- आखिरकार अनुभवी स्ट्राइकर सुनील छेत्री, सेंटर-बैक संदेश झिंगन और गोलकीपर गुरप्रीत संधू को टीम में शामिल करके एआईएफएफ ने गलती सुधारी
- तीनों को पहली सूची में शामिल नहीं करने के कारण फेडरेशन को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था
- भारत को एशियाई खेलों में अपेक्षाकृत आसान ग्रुप में मिला है, जहां उसे प्रारम्भिक दौर में मेजबान चीन, बांग्लादेश और म्यांमार से निपटना है
राजेंद्र सजवान
देर से ही सही भारतीय फुटबॉल टीम के कर्णधारों ने देश के तीन सीनियर और प्रमुख खिलाड़ियों को आगामी एशियाई खेलों में भाग लेने वाली भारतीय टीम में शामिल कर लिया है। पता नहीं क्यों कप्तान सुनील छेत्री, रक्षापंक्ति के खिलाड़ी संदेश झिंगन और गोलकीपर गुरप्रीत संधू को पहली लिस्ट में स्थान नहीं मिल पाया था, जिस कारण से ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था।
फुटबॉल प्रेमी जानते हैं कि छेत्री, झिंगन और संधू के बगैर किसी भारतीय फुटबॉल टीम की कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन पता नहीं क्यों उन्हें पहले टीम में स्थान नहीं दिया गया था, जिस कारण से भारतीय फुटबॉल फेडरेशन को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। अंततः कोच इगोर स्टैमैक को एक संतुलित टीम मिल गई है और इसके साथ ही आरोप-प्रत्यारोपों का दौर भी थम गया है।
एशियाई खेलों के प्रारम्भिक दौर में भारत को चीन, बांग्लादेश और म्यांमार से निपटना है। जाहिर है चीन को छोड़ बाकी टीमों से पार पाना आसान रहेगा। छेत्री, झिंगन और संधू की अनुपस्थिति में भारत-चीन मुकाबला एकतरफा हो सकता था लेकिन अब कुछ भी हो सकता है। भारत यदि पहली बाधा पार कर लेता है तो भारतीय फुटबॉल के पैसे वसूल माने जाएंगे। इस बार टीम को एशियाड में उतारने के लिए फेडरेशन को ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा है। अंततः सरकार की दयादृष्टि से सरकारी खर्चे पर टीम की रवानगी तय हो पाई।
यूं भी यह एशियाई खेल तीनों वरिष्ठ खिलाड़ियों के लिए आखिरी एशियाड होगा। उम्र उन पर हावी है। यदि 23-24 साल के खिलाड़ियों का साथ मिला तो उनकी अगुवाई में बेहतर की उम्मीद की जा सकती है। देखना यह होगा कि युवा खिलाड़ियों में कितना दम है। अब बॉल उनके कोर्ट में है। इस बार चूकने का मतलब स्वर्णिम अवसर गंवाना होगा। ऐसे मौके बार-बार शायद ही मिलें। वैसे भी भारत अन्य के मुकाबले सुरक्षित ग्रुप में है। लेकिन मेजबान चीन को अपने मैदान और दर्शकों का लाभ मिलेगा। अन्य टीमों के विरुद्ध भी चीन के फुटबॉल प्रेमी शायद ही भारत का समर्थन करें।