July 19, 2025

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जीरो से शुरू करेगी भारतीय फुटबॉल!

  • भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने कहा कि आईएसएल के स्थगन से फुटबॉल जगत चिंतित, अहात और डरा हुआ है तथा वर्तमान स्थिति चिंताजनक है
  • आईएसएल में भाग लेने वाले खिलाड़ियों और क्लबों को 2025-26 का सीजन बर्बाद होने के खतरे की आहट सुनाई दे रही है
  • आईएसएल के वर्तमान संकट से हर क्लब और पेशेवर खिलाड़ी हैरान-परेशान हैं क्योंकि उनके लाखों-करोड़ों के अनुबंध खतरे में पड़ गए हैं

राजेंद्र सजवान

‘दहशत में भारतीय फुटबॉल’ शीर्षक से एक राष्ट्रीय दैनिक की खबर पढ़ कर देश के फुटबॉल प्रेमियों को सदमा जरूर लगा होगा। खबर में भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान एवं सबसे भरोसे के खिलाड़ी सुनील छेत्री अफसोस व्यक्त करते हुए कहते हैं कि आईएसएल के स्थगन से फुटबॉल जगत चिंतित, अहात और डरा हुआ है तथा वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। हो सकता है 2025-26 का सीजन बर्बाद हो जाए।

   बेशक, छेत्री ठीक कह रहे हैं। भले ही उन्होंने फुटबॉल के गिरते स्तर और भारतीय फुटबॉल के पतन के बारे में कभी भी खुलकर बयान नहीं दिए लेकिन आईएसएल के वर्तमान संकट से हर क्लब और पेशेवर खिलाड़ी हैरान-परेशान हैं। इसलिए क्योंकि उनके लाखों-करोड़ों के अनुबंध खतरे में पड़ गए हैं। देर से ही सही आईएसएल में भाग लेने वाले खिलाड़ियों और क्लबों को खतरे की आहट सुनाई दे रही है। ये वही क्लब और खिलाड़ी हैं जो कि हमेशा से राष्ट्रीय टीम की बजाय क्लब को वरीयता देते आए हैं। अब क्लब अधिकारी और खिलाड़ी कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री और खेल मंत्री के सामने अपना दुखड़ा रोएंगे।

   लेकिन खतरा सिर्फ टॉप क्लबों को ही नहीं है। आई-लीग और यहां तक कि राज्य स्तरीय आयोजनों में भाग लेने वाले क्लबों को भी डर लगने लगा है। छोटे-बड़े क्लब अधिकारी और उनके समर्थक अपनी जेब से लाखों खर्च करते हैं और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते हैं लेकिन अब आईएसएल और आई-लीग जैसे बड़े आयोजनों पर लटकी तलवार से भारतीय फुटबॉल की नींव हिलती नजर आ रही है। कुछ पूर्व खिलाड़ियों ने बातचीत में कहा कि जो हो रहा है, यही सही है। कारण, फेडरेशन की करतूते देश की फुटबॉल पर भारी पड़ी है। दुनिया भर में सबसे बड़े लोकतंत्र की जग हंसाई हो रही है। ऐसे में यही सही है कि हम एक बार फिर से जीरो से शुरू करें।

   देश के फुटबॉल प्रेमियों का बड़ा वर्ग कह रहा है कि एआईएफएफ की तमाम सदस्य इकाइयां भ्रष्टाचार, व्यभिचार, फिक्सिंग और सट्टेबाजी की शिकार है और टीमों के चयन में धांधली हो रही है। नतीजा सामने है। अब भारत से फुटबॉल का नामोंनिशां उठने की नौबत आ गई है।

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