- सुगबुगाहट यह भी है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर कुश्ती फेडरेशन चुनाव में गहरी रुचि ले रहे हैं
- जहां तक चुनावों की बात है तो सदस्य इकाइयों से ऐसे नाम सामने आ रहे हैं जिनका उस राज्य की कुश्ती से कोई लेना-देना नहीं रहा
- 50 नामों वाली वोटर लिस्ट में शामिल प्रेमशंकर मिश्र और संजय सिंह उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि बनाए गए हैं
- हरियाणा के देवेंद्र कादयान असम के वोटर हैं जबकि रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड के सचिव प्रेमचंद लोचन गुजरात के प्रतिनिधि बने हैं
राजेंद्र सजवान
बृज भूषण सिंह के बाद कौन? फैसला 12 अगस्त को होने जा रहा है। भारतीय कुश्ती महासंघ चुनावों में अगला अध्यक्ष वही होगा जिसे नेताजी चाहेंगे या कोई और, यह जिज्ञासा भी कुश्ती हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है।
पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह और उनके बेटे करण का नाम वोटर्स लिस्ट में शामिल नहीं होने का मतलब है कि वे दौड़ से बाहर हैं। तो क्या इसे बृज भूषण युग का समापन मान लिया जाना चाहिए? यह भी सुगबुगाहट है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर कुश्ती फेडरेशन चुनाव में गहरी रुचि ले रहे हैं! ऐसा होना भी चाहिए क्योंकि पिछले कई महीनों से फेडरेशन अपने अध्यक्ष पर लगे आरोपों के कारण न सिर्फ चर्चा में रही अपितु भारतीय कुश्ती का बड़े स्तर पर नाम भी खराब हुआ है।
फिलहाल सभी आंदोलनकारी पहलवान लगभग मौन धारण कर चुके हैं। एशियाई खेलों में भाग लेने वाले पहलवानों का चयन भी हो चुका है। भले ही बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट बिना ट्रायल दिए चुन लिए गए लेकिन दोनों भार वर्गों के विजेता भी मन मसोस कर चुप हो गए हैं। जहां तक फेडरेशन चुनावों की बात है तो सदस्य इकाइयों से ऐसे नाम सामने आ रहे हैं जिनका उस राज्य की कुश्ती से कोई लेना-देना नहीं रहा।
‘कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानमती ने कुनबा जोड़ा’, की तर्ज पर वोटर लिस्ट में 50 नाम शामिल हैं, तो जिनमें उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि प्रेमशंकर मिश्र और संजय सिंह बनाए गए हैं। हरियाणा के देवेंद्र कादयान असम के वोटर हैं। लेकिन सबसे ज्यादा हैरान करने वाला नाम रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड के सचिव प्रेमचंद लोचन का है, जो कि गुजरात के प्रतिनिधि बने हैं। हरियाणा के नेता देवेंद्र कादयान असम इकाई को कैसे रिप्रेजेंट कर रहे हैं, यह भी उत्सुकता का विषय है। इन सब नामों के चलते यूपी के सतपाल देशवाल उत्तराखंड से मजबूत दावे के साथ उतरेंगे।
बड़ी हैरानी वाली बात यह है कि यौन उत्पीडन के मामले में गवाहों में शामिल हरियाणा पुलिस की अनीता उड़ीसा की उम्मीदवार है। फिलहाल कोई भी कयास लगाना ठीक नहीं होगा लेकिन शीर्ष पदों का चुनाव रजामंदी से हो सकता है। साठ-गांठ हो चुकी है। बस खानापूरी बाकी है।