- कॉमनवेल्थ गेम्स की चर्चा इसलिए की जा रही है क्योंकि भारत ने 2036 के ओलम्पिक गेम्स के आयोजन के लिए ताल ठोकी है
- नई दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 के कुछ माह बाद जब घोटाले दर घोटाले सामने आए तो सबसे बड़ी गाज आयोजन समिति और भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी पर गिरी
- उनके करीबियों, टीम साथियों, सलाहकारों, खेल आयोजन में हाथ बंटाने और हाथ साफ करने वालों को धर दबोचा गया
राजेंद्र सजवान
नई दिल्ली में आयोजन 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय प्रदर्शन न सिर्फ उम्मीद से बेहतर बल्कि भाग लेने वाले तमाम सदस्य देशों ने इन खेलों के आयोजन को शानदार और जानदार करार दिया। लेकिन कुछ माह बाद जब घोटाले दर घोटाले सामने आए तो सबसे बड़ी गाज आयोजन समिति और भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी पर गिरी। उनके करीबियों, टीम साथियों, सलाहकारों, खेल आयोजन में हाथ बंटाने और हाथ साफ करने वालों को धर दबोचा गया। हालांकि आयोजन की तैयारियों से पहले ही घोटालों की सुगबुगाहट चल निकली थी लेकिन इधर, कॉमनवेल्थ गेम्स के तंबू उखड़े तो उधर एक-एक कर आयोजन समिति और उनकी सहयोगी इकाइयों के घोटालेबाज लपेटे में आते गए।
कॉमनवेल्थ गेम्स की चर्चा इसलिए की जा रही है क्योंकि भारत ने 2036 के ओलम्पिक गेम्स के आयोजन के लिए ताल ठोकी है और बकायदा दुनियाभर के देशों को भारत की मेजबानी को मूर्त रूप देने का आह्वान कर दिया है। संभवतया भारत की वर्तमान सरकार को भी कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले की जानकारी होगी। यदि ऐसा है तो जान लें कि लगभग 70 हजार करोड़ की घोटालेबाजी में लिप्त कुछ चेहरे आज भी भारतीय खेलों के माई-बाप बने हुए हैं।
जहां तक भारत द्वारा की जाने वाली मेजबान की बात है तो 1951 और 1982 के एशियाई खेलों की सफल मेजबानी तथा विभिन्न खेलों की अंतरराष्ट्रीय चैम्पियनशिप आदि का आयोजन शानदार रहा है। लेकिन ओलम्पिक दुनिया का सबसे बड़ा खेल मेला है, जिसमें देश का मान-सम्मान जुड़ा होता है। शानदार आयोजन के साथ-साथ मेजबान खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार की भी अपेक्षा की जाती है। यह ना भूलें कि राष्ट्रमंडल खेल घोटाले को लेकर कुछ सांसदों और महत्वपूर्ण पदों पर बैठे गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी ही सरकार की निंदा की थी, जिनमें राज्यसभा सांसद मणिशंकर अय्यर प्रमुख थे। उम्मीद है कि ओलम्पिक खेलों की मेजबानी से देश की आन बान और शान बढ़ेगी और भारतीय आयोजक और खिलाड़ी शानदार रिकॉर्ड कायम करेंगे। ऐसा तब ही हो सकता है, जब कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन से सबक सीखा जाए।