- मालदीव पर बड़ी जीत यानी 69वें रैंक की भारतीय शेरनियों के सामने 163 रैंक की बकरी
- इस जीत पर फुलकर कुप्पा हुआ एआईएफएफ महिला टीम और उसके नवनियुक्त कोच स्वीडन के जोकिम अलेक्जेंडरसन की जमकर तारीफ कर रहा है
- सोशल मीडिया इस जीत को महज तमाशा बता रहा है और अपनी टीम की बहुत खिल्ली उड़ाई जा रही है
राजेंद्र सजवान
मालदीव पर भारतीय महिला फुटबॉल टीम की 14-0 की जीत का फुटबॉल हलकों में जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है। बेंगलुरू में खेले गए एक दोस्ताना मुकाबले में मेजबान महिलाओं ने बेहद कमजोर प्रतिद्वंद्वी को भगा-भगा कर छकाया और मनमर्जी के गोल जमाए। इस जीत पर अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) फुलकर कुप्पा हो गया और महिला टीम के नवनियुक्त कोच स्वीडन के जोकिम अलेक्जेंडरसन और उनकी टीम की जमकर तारीफ की गई। लेकिन सोशल मीडिया इस जीत को महज तमाशा बता रहा है और अपनी टीम की कुछ इस प्रकार खिल्ली उड़ा रहा है।
कुछ इस प्रकार के कमेंट पढ़ने को मिल रहे हैं – दमदार जीत लेकिन बांग्लादेश की महिलाओं से हमेशा मिलती है…. इस जीत के कोई मायने नहीं… क्या यह भारत बनाम ब्राजील था?… मजबूत टीमों के विरुद्ध क्यों नहीं खेलते, हार के डर से?… नेपाल से खेलकर देखो हवा निकल जाएगी…कभी भूटान से खेलकर देखो तो पता चले…ऐसे गोलों और जीत का कोई अर्थ नहीं…यह फुटबॉल की प्रगति नहीं, चीन, वियतनाम, थाईलैंडर और ऑस्ट्रेलिया से खेलकर देखो…
फुटबॉल फेडरेशन से असंतुष्ट मीडिया और भी बहुत कुछ कह रहा है, जिसका उल्लेख नहीं किया जा सकता। लेकिन भारी-भरकम जीत के बावजूद महिला टीम को क्यों कोसा जा रहा है? इसलिए क्योंकि भारतीय फुटबॉल का हाल बेहाल है। पुरुष टीम वर्ष 2024 में एक भी मैच नहीं जीत पाई और फीफा रैंकिंग में भी धड़ाम से गिरी है। भले ही मालदीव पर बड़ी जीत हासिल की लेकिन 69वें रैंक की भारतीय महिलाओं के सामने 163 रैंक की टीम थी। अर्थात शेरनियों के सामने बकरी।