क्योंकि अम्बेडकर स्टेडियम डीएसए की प्रॉपर्टी नहीं है!

- इस स्टेडियम को नवरूपता देने की शुरुआत डीएसए अध्यक्ष द्वारा नारियल फोड़ने के साथ हुई लेकिन एमसीडी के अनुसार, यह सब हल्की लोकप्रियता लेने का नाटक था
- स्टेडियम दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का है और उसकी शर्तों पर आगे के निर्णय लिए जाएंगे अर्थात डीएसए को सिरे से खारिज कर दिया गया है और ‘फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व’ के आधार पर स्टेडियम की बुकिंग होगी
- डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम को दिल्ली की फुटबॉल का दिल कहा जाता है, जिसमें डूरंड कप, डीसीएम कप, नेहरू गोल्ड कप, सुब्रतो कप और अनेकों अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट आयोजित किए जाते रहे
- यह स्टेडियम दिल्ली की फुटबॉल को नियंत्रित करने वाली डीएसए की बपौती माना जाता था लेकिन पिछले कुछ सालों में एमसीडी ने उसको हैसियत का आईना दिखा दिया है
- कभी डीएसए अघोषित प्रॉपर्टी रहा यह स्टेडियम अब सप्ताह में दो-तीन दिन ही उसको अपने लीग कार्यक्रम के लिए उपलब्ध हो पाता है
- राजधानी के क्लब अधिकारियों और खिलाड़ियों को स्टेडियम में किए गए बदलावों की खुशी तो है लेकिन उन्हें परेशानियां बढ़ने का डर भी है, क्योंकि डीएसए का कोई अपना ग्राउंड नहीं है
- एमसीडी किराये में बढ़ोत्तरी कर अतिरिक्त बोझ डाल सकती है और हो सकता है लंबे समय तक के लिए बुकिंग उपलब्ध न हो पाए
- यह न भूलें कि अम्बेडकर स्टेडियम समेत तमाम फुटबॉल ग्राउंड डीएसए की पकड़ से बाहर रहने के कारण दिल्ली प्रीमियर लीग 2024 छह महीने में संपन्न हो पाई, जो कि अपनी किस्म का शर्मनाक रिकॉर्ड है
- आशंका व्यक्त की जा रही है कि आने वाले दिनों में दिल्ली के क्लबों और खिलाड़ियों को और बुरा वक्त देखना पड़ सकता है
- डर इस बात का भी है कि अम्बेडकर स्टेडियम स्थित डीएसए कार्यालय भी हाथ से निकल सकता है
राजेंद्र सजवान
दिल्ली के फुटबॉल खिलाड़ियों, खेल प्रेमियों और दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) के लिए बड़ी खुशखबरी है कि कुछ एक सप्ताह में डॉ. बीआर अम्बेडकर स्टेडियम तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ पहले की तरह उन्हें सेवाएं देने क़े लिए तैयार है। कुछ जरूरी बदलावों और अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ स्टेडियम को सजाया संवारा गया है। लगभग सवा साल में स्टेडियम को नवरूपता देने का काम संपन्न होने जा रहा है। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के अनुसार, नवीकरण पर लगभग छह करोड़ खर्च आएगा। और अभी पिच (मैदान) का काम होना बाकी है।
डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम को दिल्ली की फुटबॉल का दिल कहा जाता है, जिसमें डूरंड कप, डीसीएम कप, नेहरू गोल्ड कप, सुब्रतो कप और अनेकों अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट आयोजित किए जाते रहे। यह वही स्टेडियम है जो कभी नूरा कुश्ती का गढ़ भी रहा था। अनेकों स्थानीय आयोजनों का गवाह रहा यह स्टेडियम फिलहाल दिल्ली की फुटबॉल को नियंत्रित करने वाली डीएसए की बपौती माना जाता था लेकिन पिछले कुछ सालों में एमसीडी ने स्थानीय फुटबॉल की चौधराहट वाले डीएसए को हैसियत का आईना दिखा दिया है। अब सप्ताह में दो-तीन दिन ही डीएसए को अपने लीग कार्यक्रम के लिए स्टेडियम उपलब्ध हो पाता है, जबकि कुछ साल पहले तक यह स्टेडियम डीएसए की नाजायज प्रॉपर्टी बना रहा। कारण तब सुनील घोष, नावाबुद्दीन कुरैशी, सुभाष चोपड़ा, वी एस चौहान, उमेश सूद, नासिर अली, एनके भाटिया, मगन सिंह पटवाल और कई अन्य समर्पित अधिकारी स्थानीय फुटबॉल के मार्गदर्शक थे। उनके पद पर रहते अम्बेडकर स्टेडियम डीएसए की अघोषित प्रॉपर्टी बना रहा लेकिन आज हालात बद से बदतर हो गए हैं।
हालांकि स्टेडियम को नवरूपता देने की शुरुआत डीएसए अध्यक्ष द्वारा नारियल फोड़ने के साथ हुई लेकिन एमसीडी के अनुसार, यह सब हल्की लोकप्रियता लेने का नाटक था। स्टेडियम एमसीडी का है और उसकी शर्तों पर आगे के निर्णय लिए जाएंगे। अर्थात डीएसए को सिरे से खारिज कर दिया गया है और ‘फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व’ के आधार पर स्टेडियम की बुकिंग होगी। राजधानी के क्लब अधिकारियों और खिलाड़ियों को डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम में किए गए बदलावों की खुशी तो है लेकिन उन्हें परेशानियां बढ़ने का डर भी है, क्योंकि डीएसए का कोई अपना ग्राउंड नहीं है। एमसीडी किराये में बढ़ोत्तरी कर अतिरिक्त बोझ डाल सकती है। हो सकता है लंबे समय तक के लिए बुकिंग उपलब्ध न हो पाए।
यह न भूलें कि दिल्ली प्रीमियर लीग 2024 छह महीने में संपन्न हो पाई, जो कि अपनी किस्म का शर्मनाक रिकॉर्ड है। कारण अम्बेडकर स्टेडियम और तमाम फुटबॉल ग्राउंड स्थानीय इकाई की पकड़ से बाहर हैं। आशंका व्यक्त की जा रही है कि आने वाले दिनों में दिल्ली के क्लबों और खिलाड़ियों को और बुरा वक्त देखना पड़ सकता है। डर इस बात का भी है कि अम्बेडकर स्टेडियम स्थित डीएसए कार्यालय भी हाथ से निकल सकता है। दिल्ली की फुटबाल क़े लिए बड़ी चिंता की बात यह भी है कि देश कि राजधानी में खेलने योग्य स्टेडियम दो तीन ही है। तो फिर साल भर चलने वाले आयोजन कैसे संभव हो पाएंगे?