एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे और महासचिव डॉक्टर शाजी प्रभाकरण ने फेडरेशन के ‘टारगेट और विजन’ का रोड मैप पेश किया
दोनों ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के बच्चे-बच्चे को फुटबॉल से जोड़ने का आहवान किया
उन्होंने माना कि भारत चूंकि अन्य देशों की तुलना में बहुत पीछे छूट गया है इसलिए सधे हुए प्रयासों से भारतीय फुटबॉल को आगे बढ़ाया जाएगा
राजेंद्र सजवान
अखिल भारतीय फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) ने देश में फुटबॉल के बुनियादी ढांचे को सुधारने और देश को प्रमुख फुटबॉल राष्ट्र बनाने की दिशा में तेज प्रयास शुरू कर दिए है। शनिवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे और महासचिव डॉक्टर शाजी प्रभाकरण ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के बच्चे-बच्चे को फुटबॉल से जोड़ने और स्तरीय फुटबॉल को बढ़ावा देने का आहवान किया। दोनों ने फेडरेशन के ‘टारगेट और विजन’ का रोड मैप पेश करते हुए माना कि भारत चूंकि अन्य देशों की तुलना में बहुत पीछे छूट गया है इसलिए सधे हुए प्रयासों से भारतीय फुटबॉल को आगे बढ़ाया जाएगा।
कल्याण चौबे के अनुसार, एआईएफएफ का टारगेट चार साल में देश के सभी खिलाड़ियों, कोचों, एकडमियों और क्लबों को व्यवस्थित करना है। इस काम में उन्हें सभी गांव, जिला, राज्य और अन्य इकाइयों का समर्थन प्राप्त करना है ताकि सभी के प्रयासों से 2026 तक भारत में फुटबॉल खेलने वाले लाखों और करोड़ों खिलाड़ियों को लामबंद किया जा सके। चौबे ने माना कि देश में पुरुष और महिला खिलाड़ियों की कमी नहीं है। जरूरत है उन्हें संगठित करने की। ऐसा मिल-जुल कर टीम वर्क से ही संभव हो पाएगा।
इस अवसर पर उन्होंने फेडरेशन का शीर्ष पद संभालने से पहले की अनियमितताओं का जिक्र करने की बजाय नए सिरे से प्रयास करने पर जोर दिया और कहा कि पिछले सवा सौ दिनों में उन्होंने महासचिव शाजी के साथ रात-दिन एक करके देश में फुटबॉल की रूपरेखा और भविष्य की योजनाओं पर काम किया और एकराय से निर्णय लिया है कि 2026 तक सभी सदस्य इकाइयों की तमाम समस्याओं का निदान कर लिया जाएगा। तत्पश्चात फुटबॉल को देश का सबसे लोकप्रिय और करोड़ों द्वारा खेला जाने वाला खेल बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेंगे।
चौबे, जोकि खुद भी उच्च स्तरीय फुटबॉलर रह चुके हैं, ने माना कि भारतीय फुटबॉल शेष विश्व की तुलना में बहुत पीछे रह गई है। कारण, कई है। जिनमें सबसे बड़ा कारण यह है कि इस खेल को ग्रासरूट से बढ़ावा नहीं मिल पाया। बार-बार वर्ल्ड कप खेलने के दावे किए गए लेकिन यह जानने का प्रयास नहीं किया गया कि हम कितने पानी में हैं। हाल की बड़ी उपलब्धि के बारे में उन्होंने बताया कि 125 दिनों में फीफा अध्यक्ष से मिलना और भारतीय फुटबॉल के बारे चर्चा करना बड़ी बात रही।
चौबे के अनुसार, उन्हें देशी और विदेशी कोचों के बीच तालमेल बैठाना है और देश में हजारों कोच तैयार करने हैं ताकि विदेशियों पर अत्यधिक निर्भरता से बचा जा सके। साथ ही यह भी कहा कि फुटबॉल को महज बंगाल, गोवा, मणिपुर और कुछ अन्य राज्यों तक सीमित रखना ठीक नहीं होगा। अन्य राज्यों के पुरुषों के साथ साथ महिला खिलाड़ियों को अवसर देना भी जरूरी है। एक सवाल के जवाब में शाजी ने कहा कि 2026 तक एआईएफएफ अपनी सभी सदस्य इकाइयों को स्वावलंबी बनाने के लिए दृढ़संकल्प है और 2047 में जब देश अपनी आजादी की सौवीं वर्षगांठ मनाएगा तो शायद भारत तब तक प्रमुख फुटबॉल राष्ट्रों में स्थान बना चुका होगा। लेकिन ऐसा तब ही होगा जब हमारे पास हर जिले में विश्व स्तरीय फुटबॉल मैदान होंगे, जब हमारे कम से कम 50 रेफरी फीफा रैंकिंग के होंगे, कम से कम 20 हजार पंजीकृत क्लब होंगे और हमारे क्लब यूरोप के देशों को टक्कर दे पाएंगे।
शाजी के अनुसार, फेडरेशन पुरुषों के साथ साथ महिला फुटबॉल को भी बराबर तबज्जो दे रही है और भारत में फुटबॉल को क्रिकेट की तरह लोकप्रिय बनाने पर जोर दे रही है।