June 16, 2025

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बार-बार चोटिल होने, उबरने और सफल होने की कहानी है प्रीति लांबा

अजय नैथानी

कहते हैं कि हर पुरुष की कामयाबी के पीछे किसी महिला का हाथ होता है, लेकिन कई बार एक सफल महिला के पीछे किसी पुरुष का समर्थन होता है। ऐसा ही कुछ कहानी प्रीति लांबा की सफलता की है। चोटों ने बार-बार इस 3000 मीटर स्टीपलचेज रनर के खेल जीवन को खतरे में डाला लेकिन 2023 एशियाई खेलों की कांस्य पदक विजेता ने हर बार विषम परिस्थितियों को चुनौती दी और मुसीबतों पर पार पाकर हर बार कामयाबी हासिल की। उनकी सबसे हालिया सफलता वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन में आई, जब उन्होंने रविवार को दौड़ के दौरान अपनी पेट की समस्या पर पार पाकर पोडियम फिनिश किया। वह भारतीय एलीट महिला वर्ग में तीसरे स्थान पर रहीं।

  • टखने की चोट ने बार-बार चुनौती दी और हर बार विजय हुई

प्रीति को दाहिने पैर के टखने की चोट लगातार परेशान करती रही है, जो कि पहली बार 2016 में वाटर जम्प के दौरान लगी थी और टखने में फ्रैक्चर के कारण उन्हें सर्जरी करनी पड़ी और टूटी हड्डी को जोड़ने रॉड डालनी पड़ी। उन्होंने बताया, “साल 2016 में ट्रेनिंग के दौरान मुझे वाटर जम्प करने के दौरान पैर फिसलने से मेरा टखना मुड़ गया था और फ्रैक्चर हो गया, जिस कारण सर्जरी करना पड़ी और टखने में रॉड डालनी पड़ी। उसके बाद मुझे लगा रहा था कि मेरा खेल करियर समाप्त हो गया। क्योंकि उस इंजरी के बाद एक-दो साल के लिए पैरों पर ब्रेक गया। उसके बाद घर लौट गई जहां मेरे माता-पिता हौसला बढ़ाते रहे।” वह आगे बताती हैं, “माता-पिता की हौसलाफजाई से मैंने बेंगलुरू साई में फिर से दौड़ने का फैसला लिया। उसके बाद नवंबर 2017 को मैंने रेलवे में नौकरी पा ली थी और 2018 में नेशनल चैंपियनशिप का मेडल भी जीत लिया था और 2019 में भी फिर से मेडल जीता था।” उन्होंने कहा, “टखने पर ज्यादा दबाव पड़ने पर यह चोट अकसर परेशान करती हैं। कई बार मुझे इसके खिंचाव से उबरने अलग से प्रयास करने पड़ते हैं।”

  • एशियन गेम्स ब्रॉन्ज मेडल में पति की भूमिका

बार-बार की चोटों के कारण एक समय प्रीति का रनिंग करियर लगभग समाप्त होता नजर आ रहा है लेकिन पहले परिवार और फिर शादी के बाद उनके पति विकी तोमर ने प्रेरित किया और 2023 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 3000 मीटर स्टीपलचेज रनर बताती है, “जब रनिंग करियर पर ब्रेक लग गया और कोविड आ गई तो मैंने 2020 में शादी कर ली, क्योंकि कुछ सालों के लिए खेल छूट चुका था।” उन्होंने कहा, “2022 तक मैं फिट थी लेकिन फिर से वही इंजरी सामने आ गई। इसके बाद मुझे लगा कि एशियन गेम्स का मौका निकल जाएगा। लेकिन मेरे पति विकी तोमर ही थे, जिन्होंने उन्हें पेशेवर खेलों में लौटने के लिए प्रेरित किया। मेरे पति ने मुझे फिर से मैदान में धकेला, और उन्होंने मुझे एक साल तक ऊंटी प्रशिक्षित किया, और तब से पीछे मुड़कर नहीं देखा और और अंततः मुझे  2023 में एशियाई खेलों में कांस्य जीतने के लिए पर्याप्त ट्रेनिंग दी। मेरी ट्रेनिंग के लिए पति ने रेलवे की नौकरी रेस से एक-दो साल का ब्रेक लिया और मेरे साथ ट्रेनिंग करते थे। मैं एशियाई खेलों में अपने पदक का श्रेय अपने पति को दूंगी, जो मेरा सपोर्ट सिस्टम रहे हैं।”

  • पेरिस से बेहद करीब से चूकी और अब लॉस एंजिलेस ओलम्पिक है लक्ष्य

प्रीति को पेरिस ओलम्पिक 2024 के लिए क्वालीफाई नहीं करने का मलाल जरूर है, क्योंकि वह बेहद करीब से चूक गई थीं लेकिन अब उनका लक्ष्य 2028 के लॉस एंजिलिस ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना है। उन्होंने कहा, “मैं पेरिस ओलम्पिक का टिकट पाने से बेहद करीब से चूकी। इंटर-स्टेट चैंपियनशिप के दौरान मैं पारुल चौधरी के साथ अंतिम समय तक क्वालीफाई करने की होड़ में थी। लेकिन क्वालीफाई दौड़ के दौरान अंतिम दो लैप से पहले मेरी एकल मुड़ गया और वही चोट उबर आई। मुझे केवल शीर्ष तीन खिलाड़ियों में रहकर दौड़ समाप्त करनी थी लेकिन चोट के कारण मैं ऐसा नहीं करा पाई। इस आप दुर्भाग्य ही कह सकते हैं कि मैं दो रैंकिंग से चूक गई। वर्ना आज मैं भी ओलम्पियन होती।” उन्होंने आगे कहा, “चोट के कारण मेरा ओलम्पिक का सपना पूरा नहीं हो पाया लेकिन कोई बात नहीं। लॉस एंजिलिस ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना पूरा हो जाएगा।”

  • दिल्ली हाफ मैराथन में भाग लेना फायदेमंद रहता है

प्रीति को लगता है कि वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन जैसी रोड़ रेस में दौड़ने का फायदा हम ट्रैक के धावकों मिलता है। वह बताती हैं, “जब हमारा ट्रैक सीजन समाप्त हो जाता है तो हम अपनी क्षमताएं बढ़ाने और फिटनेस बरकरार रखने के लिए वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन जैसी रोड़ रेस करते हैं। क्योंकि स्टीपलचेज और मैराथन के लिए वर्कआउट बहुत अंतर होता है। वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन के लिए मैं 30-32 किलोमीटर का औसत निकाल रही थी जबकि स्टीपलचेज के लिए इसका आधा ही वर्कआउट करना होता है। दोगुने वर्कआउट के कारण मेरी फिटनेस बढ़ती है और फिर मुझे स्टीपलचेज का वर्कआउट करने में आसानी हो जाती है। हालांकि शॉर्ट इवेंट के बाद सीधे लॉन्ग डिस्टेंस इवेंट में दौड़ना चैलेंजिंग होता है।”

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