वरना दम तोड़ देगा गुरु हनुमान अखाड़ा!
राजेंद्र सजवान
‘गुरु हनुमान’ यह नाम तो आपने और खासकर कुश्ती प्रेमियों ने सुना ही होगा! उनके नाम पर वर्षों से एक ऐसा अखाड़ा चल रहा है, जिसने देश को दर्जनों ओलम्पियन, एशियाई खेलों, के पदक विजेता और सैकड़ों राष्ट्रीय चैम्पियन दिए हैं। रोशनआरा बाग से सटा यह अखाड़ा तीन दशक पहले तक खासी चर्चा में रहा। खासकर, तब जब गुरु के शिष्य अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में धूम मचाते थे, पदक जीतकर लाते थे और गुरुजी अपने स्टाइल में अपने पट्ठों का स्वागत करते कराते थे। उनके स्वागत करने का तरीका भी अजीब था। विजेता पहलवान चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो उसे लाठी और चप्पल दिखाकर कहते, “घमंड में न आ जाइयो”, प्यार से ही सही उस पर दो-चार हाथ भी जड़ देते थे।
उनके अखाड़े की चकाचौंध से देश की सभी राजनीतिक पार्टियों के बड़े-बड़े नेता, सांसद और यहां तक की शीर्ष नेतृत्व भी प्रभावित रहता था। कब किस नेता को दुत्कार दें, गाली बक दें उनके मिजाज को हर कोई जानता था। फिर भी अखाड़े के गुरु-खलीफाओं, कोचों और पहलवानों के आदर्श थे। 20वीं सदी के आखिर तक उनके अखाड़े में मेले जैसा माहौल था लेकिन आज गुरु हनुमान अखाड़ा घिसट-घिसट के जैसे-तैसे चल रहा है। दर्जनों अर्जुन अवार्डी, द्रोणाचार्य और पद्मश्री देने वाले अखाड़े की हालत इसलिए नाजुक है, क्योंकि आज अखाड़े के पास गुरु हनुमान जैसा कड़क, अनुशासन प्रिय और कुछ हद तक प्यार भरी गाली देने वाला गालीबाज नहीं है। बड़े पहलवानों की अपनी घर गृहस्थी है, कोच भी इधर-उधर छिटक गए हैं। मजबूरन अखाड़े का संचालन हल्के-फुल्के लेकिन समर्पित भक्तों ने संभाल लिया है।
“चढ़ते सूरज को नमस्कार करने की परंपरा गुरु जी के जाने के साथ ही समाप्त हो गई थी। इसलिए गुरु के आशीर्वाद से पैदा हुए पहलवान और कोच अखाड़े से मुंह फेर कर निकल जाते हैं, गुरु की प्रतिमा को नमन भी नहीं करते। हां, फोटो खिंचवाने का कोई मौका नहीं चूकते।” यह शिकायत उन संचालकों की है, जो कि अखाड़े को फिर से खड़ा करने में लगे हैं।
हाल फिलहाल सुनने में आया है कि अखाड़े में कुछ अपराधी तत्व घुसपैठ कर जाते हैं। यदि ऐसा है तो उस महान आत्मा के प्रति अपराध होगा, जिसने अपना पूरा जीवन कुश्ती और देश को समर्पित किया। ‘गुरु हनुमान ट्रस्ट’ पिछले कुछ दिनों से लगातार इस प्रकार की चिंता व्यक्त कर रहा है। छोटे-बड़े पहलवान अनुशासन बनाए रखने और गुरु जी की शिक्षा का अनुसरण करने की बात कर रहे हैं। साथ ही वे गुरु हनुमान के आशीर्वाद से नाम दाम कमाने वाले बड़े पहलवानों से भी आग्रह करते हैं कि जिस अखाड़े में गुरु की आत्मा बसती है उसे याद रखें, कभी कभार निगरानी जरूर करें।