ग्रासरूट को बढ़ावा और वेटरन को सम्मान देंगे
विजिलेंस और ऑडिट कमेटी बनाएंगे नए अध्यक्ष
40 वर्षीय अनुज दिल्ली सॉकर एसोसिएशन के इतिहास में निर्विरोध चुने जाने वाले पहले और सबसे युवा अध्यक्ष हैं
राजेंद्र सजवान
दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) के इतिहास में सबसे कम उम्र के युवा अध्यक्ष 40 वर्षीय अनुज गुप्ता ने पदभार संभालते ही दिल्ली की फुटबॉल को बेहतर बनाने और उसे राष्ट्रीय फुटबॉल मानचित्र पर सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए पहले ही दिन से प्रयास शुरू कर दिए हैं। 26 मार्च को निर्विरोध चुने गए अनुज ऐसे पहले अध्यक्ष हैं जिनको कोई चुनौती नहीं मिल पाई, जो कि अपने आप में एक कीर्तिमान है। कुर्सी पर बैठते ही उन्होंने डीएसए कार्यकारिणी कि वार्षिक बैठक का बखूबी संचालन किया और वरिष्ठ सदस्यों, मगन सिंह पटवाल, राजीव गुप्ता, बीएस मेहरा, विशाल चौधरी, रमेश नौटियाल और नागेंद्र सिंह के तीखे सवालों और सुझावों का बखूबी सामना किया और सम्मान भी दिया।
नेहरू स्टेडियम पर आयोजित बैठक में अनुज ने सभी सदस्य इकाइयों को साथ लेकर चलने और डीएसए को देश की श्रेष्ठ फुटबॉल यूनिट बनाने का आह्वान किया। उन्होंने माना कि दिल्ली की फुटबॉल सही दिशा में चल रही है लेकिन कुछ एक क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है। मसलन क्लबों को स्वावलम्बी बनाना, फुटबॉल मैदानों की खोज, और उनका सदुपयोग, स्थानीय क्लबों को ग्राउंड मुहैय्या करना, खेल के लिए बेहतर माहौल बनाना और पुराने खिलाड़ियों की सेवाएं लेना उनकी प्राथमिकता में शामिल हैं।
सदस्यों द्वारा उठाए गए कुछ सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने माना की मैदान के अंदर-बाहर बहुत कुछ गलत घटित हो रहा है। कुछ क्लब और खिलाड़ी जाने-अनजाने गलत हाथों में खेल रहे हैं। महिला और पुरुष टीमों के चयन में धांधली की खबरें भी आम हैं| उन्होंने साफ कहा कि इस प्रकार की गलत परंपरा को जड़ से उखाड़ फेंका जाएगा। राष्ट्रीय फुटबॉल चैम्पियनशिप में भाग लेने वाली सीनियर पुरुष और महिला टीमों की चयन समिति, कोचों की नियुक्ति और खिलाड़ियों के चयन का मामला अनुज की पहली बैठक में गरमाया रहा। उन्होंने तमाम अनियमितताओं को रोकने और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए “विजिलेंस कमेटी” के गठन का आश्वासन दिया।
कुछ सदस्यों ने खर्चों और खातों में गड़बड़ी का मामला उठाया तो “इंटरनल ऑडिट कमिटी” के गठन की जरूरत बताई। ग्रासरूट फुटबॉल को बढ़ावा देने, स्कूल लीग की शुरुआत और सीनियर एवं वेटरन खिलाड़ियों को साथ लेकर चलने और उन्हें सम्मान देने को उन्होंने डीएसए की प्राथमिकता में शामिल किया और पहले ही दिन से बाकायदा इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए हैं।
नए अध्यक्ष चाहते हैं कि पुराने खिलाड़ियों के अनुभव का अधिकाधिक लाभ उठाया जाए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बदले की भावना से कोई काम नहीं करेंगे लेकिन डीएसए के संविधान की अवहेलना कदापि बर्दाश्त नहीं होगी।