कबड्डी: ओलम्पिक दूर है, फिलहाल कॉमनवेल्थ पर नजर
- प्रो-कबड्डी लीग के चेयरमैन और मशाल स्पोर्ट्स के बिजनेस हेड अनुपम गोस्वामी के अनुसार, ओलम्पिक दूर की कौड़ी है लेकिन आगामी कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी यदि भारत को मिलती है तो उनमें कबड्डी को शामिल करने के प्रयास किए जाएंगे
राजेंद्र सजवान
प्रो-कबड्डी लीग के चेयरमैन और मशाल स्पोर्ट्स के बिजनेस हेड अनुपम गोस्वामी कबड्डी लीग की कामयाबी से संतुष्ट हैं और उन्हें भरोसा है कि कबड्डी सही दिशा में आगे बढ़ रही है। लेकिन कब तक यह खेल ओलम्पिक का हिस्सा बन पाएगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारतीय पुरुष और महिला खिलाड़ी एशियाड में पदक जीत रहे हैं और आगामी कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी यदि भारत को मिलती है तो उनमें कबड्डी को शामिल करने के प्रयास किए जाएंगे। अर्थात कबड्डी को ओलम्पिक खेल बनने का पूर्व अध्यक्ष का सपना फिलहाल पूरा होता नजर नहीं आ रहा।
थयागराज नगर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में प्रो कबड्डी लीग के दिल्ली लेग हेतु आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने बताया कि मुकाबले बेहद रोमांचक होने जा रहे हैं, जिसमें बेंगलुरू बुल्स, जयपुर पिंक पैंथर्स, तमिल थाल्यावस और पुनेरी पल्टन के कप्तानों ने अपनी अपनी टीमों की तैयारी और सम्भावना के बारे में विचार व्यक्त किए। बेंगलुरू के कप्तान योगेश दहिया, जयपुर के नितिन रावल, तमिल के अर्जुन देशवाल और पुणे के कप्तान असलम इनामदार ने अपनी-अपनी टीमों की सम्भावनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि जीते कोई भी लेकिन 12वां संस्करण बेहद रोमांचक और संघर्षपूर्ण होगा। हालांकि मेजबान दबंग दिल्ली का पलड़ा फिलहाल भारी माना जा रहा है, जोकि अंक तालिका में सबसे आगे चल रही है।
चारों कप्तानों के अनुसार 12वें संस्करण तक आते आते कबड्डी में खासा बदलाव आया है। पुनेरी पलटन के कप्तान असलम ने माना कि होम क्राउड उनके साथ होगा, क्योंकि उनकी टीम में प्रतिभावान खिलाड़ियों की भरमार है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि बाकी टीमें कमजोर हैं। जीतेगा वही जो मौकों का लाभ उठाएगा और आखिरी दम तक हथियार नहीं डालेगा। चारों टीमों के कप्तानों ने इच्छा व्यक्त की कि वे अपने खेल को ओलम्पिक में देखना चाहते हैं लेकिन ऐसा तब ही संभव हो पाएगा जब अधिकाधिक देश उनके खेल को अपनाते हैं। गोस्वामी इस बारे में स्पष्ट राय रखते हैं। उनके अनुसार, “कबड्डी और क्रिकेट में अभी बड़ा गैप है। क्रिकेट बड़े स्तर पर खेला जा रहा है जबकि उनके खेल को अभी भारतीय महाद्वीप में कम देश ही खेलते हैं। लेकिन एक दिन कबड्डी भी ओलम्पिक तक जरूर पहुंचेगी। लेकिन कब फिलहाल कुछ भी नहीं कहा जा सकता।” मोटे तौर पर देखें तो कबड्डी फिलहाल भारत और ईरान में ही गंभीरता से खेली जाती है। बाकी देशों में दक्षिण कोरिया और दो तीन अन्य देश इस खेल से परिचित हैं। अर्थात कबड्डी के लिए अभी ओलम्पिक दूर है। गनीमत है कि पीकेएल चल रहा है। वरना अपने देश में तमाम लीग दो चार साल बाद टांय-टांय फिस्स हो जाती हैं।