं ऊपर है l फिलहाल भारत के खेल कर्णधारों को बधाई l डोप सेवन में तो नंबर एक बने हैं l
