टीम खेलों की एकमात्र उम्मीद कौन सा खेल है?
- भारतीय नजरिये की बात करें तो हॉकी अघोषित राष्ट्रीय खेल होने के साथ-साथ ओलम्पिक की बड़ी उम्मीद के रूप में जाना-पहचाना जाता है
- लॉस एंजेलस ओलम्पिक 2028 में देश को कोई पदक दिला सकता है, वो क्रिकेट हैं जो पहली बार सालों बाद ओलम्पिक का हिस्सा बनने जा रहा है
राजेंद्र सजवान
कुछ लोकप्रिय टीम खेलों में फुटबॉल शायद सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला और नंबर एक खेल है। फुटबॉल के अलावा बास्केटबॉल, हॉकी, रग्बी, बेसबॉल, हैंडबॉल, आइस हॉकी और वॉलीबॉल भी खासे लोकप्रिय हैं। लेकिन इन सभी खेलों में हम पूरी तरह फेल हैं। भारतीय नजरिये की बात करें तो हॉकी अघोषित राष्ट्रीय खेल होने के साथ-साथ ओलम्पिक की बड़ी उम्मीद के रूप में जाना-पहचाना जाता है। यही एक खेल है जिसने वर्षों तक भारत की पहचान बचाए रखी है। लेकिन हाल में ही खेले गए एफआईएच प्रो-लीग में भारतीय महिलाओं और पुरुषों ने जैसा निंदनीय प्रदर्शन किया है, उसे देखते हुए एक बेहद भयावह तस्वीर बनती नजर आ रही है।
हालांकि भारतीय महिला हॉकी ने कहीं कोई बड़ा तीर नहीं चलाया लेकिन सालों पहले एशियाड और कॉमनवेल्थ गेम्स की सफलता ने महिला हॉकी को भविष्य की उम्मीद के रूप में स्थापित किया था। यह गलतफहमी अब धीरे-धीरे दूर हो रही है। एफआईएच प्रो-लीग में टॉप टीमों से हुई पिटाई के बाद देश में हॉकी की वापसी की उम्मीद सिर्फ छलावा नजर आने लगी है। लगातार पांच-सात मैच हारने वाली महिला और पुरुष टीमों को लेकर अब तरह-तरह की बातें शुरू हो गई हैं। कोच और खिलाड़ियों को लेकर बुरा भला कहा जा रहा है। जो हॉकी प्रेमी लगातार दो ओलम्पिक कांस्य जीतने वाली पुरुष टीम को सिर माथे बिठा रहे थे उनका भरोसा टूट रहा है। महिलाओं से तो वापसी का भ्रम पहले ही टूट चुका था।
पुरुष टीम का फ्लॉप शो देखने के बाद आम भारतीय खेल प्रेमी हैरान-परेशान है। हॉकी नहीं तो किस टीम खेल में देश को ओलम्पिक पदक दिलाने का दम है? शायद एक भी नजर नहीं आता। लेकिन एक खेल है, जो कि 2028 के लॉस एंजेलस ओलम्पिक में देश को कोई पदक दिला सकता है। जी हां, यह खेल पहली बार सालों बाद ओलम्पिक का हिस्सा बनने जा रहा है। यह खेल क्रिकेट है, जिसने लोकप्रियता की तमाम सीमाएं लांघकर ओलम्पिक में शामिल होने का हक पाया है। बेशक, टीम खेलों में क्रिकेट सबसे ऊपर के पायेदान पर खड़ा है और जिसकी लोकप्रियता सातवें आसमान तक है। बाकी भारतीय खेल क्रिकेट के सामने बहुत बौने नजर आने लगे हैं। क्या ओलम्पिक आयोजन का दम भरने वाले अपनी गिरेबां में झाँक कर देखना चाहेंगे?