खेल रिश्तों में गहरी दरार

- आज भारत-पाक के बीच हालात युद्ध जैसे हैं, जिसका सीधा असर दोनों के लोकप्रिय खेल आईपीएल और पीएसएल पर भी पड़ा है
- दोनों देशों के खेल रिश्तों में वर्षों से खटास चल रही है और खिलाड़ियों का एक-दूसरे देश में जाना और खेलना संभव नहीं हो पा रहा है
- पाकिस्तान के खेलों पर आतंकवाद हावी होने के कारण है कि वहां कोई भी देश अपने खिलाड़ियों को नहीं भेजना चाहता है
- भारत की तरह पाकिस्तान भी हॉकी में बड़ी ताकत रहा है और क्रिकेट में भी उसकी अच्छी साख थी, जिसे आतंकवाद ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया है
राजेंद्र सजवान
पाकिस्तान की नापाक हरकतों के चलते दोनों देशों के संबंध एक बार फिर पूरी तरह बिगड़ चुके हैं और सुधार की फिलहाल कोई गुंजाइश भी नजर नहीं आती। दोनों देशों में हालात युद्ध जैसे हैं, जिसका सीधा असर दोनों के लोकप्रिय खेल आईपीएल और पीएसएल पर भी पड़ा है। हालांकि भारत-पाक खेल रिश्तों में वर्षों से खटास चल रही है और खिलाड़ियों का एक-दूसरे देश में जाना और खेलना संभव नहीं हो पा रहा है। कारण, पाकिस्तान अपनी अमानवीय हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। हालांकि कुछ साल पहले लंबे इंतजार के बाद दोनों देशों के छुट-पुट खिलाड़ी एक-दूसरे के घर पर जाकर खेलने लगे थे लेकिन पहलगाम के नरसंहार के बाद यह तय हो गया है कि पाकिस्तान ने नहीं सुधरने की कसम खा ली है और वह अपना अस्तित्व मिटाकर ही मानेगा।
इसमें कोई शक नहीं है कि 1947 के विभाजन से पहले जैसा भाईचारा कई सालों तक बना रहा और हिन्दू-मुस्लिम खिलाड़ियों के दुनियाभर में नाम कमाया। मुस्लिम खिलाड़ी आज भी तमाम भारतीय खेलों में समान मान-सम्मान, प्यार-मोहब्बत पा रहे हैं लेकिन पाकिस्तान के खेलों पर भी आतंकवाद हावी हो गया है। यही कारण है कि वहां कोई भी देश अपने खिलाड़ियों को नहीं भेजना चाहता है। भारत की तरह पाकिस्तान भी हॉकी में बड़ी ताकत रहा है। क्रिकेट में भी उसकी अच्छी साख थी, जिसे आतंकवाद ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। हल्के-फुल्के झटके के बाद भारतीय क्रिकेट फिर से शिखर पर है और हॉकी भी शीर्ष पर लौट रही है लेकिन पाकिस्तान का हर खेल बर्बाद हो रहा है। उसकी सामाजिक और राजनीतिक साख मिट चुकी है और हाल के घटनाक्रम ने भारत-पाक खेल रिश्तों के बीच लंबी लकीर खींच दी है, जिन्हें सुधरने में दशकों लग सकते हैं।