उम्र की धोखाधड़ी का भंडाफोड़, अपराधियों में भगदड़!
- कुछ सर्वे तो यहां तक कहते हैं कि देश के तमाम खेलों में नकली उम्र प्रमाण पत्र बनवाने का चलन वर्षों से चल रहा है
- ज्ञात हो कि पिछले दिनों सुब्रतो मुख़र्जी फुटबॉल टूर्नामेंट में भाग लेने वाली 22 स्कूली फुटबॉल टीमों और लगभग तीन सौ खिलाड़ियों को उम्र कि धोखाधड़ी के चलते टूर्नामेंट से बाहर कर दिया गया था
राजेंद्र सजवान
देश के एक बड़े दैनिक की खबर के अनुसार यूपी में स्पेशल टास्क फ़ोर्स ने फ़र्ज़ी वेबसाइट, साफ्टवेयर और पोर्टल की मदद से फ़र्ज़ी जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने वाले बड़े गिरोह का भंडा फोड़ किया है। चार संदिग्ध बाकायदा पकड़े भी गए हैं। एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस पकड़े गए अपराधियों की मदद से यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि कहां और किन किन क्षेत्रों में अपराधी सक्रीय हैं और कौनृकौन उनकी जालसाजी का लाभ उठा रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि फ़र्ज़ी जन्म, मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का गोरख धंधा यूपी से लेकर बिहार, झारखण्ड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और कई अन्य जिलों तक फैला हुआ है और देश भर में लाखों करोड़ों का कारोबार हो रहा है। रिपोर्ट के छपने के बाद खेल हलकों में भी कानाफूसी शुरू हो गई है और उम्र की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह चौकन्ने हो गए हैं। कारण, भारतीय खेल जगत वर्षों से उम्र की धोखाधड़ी की चपेट में है।

अक्सर जब कभी भारतीय खेलों के पिछड़ने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जगहंसाई की बात होती है तो सबसे पहला आरोप यह लगाया जाता है कि भारतीय खेल उम्र की धोखाधड़ी करने वाले जालसजों के बीच फंस कर रह गए हैं। कुछ सर्वे तो यहां तक कहते हैं कि देश के तमाम खेलों में नकली उम्र प्रमाण पत्र बनवाने का चलन वर्षों से चल रहा है। कितने भी नियम बनाए जाएं, कड़े कदम उठाए जाएं लेकिन इस कुप्रथा की रोकथाम नहीं हो पा रही। हाल ही में जिस बड़े गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है उसके तार किन-किन खेलों में कितनी दूरी तक फैले हैं फिलहाल छान-बीन चल रही है।

फुटबॉल प्रेमियों को पता होगा कि पिछले दिनों सुब्रतो मुख़र्जी फुटबॉल टूर्नामेंट में भाग लेने वाली 22 स्कूली फुटबॉल टीमों और लगभग तीन सौ खिलाड़ियों को उम्र कि धोखाधड़ी के चलते टूर्नामेंट से बाहर कर दिया गया था। ऐसा इसलिए हो पाया था क्योंकि आयोजक भारतीय वायुसेना है। लेकिन सेना और वायुसेना के कई स्कूल भी चपेट में आए थे। आयोजकों के अनुसार यदि ज्यादा सख़्ती की जाती तो लगभग सभी टीमें अयोग्य घोषित हो सकती थीं। अर्थात उम्र की धोखाधड़ी चरम पर है। लेकिन ऐसा सिर्फ फुटबॉल में नहीं हो रहा। देश के तमाम मान्यता प्राप्त खेल इस कुप्रथा के शिकार हैं। जानकारों और विशेषज्ञों की माने तो फुटबॉल, बैडमिंटन, हॉकी, क्रिकेट, वॉलीबॉल, बास्केटबॉल, एथलेटिक, तैराकी, जिम्नास्टिक, टेबल टेनिस, टेनिस और अन्य सभी खेलों में उम्र घटाने का खेल वर्षों से खेला जा रहा है। सरकारें, खेल मंत्रालय, खेल संघ, स्कूली खेल संघ सबकुछ जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं। इसलिए क्योंकि सब स्वार्थ की राजनीति में लिप्त हैं और देश के बच्चों का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं।
