- एक सप्ताह के इंतजार के बाद खेल पंचाट (सीएएस) की एक सिंगल बेंच ने अंतत: अपना फैसला सुना दिया है, जिसमें उसने विनेश फोगाट की अपील खारिज करते हुए आयोग्यता के फैसले जस का तस बनाए रखा
- इसके साथ ही महिलाओं के 50 किलोग्राम भार वर्ग की जांबाज पहलवान को लगातार तीसरे ओलम्पिक खाली हाथ और बड़े विवाद के साथ लौटना पड़ा
- अपनी किस्म के अनोखे प्रकरण को ओलम्पिक इतिहास की अप्रिय घटनाओं में शामिल किया जाना गलत नहीं होगा।
- भारत के लिहाज से बेहद दुखद कहा जा सकता है, क्योंकि लाख प्रयासों के बावजूद भी विनेश फोगाट को पदक नहीं मिल पाया
राजेंद्र सजवान
अगर-मगर, झूठ-सच, कल-परसों से गुजरता हुआ विनेश फोगाट को ओलम्पिक पदक मिलने का ममला ‘नो थैंक्स’ के साथ समाप्त हो गया है। देर से ही सही खेल पंचाट (सीएएस) की एक सिंगल बेंच ने अंतत: अपना फैसला सुना दिया है। विनेश की पदक मिलने की अपील खारिज करते हुए पंचाट ने कह दिया है कि फैसला जस का तस बना रहेगा। अर्थात महिलाओं के 50 किलोग्राम भार वर्ग की जांबाज पहलवान को लगातार तीसरे ओलम्पिक खाली हाथ और बड़े विवाद के साथ लौटना पड़ा है।
अपने ओलम्पिक अभियान को ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाली और वर्ल्ड चैम्पियन व ओलम्पिक चैम्पियन को ध्वस्त करने वाली विनेश को गोल्ड मेडल कुश्ती से पहले दौड़ से बाहर कर दिया गया था, क्योंकि उसका वजन 100 ग्राम ज्यादा पाया गया और लाख कोशिशों के बावजूद भी अपील खारिज कर दी गई थी जिस पर अब कोई कार्यवाही की उम्मीद भी नहीं बची है। अपनी किस्म के अनोखे प्रकरण को ओलम्पिक इतिहास की अप्रिय घटनाओं में शामिल किया जाना गलत नहीं होगा।
खासकर, भारत के लिहाज से बेहद दुखद कहा जा सकता है, क्योंकि लाख प्रयासों के बावजूद भी विनेश फोगाट को पदक नहीं मिल पाया। हालांकि भारतीय प्रचार माध्यमों, आईओए और देश के आम और खास जनमानस ने विनेश के लिए दुआ की, उसकी लड़ाई को बल दिया लेकिन सब व्यर्थ गया। कारण अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) का फैसला बदलना असंभव है। यह सच आईओए और भारतीय कुश्ती फेडरेशन भी जानता था लेकिन किसी ने भी सच्चाई को सामने लाने और विनेश को सच बताने की जरूरत नहीं समझी। एक सप्ताह तक देश का गुमराह सोशल मीडिया बेवजह शोर मचाता रहा। विनेश को पदक मिलने की संभावना पर झूठ परोसता रहा। अंतत: हुआ वही जिसकी आशंका थी।