राजेंद्र सजवान
डीएसए सीनियर डिवीजन लीग के सफल आयोजन के बाद लीग सब-कमेटी के चेयरमैन जगदीश मल्होत्रा, कन्वीनर आनंद डबास और को-कन्वीनर नईम ने अंतत: चैन की सांस जरूर ली होगी। लीग में कुल 11 क्लब शामिल हुए, जिनमें से छह सुपर सिक्स में पहुंचे और पांच रेलीगेशन राउंड में खेलने के लिए विवश हुए। अब कौन प्रीमियर लीग में दाखिल होगा और कौन ‘ए’ डिवीजन में डुबकी लगाएंगे पूरी तरह तय नहीं है, क्योंकि बात-बात पर राजनीति करना और ऊंची पहुंच वाले क्लबों को बचाना-गिराना दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) का चरित्र रहा है। अब देखना होगा कि कौन बलि का बकरा बनता है।
फिलहाल सीनियर डिवीजन लीग की बात करें तो दिल्ली की सुलगती गर्मी में डॉ. बीआर अम्बेडकर स्टेडियम से ईस्ट विनोद नगर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स पहुंची लीग का समापन ‘फ्लड लाइट’ में हुआ। यह यात्रा कभी कभार रोमांचक रही तो रोज ही ऐसे अवसर भी आए जब मुट्ठी भर फुटबॉल प्रेमी भाग लेने वाले खिलाड़ियों और उनके क्लब प्रमुखों को धिक्कारते पाए गए। आरोप लगाए गए कि लीग में मिलीभगत का खेल चल रहा है। अर्थात मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी खुलकर हो रही है। नतीजा यह रहा कि फुटबॉल प्रेमियों ने स्टेडियम का रुख करना ही छोड़ दिया। इस प्रकार की शिकायत लीग सब-कमेटी तक भी पहुंची। रेफरियों में से कई एक ने यहां तक माना कि खिलाड़ी, कोच और उनके संरक्षक संदेहास्पद सुरों में मिलीभगत करते देखे गए।
इसमें कोई दो राय नहीं कि नेशनल यूनाइटेड, यूनाइटेड भारत, हिन्दुस्तान एफसी, अजमल एफसी, वायुसेना, उत्तराखंड एफसी, सिटी एफसी, गढ़वाल डायमंड, जगुआर, शास्त्री एफसी जैसे क्लब अच्छी फुटबॉल के लिए जाने जाते रहे हैं। इनमें से ज्यादातर क्लबों में नॉर्थ-ईस्ट और कोलकाता के खिलाड़ी शामिल हैं।
हालांकि साक्ष्यों के आभाव में किसी भी खिलाड़ी, कोच, क्लब और उसके टीम प्रबंधन पर आरोप लगाना गलत होगा। लेकिन कुछ मैचों में गोलकीपर और रक्षापंक्ति के खिलाड़ी विपक्षी फॉरवर्ड को गोल मारने का न्योता देते हुए पाए गए। प्रीमियर लीग में बकायदा एक क्लब के रक्षकों ने अपने ऊपर दो गोल दाग दिए, क्योंकि विपक्षी फॉरवर्ड खाली गोल में गेंद नहीं डाल पा रहे थे। यह मामला ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) तक पहुंच चुका है और फुटबॉल का नंगा नाच देश-विदेश में देखा गया है। सुना है जांच भी चल रही है।
सीनियर डिवीजन जीतने वाली और प्रीमियर लीग में दाखिल होने वाली टीमों को बधाई। कौन-कौन ‘खेला’ में शामिल है कोई भी खुलकर नहीं बता रहा या बताना नहीं चाहता। देर से ही सही, लेकिन फुटबॉल गतिविधियां निरंतर जारी रखने के लिए डीएसए साधुवाद की पात्र है। खासकर आयोजन समिति की पीठ थपथपानी होगी, जिसने लू के थपेड़ों और मिलीभगत की थू-थू को बखूबी झेला।