राजेन्द्र सजवान
आईपीएल में मुम्बई इंडियंस के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद टीम प्रबंधन, कोच और खिलाड़ियों की भूमिका को लेकर तरह-तरह के सवाल पूछे जा रहे हैं। शुरुआती दौर में खिताबी जीत की प्रबल दावेदार मानी जा रही मुंबई टीम में देश के महानतम क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के पुत्र 22 वर्षीय अर्जुन की उपस्थिति और बिना कोई मैच खेले टीम में बने रहने को लेकर भी खुसफुसाहट चल रही है।
दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर अर्जुन की बहन और सचिन की बिटिया सारा तेंदुलकर की खूबसूरती के चर्चे भी आम हैं। बेशक, सारा अपने भाई से कहीं ज्यादा चर्चित हैं और खेल प्रेमियों एवं आम भारतीय के बीच चर्चा में हैं और खूब सुर्खियां बटोर रही हैं। जहां तक सारा की बात है तो उसे मिल रही पब्लिसिटी फायदे का सौदा हो सकती है लेकिन अर्जुन का बार-बार नाम उछाला जाना उसके करियर के लिए नुकसानदेय भी हो सकता है।
अर्जुन को आईपीएल में स्थान मिलना, फर्स्ट इलेवन के योग्य न समझा जाना इस बात का संकेत है कि दुर्भाग्य उसका पीछा नहीं छोड़ रहा। यह भी कहा जा रहा है कि उसे स्टारपुत्र होने की सजा मिल रही है। यदि सचमुच ऐसा है तो तेंदुलकर परिवार के लिए शुभ लक्षण नहीं कहा जा सकता।
भारत रत्न पिता के पुत्र के लिए राष्ट्रीय टीम में जगह पाना उसी प्रकार मुश्किल होता जा रहा है जैसे रोहन गावस्कर अपने यशस्वी पिता सुनील गावस्कर की छाया तले दबे कर रह गया था।
यह जरूरी नहीं है कि हर एक महान पिता का बेटा भी महान और अपने पिता की तरह कामयाब हो। लेकिन यह सही है कि कुछ बच्चे अपने पिता की छाया में दबकर रह जाते हैं। सिने जगत के महानतम कलाकार अमिताभ बच्चन का उदाहरण सामने है। उनका बेटा अभिषेक भी पिता के विराट रूप के सामने पनप नहीं पाया। हालांकि खुद अमिताभ कहते है कि अभिषेक में उनसे भी बड़ा कलाकार छिपा है।
जहां तक अर्जुन की बात है तो खेलने का सही वक्त और उम्र उसके हाथ से निकल रहे हैं। पिता सचिन आईपीएल या टीम इंडिया में उसके लिए कोई सिफारिश करने को कतई तैयार नहीं हैं। वह साफ तौर पर कह चुके हैं कि उसे और बेटी सारा को अपना टारगेट खुद तय करना है। उन्हें अपना भविष्य अपने दम पर बनाना है।