टोक्यो ओलम्पिक गेम्स जितना यादगार नहीं रहा पेरिस अभियान

  • पेरिस में हाल में सम्पन्न हुए 33वें ओलम्पिक में भारत के खाते में एक सिल्वर और पांच ब्रॉन्ज आए और वो पदक तालिका में 71वें स्थान पर रहा
  • पिछले टोक्यो ओलम्पिक गेम्स में भारत को एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल मिले और वो तालिका में 48वें पायदान पर रहा था

अजय नैथानी

पेरिस ओलम्पिक गेम्स 2024 रविवार देर रात को सम्पन्न हो गए। फ्रांस की राजधानी में 17 दिनों तक आयोजित हुआ खेलों के महाकुंभ भारत के नजरिये से बहुत खास नहीं रहा, क्योंकि इस दौरान हमें खुशियां कम मिली, दर्द ज्यादा। 33वें ओलम्पिक में भारत के खाते में एक सिल्वर और पांच ब्रॉन्ज आए और वो पदक तालिका में काफी नीचे रहा जो कि पिछले गेम्स की तुलना में काफी फीका प्रदर्शन कहा जा सकता है। लेकिन इससे भी ज्यादा दर्द भारतीय खेल प्रेमियों को उन दो घटनाओं ने दिया, जिनकी वजह से महिला पहलवान विनेश फोगाट और निशा दहिया की दर्दनाक विदाई।

  • भारत के लिए वो चमकदार पल

पहले बात करते हैं पेरिस में भारत के लिए वो पल, जब उसे पदकों के रूप में खुशियां मिली। खेलों के महाकुंभ के 13वें दिन आठ अगस्त को स्टार जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने भारत का एकमात्र सिल्वर जीता। उन्होंने मेंस जेवलिन थ्रो स्पर्धा में पहले वैध प्रयास में 89.45 मीटर की दूरी तक भाला फेंका जो कि उनका इस सीजन का बेस्ट और अपने कुल दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। इस तरह टोक्यो ओलम्पिक के गोल्डन ब्वॉय नीरज लगातार ओलम्पिक गेम्स में पदक जीतने वाले एथलेटिक्स में भारत के पहले खिलाड़ी और कुल मिलाकर पहलवान सुशील कुमार और शटलर पीवी सिंधु के बाद तीसरे खिलाड़ी बने। उसी दिन पुरुष हॉकी टीम ने लगातार दूसरा कांसा जीतकर अपने स्टार गोलकीपर पीआर श्रीजेश को जश्नभरी विदाई, जो संन्यास की घोषणा कर चुके थे और अपना अंतिम मैच खेले। भारत ने ब्रॉन्ज मेडल मैच में स्पेन को 2-1 से हराया और टोक्यो की अपनी सफलता को दोहराया।  

   पिस्टल शूटर मनु भाकर एक ओलम्पिक ही में दो पदक (दोनों ब्रॉन्ज, एक सरबजोत सिंह के साथ) जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनी। शैटॉरौक्स के नेशनल शूटिंग सेंटर में उन्होंने 30 जुलाई को चौथे दिन सरबजोत सिंह के साथ 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित स्पर्धा का कांसा जीता और 28 जुलाई को दूसरे दिन उन्होंने महिला 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा का ब्रॉन्ज मेडल जीतकर अपना अभियान शुरू किया था। तीसरा ब्रॉन्ज मेडल स्वप्निल कुसाले ने 1 अगस्त को छठे दिन पुरुष व्यक्तिगत 50 मीटर थ्री पोजीशन राइफल स्पर्धा में जीता है। इस तरह निशानेबाजी से भारत को सबसे ज्यादा तीन पदक (तीनों ब्रॉन्ज) निशानेबाजी से मिले।

   खेलों के 14वें दिन भारत को कुश्ती में अपने एकलौता मेडल मिला, जब अमन सहरावत ने कांस्य पदक जीता। अमन पेरिस ओलम्पिक में भारत के अकेले पुरुष पहलवान के तौर पर उतरे थे और उन्होंने मेंस फ्रीस्टाइल कैटगरी में 57 किलोग्राम स्पर्धा की ब्रॉन्ज मेडल कुश्ती में प्यूर्टो रिको के डेरेन टोई क्रूज को 13-5 से हराया। विनेश फोगाट के साथ दुर्भाग्यशाली घटना के बाद उनकी इस जीत ने यह सुनिश्चित किया कि भारतीय पहलवान पेरिस से खाली हाथ न लौटें।

  • टोक्यो के मुकाबले फीका रहा प्रदर्शन

अगर पेरिस में भारतीय प्रदर्शन की तुलना उसके टोक्यो ओलम्पिक के साथ की जाए, तो निश्चित रूप से यह ऊपर जाता हुआ तो नहीं दिखाई देगा। पिछले ओलम्पिक में भारत को एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल मिले और वो तालिका में 48वें पायदान पर रहा था, जो कि इस बार के 71वें स्थान से बहुत बेहतर है। इस बार नीरज पाकिस्तान के अरशद नदीम के रिकॉर्ड तोड़ थ्रो के कारण अपना गोल्ड नहीं बचा पाए। तो टोक्यो में सिल्वर मेडललिस्ट मीराबाई चानू इस बार चौथे स्थान पर रहकर पोडियम फिनिश करने से एक किलोग्राम के अंतर से चूक गईं। पिछली बार कुश्ती में भारत को दो पदक मिले थे, जिसमें रवि दहिया का सिल्वर और बजरंग पूनिया का कांस्य शामिल था। लेकिन इस बार अमन कांसे के साथ कुछ लाज बचा पाए। रियो और टोक्यो में पदक की जीतने वाली पीवी सिंधु का अभियान प्री-क्वार्टर फाइनल में समाप्त हुआ। पिछली बार कांस्य पदक जीतने वाली मुक्केबाज लवलीना बोरगोहिन पेरिस में क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाई। इस तरह टोक्यो में कमाल दिखाने वाले हमारे बॉक्सर, शटलर और वेटलिफ्टर खाली हाथ लौटे।  

  • दर्द दे गई विनेश और निशा की विदाई

पेरिस में विनेश पर भाग्य और निशा दहिया पर चोट की मार पड़ी। चैंप डे मार्स में ग्रैंड पैलेस एफेमेरे में हुई कुश्ती में अमन सहरावत के ब्रॉन्ज से पहले दो दिल तोड़ने वाली खबरें आई थी। प्रतियोगिता के दसवें दिन 5 अगस्त को निशा दहिया महिला 68 किलोग्राम फ्री-स्टाइल कैटागरी में उतरी थी लेकिन क्वार्टर फाइनल कुश्ती उनकी और भारतीय खेल प्रेमियों के लिए दुखद याद में तब्दील हो गया। इस मुकाबले की समाप्ति से एक मिनट पहले तक निशा 8-1 के स्कोर के साथ आराम से जीतती हुई नजर आ रही थी। लेकिन पहले उसकी दाहिने हाथ की अंगुलियां चोटिल हुई और फिर एक दांव के दौरान दाहिना कंधा अपनी जगह से हिल गया। बुरी तरह से दर्ज और आंसुओं के बावजूद निशा ने बेमिसाल बहादुरी दिखाते हुए कुश्ती छोड़ी नहीं और लड़ना जारी रखा। लेकिन उनकी चोट का फायदा नॉर्थ कोरियन पहलवान पाक सोल-गुम ने फायदा उठकर 10 -8 से जीत निशा के बेइंतिहां दर्द को कभी ना भूलने वाले दर्ज को तब्दील कर दिया।

   गेम्स के 12वें दिन 7 अगस्त को दिन भारत और उसके के नजरिये से सबसे ज्यादा दिल तोड़ देने वाला रहा, जब विनेश फोगाट महिला 50 किलोग्राम फ्री-स्टाइल कैटागरी का गोल्ड जीतती नजर आ रही थी क्योंकि वह 6 अगस्त को फाइनल में पहुंचकर पदक तो पक्का कर चुकी थी। लेकिन बुधवार की सुबह फाइनल से पहले वो और उसकी टीम बढ़े हुए वजन को तय मानदंडों के अनुरूप कम नहीं कर पाई। हालांकि रातभर जद्दोजहद करके  2.7 किलोग्राम के ज्यादा वजन को काफी हद तक घटा दिया था लेकिन सुबह तौले गए वजन में विनेश का भार लगभग 100 ग्राम ज्यादा पाया गया, जिस कारण उसको आईओसी ने अयोग्य घोषित करके सबसे निचले स्थान पर डाल दिया।  

  इस दुखद घटना से एक दिन पहले विनेश ने अपने पहले मुकाबले में दुनिया की नंबर एक पहलवान और टोक्यो ओलम्पिक की गोल्ड मेडललिस्ट जापानी पहलवान युई सुसाकी को 3-2 से हराकर तहलका मचा दिया था। उसके बाद क्वार्टर फाइनल कुश्ती में उसने आठवीं सीड यूक्रेन की ओसांका लिवाच को 7-5 से हराया और फिर सेमीफाइनल कुश्ती में क्यूबा की गुजमैन लोपेज को 5-0 से हराकर अपना पदक पक्का कर लिया था।

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