…क्योंकि क्रिकेट मालामाल, बाकी कंगाल
- भारतीय क्रिकेट रोहित शर्मा और विराट कोहली की विदाई पर हो-हुल्लड़ मचाने की बजाय उनकी उपलब्धियों को सलाम कर रही है
- क्रिकेट एक्सपर्ट को भरोसा है कि रोहित और विराट के उत्तराधिकारी भी भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों तक पहुंचाएंगे
- भारतीय फुटबॉल में सुनील छेत्री के बाद कौन? नीरज चोपड़ा के बाद कौन सा एथलीट देश का गौरव बढ़ाएगा?
- मिल्खा सिंह और पीटी उषा की जगह खाली है तो तैराकी, जिम्नास्टिक, मुक्केबाजी, कुश्ती और तमाम खेलों में पदक विजेताओं का घोर अकाल है और बैडमिंटन, टेनिस आदि खेलों हमारी हालत जग जाहिर है
राजेंद्र सजवान
भारतीय क्रिकेट के स्टार खिलाड़ी रोहित शर्मा और विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया है। हालांकि उनके जैसे खिलाड़ी सालों की तपस्या के बाद तैयार होते हैं लेकिन भारतीय क्रिकेट उनकी विदाई पर हो-हुल्लड़ मचाने की बजाय उनकी उपलब्धियों को सलाम कर रही है। क्रिकेट एक्सपर्ट और उनके चाहने वाले भविष्य के खिलाड़ियों की तरफ देख रहे हैं और उन्हें भरोसा है कि रोहित और विराट के उत्तराधिकारी भी भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों तक पहुंचाएंगे। लेकिन देश के अन्य खेलों को यदि इस प्रकार की स्थिति का सामना करना पड़ता तो खेल हलकों और मीडिया में हाय-तौबा मच जाती।
कभी हम हॉकी के बेताज बादशाह थे। हमारे पास ध्यानचंद, रूप सिंह, केडी बाबू, बलबीर सीनियर, अजीतपाल, अशोक ध्यानचंद, हरबिंदर सिंह, मोहम्मद शाहिद, जफर इकबाल और धनराज पिल्लै जैसे जादूगर थे लेकिन उनके हॉकी टांगने के बाद हमारी हॉकी का पतन शुरू हो गया और ओलम्पिक एवं विश्व चैम्पियन बनाने का सपना 1980 के बाद पूरा नहीं हो पाया। एथलेटिक्स में मिल्खा सिंह और पीटी उषा के बाद सालों किसी चैम्पियन की प्रतीक्षा में बीत गए। कई दशकों की तपस्या के बाद नीरज चोपड़ा भारत की धरती पर अवतरित हुए हैं। लेकिन एथलेटिक्स में हालात क्रिकेट जैसे खुशगवार नहीं है।
भारतीय क्रिकेट में एक दौर ऐसा भी रहा, जब कोई टेस्ट या सीमित ओवर मुकाबला जीतना किसी सपने के समान थे। लेकिन सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वनाथ, कपिल देव, सचिन तेंदुलकर, सौरभ गांगुली, वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, अनिल कुंबले, महेंद्र सिंह धोनी और दर्जनों अन्य क्रिकेटरों ने कड़ी मेहनत और बड़ी उपलब्धियों से भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया। यही कारण है कि रोहित और विराट के बाद भी भारतीय क्रिकेट पूरी तरह सुरक्षित है, क्योंकि उसके पास एक से बढ़कर एक चैम्पियन तैयार खड़े हैं। भारतीय फुटबॉल में सुनील छेत्री के बाद कौन? नीरज चोपड़ा के बाद कौन सा एथलीट देश का गौरव बढ़ाएगा? मिल्खा सिंह और पीटी उषा की जगह खाली है तो तैराकी, जिम्नास्टिक, मुक्केबाजी, कुश्ती और तमाम खेलों में पदक विजेताओं का घोर अकाल है। बैडमिंटन, टेनिस आदि खेलों हमारी हालत जग जाहिर है। रामानाथन कृष्णन, विजय अमृतराज और लिएंडर पेस के खाली स्थानों की भरपाई कई दशकों में नहीं हो पाई है। एक क्रिकेट ही है, जिसमें प्रतिभाओं की भरमार है और रोहित-विराट जैसे चैम्पियनों के स्थान भरने के लिए प्रतिभाओं में रेस लगी है। बेशक, क्रिकेट ही एकमात्र भरोसे का खेल रह गया है।