August 5, 2025

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खालिद के लिए बड़ी चुनौती: मीडिया, एआईएफएफ और खलीफा खिलाड़ी

  • खालिद जमील को यदि भारतीय सीनियर टीम के शीर्ष पद पर बने रहना है तो पिछले अनुभवों से सबक लेने की जरूरत है
  • कुछ फुटबॉल जानकारों और पूर्व खिलाड़ियों की राय में उसे एकदम नई और अनुशासित टीम का गठन करना होगा और बेहतर होगा कि खिलाड़ी 20-25 के बीच के हों
  • एआईएफएफ के दादाओं के अलावा टीम के सिर चढ़े खिलाड़ियों से निपटना मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन कदापि नहीं है

राजेंद्र सजवान

खालिद जमील के रूप में भारतीय फुटबॉल को ‘अपना’ हेड कोच मिल गया है। लगभग 13-14 सालों तक विदेशियों की बहानेबाजी में खेलने वाली टीम इंडिया का ग्राफ मैच दर मैच गिरता चला गया। अंतत: देश के फुटबॉल प्रेमियों और खेल जानकारों के दबाव डालने के बाद एक युवा और अनुभवी कोच ने कमान संभाली है, जिसके सामने कई चुनौतियां है।

   जहां तक खालिद की बात है तो वो देश के पेशेवर क्लबों और बड़े कद वाले खिलाड़ियों के काफी करीब रहा है और उसकी सफलता का प्रतिशत भी सराहनीय कहा जा सकता है। लेकिन उसे यदि भारतीय सीनियर टीम के शीर्ष पद पर बने रहना है तो पिछले अनुभवों से सबक लेने की जरूरत है।

   हालांकि बेबात की बात करने वाले और हारने-पिटने वाली टीम को ‘ब्लू टाइगर्स’ कहने वाले बड़बोले मीडिया से सावधान रहना होगा। देश के अधिकांश फुटबॉल जानकारों की राय में फुटबॉल कवर करने वाले मीडिया का एक वर्ग ऐसा है, जिसे खेल की बजाय खिलाड़ी की व्यक्तिगत जिंदगी के बारे में बतियाने में मजा आता है। टीम में खलीफा प्रवृति के एक-दो खिलाड़ियों का स्तुतिगान करने में उन्हें आनंद मिलता है। यह भी देखने में आया है कि हमारे देसी-विदेशी कोच टीम के बड़े नाम वाले खिलाड़ियों के दबाव में काम करते हैं और टीम की जरूरतों की बजाय खलीफा प्रवृति के खिलाड़ियों की पसंद-नापसंद को ज्यादा महत्व देते हैं।

   हालांकि खालिद एक खिलाड़ी और कोच के रूप में लोकप्रिय है लेकिन भारतीय टीम के हेड कोच को अब कड़ी अग्नि परीक्षा से गुजरना होगा। ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) के दादाओं के अलावा टीम के सिर चढ़े खिलाड़ियों से निपटना मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन कदापि नहीं है। कुछ फुटबॉल जानकार और पूर्व खिलाड़ियों की राय में उसे एकदम नई और अनुशासित टीम का गठन करना होगा। बेहतर होगा कि खिलाड़ी 20-25 के बीच के हों। और हां, फेडरेशन उसे एकदम ‘फ्री हैंड’ दी तो शायद भारतीय फुटबॉल की गाड़ी पटरी पर लौट आए।

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