- देश के जाने-माने फुटबॉल क्लब दिल्ली एफसी और तरुण संघा के बीच मैच महज तीन मिनट में निपट गया
- जब दिल्ली एफसी ने मात्र सात खिलाड़ियों के साथ मैदान पर प्रवेश किया और तीन मिनट में धृतेंद्र मेहरा को चोटिल होने के कारण मैदान छोड़ना पड़ा
- दिल्ली एफसी जैसा चैम्पियन क्लब ही हर बार विवाद के केंद्र में रहता है, क्योंकि उसने ऐसा तीसरी बार किया है
- दिल्ली एफसी ने पहले गढ़वाल हीरोज और फिर रॉयल रेंजर्स के खिलाफ नियमों की अनदेखी की
- क्लब के डायरेक्टर हेमचंद के अनुसार डीएसए को नए खिलाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के बारे में कहा गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। नतीजन क्लब उपलब्ध खिलाड़ियों को उतारने के लिए बाध्य है
राजेंद्र सजवान
‘डीएसए हाय-हाय’, ‘ओर्गनाइजिंग कमेटी हाय-हाय’…के नारों के बीच आज राजधानी दिल्ली स्थित डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम में देश के जाने-माने फुटबॉल क्लब दिल्ली एफसी और तरुण संघा के बीच खेला गया मैच महज तीन मिनट में निपट गया। ऐसे में जब दिल्ली प्रीमियर लीग अपने पूरे शबाब पर है, किसी मैच का इस प्रकार तमाशा बन जाना ना सिर्फ खेल भावना के विरुद्ध है अपितु देश की राजधानी की फुटबॉल तमाशा बन कर रह गई।
अंक तालिका में बहुत पीछे चल रही तरुण संघा के विरुद्ध दिल्ली एफसी ने मात्र सात खिलाड़ियों के साथ मैदान पर प्रवेश किया। अभी तीन मिनट का खेल ही हुआ था कि धृतेंद्र मेहरा को चोटिल होने के कारण मैदान छोड़ना पड़ा। नियमों के अनुसार, सात से कम खिलाड़ी होने की स्थिति में टीम को शेष मैच नहीं खेलने दिया जा सकता। फिलहाल फैसला रेफरी और मैच कमिश्नर की रिपोर्ट पर निर्भर है लेकिन इतना तय है कि तरुण संघा को तीन अंक और तीन गोल दिए जा सकते हैं। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। दिल्ली प्रीमियर लीग के दूसरे संस्करण के दौरान पहले भी दो अवसरों पर इस प्रकार की तमाशेबाजी हो चुकी है।
अफसोस इस बात का है कि दिल्ली एफसी जैसा चैम्पियन क्लब ही हर बार विवाद के केंद्र में रहता है। पहले गढ़वाल हीरोज और फिर रॉयल रेंजर्स के खिलाफ दिल्ली एफसी ने नियमों की अनदेखी की। क्लब ने अपनी सफाई में बताया कि उसके खिलाड़ी अन्य आयोजनों में व्यस्त हैं। डीएसए से रजिस्ट्रेशन विंडो खोलने के लिए निवेदन किया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। क्लब के डायरेक्टर हेमचंद के अनुसार डीएसए को नए खिलाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के बारे में कहा गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। नतीजन क्लब उपलब्ध खिलाड़ियों को उतारने के लिए बाध्य है। डीएसए सूत्रों के अनुसार पूर्व कोषाध्यक्ष हेमचंद ने डीएसए के ऑनरेरी पैट्रन पद से त्यागपत्र दे दिया है।
उस समय जब दिल्ली राष्ट्रीय फुटबॉल के मानचित्र पर अलग पहचान बनाने के लिए संघर्षरत है और ग्रासरूट, स्कूल, कॉलेज, क्लब स्तर के अनेक आयोजन किए जा रहे हैं, ऐसे में डीएफसी और डीएसए के बीच का टकराव खेल बिगाड़ सकता है। कुल मिलाकर बॉल अब डीएसए के पाले में है।