- पेरिस ओलम्पिक गेम्स के छठे दिन भारत की तीसरा ब्रॉन्ज मेडल गिरा, क्योंकि मनु भाकर और सरबजोत सिंह के बाद स्वप्निल कुसाले ने भी पदक विजेताओं में अपना नाम दर्ज कराया
- गुरुवार को दो बार की पदक विजेता पीवी सिंधु, स्टार मुक्केबाज निकहत जरीन और पदक के निश्चित दावेदार माने जा रहे सात्विकसाईराज रेंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी की हार से भारतीय अभियान दहल गया
- इन अघातों के बाद भारतीय खेल उस मोड़ पर आ खड़े हुए हैं, जहां से खेल महाशक्ति बनने की उम्मीद खुद को धोखा देने जैसी लगती है
राजेंद्र सजवान
पेरिस ओलम्पिक खेलों का छठा दिन भारतीय नजरिये से इसलिए ठीक-ठाक रहा, क्योंकि निशानेबाजी में भारत की झोली में तीसरा कांस्य पदक गिरा। मनु भाकर और सरबजोत सिंह के बाद स्वप्निल कुसाले ने भी पदक विजेताओं में अपना नाम दर्ज कराया। लेकिन कुल प्रदर्शन पर सरसरी नजर डाले तो गुरुवार, एक अगस्त को भारत के तीन बड़े विकेट गिरे। भले ही भारतीय हॉकी टीम को पहली हार नसीब हुई लेकिन हॉकी टीम का सफर जारी है। लेकिन बैडमिंटन में दो बार की ओलम्पिक पदक विजेता पीवी सिंधु, स्टार मुक्केबाज निकहत जरीन और अमित पंघल की हार ने कई दिल तोड़े, तो पदकों का अंबार लगाने की भारतीय उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया। सबसे बड़ा अघात पदक के निश्चित दावेदार माने जा रहे सात्विकसाईराज रेंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी की हार के रूप में लगा। सिंधु, निकहत और वर्ल्ड नंबर तीन बैडमिंटन जोड़ी की हार को पेरिस ओलम्पिक में भारत की सबसे बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है।
पहले ही दो ओलम्पिक पदक जीत चुकी पीवी सिंधु 29 साल की उम्र में पेरिस में हैट्रिक लगाने की उम्मीद बांधे थी लेकिन चीनी खिलाड़ी ही बिंग इस बार उस पर भारी पड़ी। इस प्रकार सिंधु का सपना बिखर गया। उधर, महिला मुक्केबाजी में पदक की प्रबल दावेदार मानी जा रही निकहत जरीन भी अपने पहले ओलम्पिक में कसौर पर खरी नहीं उतर पाई। उसे चीन की वर्ल्ड चैम्पियन वू यी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। हार के बाद उसने देशवासियों से माफी मांगी और भरोसा दिया कि वह अगली बार बेहतर तैयारी के साथ आएगी और पदक जीत ले जाएगी।
भारतीय नजरिये से तीसरा बड़ा विस्फोट सात्विकसाईराज और चिराग की जोड़ी की हार के साथ हुआ। उन्हें मलयेशिया के आरोन चिया और वोई मिक की जोड़ी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। नीरज चोपड़ा के बाद इस जोड़ी पर भारतीय उम्मीदें टिकी थीं और माना जा रहा था कि पहली बार ओलम्पिक में भारत को कोई गोल्ड मिल सकता है। इस जोड़ी के दम पर भारतीय खेल आका पदक तालिका में ऊंची उछाल का दम भरते नजर आ रहे थे। लेकिन सिंधु, निकहत और सात्विक-चिराग का दीपक बुझते ही भारतीय उम्मीदों पर बड़ा प्रहार हुआ। नतीजन भारतीय खेल उस मोड़ पर आ खड़े हुए हैं, जहां से खेल महाशक्ति बनने की उम्मीद खुद को धोखा देने जैसी लगती है।