- डीडीसीए द्वारा जारी की गई अंडर-23 की 126 खिलाड़ियों की सूची से कई युवा प्रतिभाशली खिलाड़ियों के नाम गायब दिखे, हालांकि बाद में इस गलती को मैनेजमेंट की नजरों मे आने के बाद सुधारा गया
- युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के साथ जिस तरह का धोखा हो रहा, उससे लगता है कि ध्रुव शौरी और नीतीश राणा के बाद युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी अन्य प्रदेशों की तरफ कूच कर रहे हैं
- इस सूची से ट्रायल के लिए 12 टीमें बनाई गई, जो कि कहीं से संतुलित नहीं दिखी, किसी टीम में 8 बाएं हाथ के बल्लेबाज तो किसी में 3 लेफ्ट आर्म स्पिनर तो किसी में 1 तो किसी टीम में 2 दिखे
- दिल्ली की क्रिकेट पर बारीकी से नजर रखने वाले की माने तो 50 प्रतिशत से ज्यादा खिलाड़ी ऐसे हैं जो अंडर-23 ट्रायल मैचों में डिजर्ब ही नहीं करते
- डीडीसीए मैनेंजमेंट अगर चाहता है कि दिल्ली का नाम घरेलू क्रिकेट में चमके तो युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को ट्रायल मैचों में जगह मिलनी चाहिए थी
नवीन चौहान
नई दिल्ली। दिल्ली अंडर-23 क्रिकेट चैलेंजर ट्रॉफी में क्रिकेट का ऐसा खेल देखने को मिल रहा है, जिसे समझना पूरी तरह एक पहेली बन चुका है। युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के साथ जिस तरह का धोखा हो रहा, उससे लगता है ध्रुव शौरी और नीतीश राणा के बाद युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी विभिन्न अन्य प्रदेशों की तरफ कूच करते दिखें। डीडीसीए द्वारा जारी की गई अंडर-23 की 126 खिलाड़ियों की सूची से कई युवा प्रतिभाशली खिलाड़ियों का नाम गायब दिखा, हालांकि बाद में इस गलती को मैनेजमेंट की नजरों मे आने के बाद सुधारा गया। इस सूची से ट्रायल के लिए 12 टीमें बनाई गई, परन्तु गड़बड़ी अभी भी नहीं रुकी और पहले मैच से ही ऐसे खिलाड़ी खेलते दिखाई दिए जो टीमों में थे ही नहीं, गड़बड़झाला यहां भी नहीं रुका। अपना खिलाड़ी किसी भी तरह अच्छा प्रदर्शन करे इसके लिए भी ऐसी जुगाड़ लोग करते दिख रहे हैं जिससे बस दिल्ली क्रिकेट का बेड़ा गर्क ही होने वाला है।
हैरानी की बात ये है 12 टीमें बनाई गई वो कहीं से संतुलित नहीं दिखी, किसी टीम में 8 बाएं हाथ के बल्लेबाज तो किसी में 3 लेफ्ट आर्म स्पिनर तो किसी में 1 तो किसी टीम में 2 दिखे। टीमें किसी ऐसे क्रिकेट सलेक्टर को बनानी चाहिए थी जिसको समझ हो क्रिकेट की और संतुलित टीमें बना सके। दिल्ली की क्रिकेट जिसने पूरे साल देखी हो तो उसकी समझ में ये बात आती है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा खिलाड़ी ऐसे हैं जो अंडर-23 ट्रायल मैचों में डिजर्ब ही नहीं करते। दिल्ली का प्रदर्शन लगातार घरेलू क्रिकेट में खराब चल रहा है क्या ऐसे में इस तरह से ट्रायल कराकर दिल्ली को क्रिकेट को आगे लाया जा सकता है, यह बहुत बड़ा प्रश्न है?
डीडीसीए मैनेंजमेंट अगर चाहता है कि दिल्ली का नाम घरेलू क्रिकेट में चमके तो युवा प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को ट्रायल मैचों में जगह मिलनी चाहिए थी। युवा तेज गेंदबाज लक्ष्य गर्ग जो दिल्ली क्रिकेट का भविष्य हो सकता है इन ट्रायल मैचों से गायब है आखिर क्यूं? क्या उसका नाम उठाने वाला कोई नहीं, डीडीसीए को देखना चाहिए ये युवा गेंदबाज 135-140 गति से गेंदबाजी करता है और उसका प्रदर्शन डीडीसीए लीग में भी अच्छा रहा है। चैम्पियन्स ट्रॉफी के लिए इस खिलाड़ी का नाम मांगा गया था, फिर मात्र 21 वर्षीय इस गेंदबाज को अंडर-23 ट्रायल मैचों में परफोमेंस दम पर ट्रायल मैचों में जगह क्यूं नहीं मिली?
क्रिकेट ऐसा एक खेल है जिसमें रन बनाना और विकेट लेना अलग बात है पर खिलाड़ी की प्रतिभा के हिसाब से खिलाड़ी को मौका मिलना चाहिए और ये जिम्मेदारी है दिल्ली के सलेक्टर्स की। सवाल काफी हैं पर इन सवालों के जवाब दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में कौन ढूंढना चाहेगा ये प्रमुख विषय है।
दिल्ली क्रिकेट के पास अभी खिलाड़ियों का ऐसा पूल नहीं है, जिसके दम पर रणजी ट्रॉफी जीती जा सके। परन्तु अंडर-16 से अंडर-23 में सही खिलाड़ियों सलेक्शन हुआ तो एज ग्रुप क्रिकेट में दिल्ली बेहतरीन प्रदर्शन कर सकती है।
-लेखक स्वतंत्र पत्रकार है