- भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्लूएफआई) ने अंतर्कलह के कारण अल्बानिया में होने वाली वर्ल्ड चैम्पियनशिप से नाम वापस ले लिया
- लेकिन चुने गए भारतीय पहलवानों ने जब अपना दुखड़ा खेल मंत्री मनसुख मांडविया के आगे रोया तो उन्हें भाग लेने की अनुमति मिल गई
- यह भी कहा जा रहा है कि भारतीय कुश्ती फेडरेशन पर फिर से अंतर्राष्ट्रीय फेडरेशन (यूडब्लूडब्लू) प्रतिबंध लगा सकती है, क्योंकि भारतीय कुश्ती आत्महत्या पर उतारू है
राजेंद्र सजवान
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्लूएफआई) ने अंतर्कलह के कारण अल्बानिया में होने वाली वर्ल्ड चैम्पियनशिप से नाम वापस ले लिया लेकिन चुने गए भारतीय पहलवानों ने जब अपना दुखड़ा खेल मंत्री मनसुख मांडविया के आगे रोया तो उन्हें भाग लेने की अनुमति मिल गई। बेशक, खेल मंत्री जी ने सराहनीय कदम उठाया और कुश्ती के हित में सही फैसला किया। लेकिन कब तक?
पिछले कई महीनों से भारतीय कुश्ती शर्मनाक हादसों से गुजर रही है। पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे। देश भर में कुश्ती की फजीहत हुई। धरना-प्रदर्शन, गाली-गलौच और महिला पहलवानों से अभद्र व्यवहार सरेआम हुआ। कुश्ती फेडरेशन के चुनाव हुए लेकिन चुनी गई इकाई अब भी खेल मंत्रालय को रास नहीं आ रही। फिर भी खेल मंत्री ने खेल भावना दिखाते हुए पहलवानों की गुहार कुबूल कर ली। लेकिन कब तक? यह तमाशा कब तक चलता रहेगा?
इसमें कोई दो राय नहीं है कि कुश्ती एशियाड और ओलम्पिक जैसे बड़े और प्रतिष्ठित आयोजनों में देश का मान-सम्मान बनाए और बचाए हुए है लेकिन सत्ता के भूखे और पहलवानों से अभद्र व्यवहार करने वाले पदाधिकारी आखिर कब तक बर्दाश्त किए जाएंगे? हाल-फिलहाल साक्षी मलिक की किताब को लेकर कुछ और अपत्तिजनक तथ्य उभरकर आए हैं, जिन्हें लेकर भारतीय कुश्ती के पेंच और फंस रहे हैं। साक्षी, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया अपनी जगह कितने सही और कितने गलत थे इस बारे में अलग-अलग राय हो सकती है। लेकिन यह सच है कि सभी को बगावत करने की एवज में उचित मान-सम्मान मिल चुका है। विनेश भले ही ओलम्पिक पदक नहीं जीत पाई लेकिन इलेक्शन जीत कर उसने अपना कद और ऊंचा किया है।
विनेश आज उस मुकाम पर है, जहां से कुश्ती को बुरी नजर से देखने वाले की आंख निकाल सकती है। लेकिन समस्याएं दिन पर दिन बढ़ रही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि भारतीय कुश्ती फेडरेशन पर फिर से अंतर्राष्ट्रीय फेडरेशन (यूडब्लूडब्लू) प्रतिबंध लगा सकती है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि भारतीय कुश्ती आत्महत्या पर उतारू है। खेल मंत्रालय ने पहलवानों के हित में फैसला लेकर भारतीय के आकाओं को सुधरने का मौका जरूर दिया है।
अब तो धरने पर बैठे पहलवान ही आपस में एक दूसरे के खिलाफ बोलने लगे हैं। साक्षी vs फोगट ।