June 16, 2025

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दिल्ली की तैराकी नर्सरी के साथ कौन कर रहा है खिलवाड़?

  • दिल्ली सरकार के 26 स्विमिंग पूल या तो बंद पड़े हैं या फिर निष्क्रिय हैं, जिनको वार्षिक स्कूली परीक्षा के तुरंत बाद मार्च के महीने में शुरू हो जाना चाहिए था
  • दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग (खेल) के मुख्यालय छत्रसाल स्टेडियम में बैठे शीर्ष अधिकारी इन स्विमिंग पूलों को शुरू करने को लेकर उदासीन नजर आते हैं, क्योंकि लगातार दूसरे साल भी सरकारी स्विमिंग पूल खोलने में अनावश्यक देरी हुई है
  • इस उदासीनता ने दिल्ली की तैराकी और उससे जुड़े लगभग 8,000 स्कूली छात्रों और उन्हें प्रशिक्षण देने वाले कोचों व अन्य स्टाफ के भविष्य को अधर में डाल दिया है
  • छात्र माकूल परिस्थितियां नहीं मिलने की वजह खेलों खासतौर पर तैराकी से मुंह मोड़ लेंगे और प्रतिभाशाली तैराक बेहतर अवसरों के लिए दूसरे राज्यों का रुख करेंगे

अजय नैथानी

एक कहावत है… ‘चिराग तले अंधेरा’….एक ऐसा ही हाल भारत की राजधानी दिल्ली के खेलों का है। कहने को तो दिल्ली देश की राजधानी है और तमाम सुविधाओं से लैस है लेकिन यहां प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के साथ खिलवाड़ की खबरें अक्सर सामने आती है और ऐसा ही कुछ खिलवाड़ दिल्ली के तैराकों, उनके अभिभावकों और कोचिंग स्टाफ (कोच, लाइफ गार्ड एवं अन्य) के साथ हो रहा है। वजह है दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग के अधीन चलने वाले स्विमिंग पूलों का समय पर नहीं खुलना या फिर ‘ऊपर’ से इसकी इजाजत नहीं मिलना या फिर जानबूझकर देरी करना। लिहाजा, दिल्ली सरकार के 26 स्विमिंग पूल या तो बंद पड़े हैं या फिर निष्क्रिय हैं, जिनको वार्षिक स्कूली परीक्षा के तुरंत बाद मार्च के महीने में शुरू हो जाना चाहिए था।  पहले यह माना जाता था कि यह दो सरकारों (केंद्र की भाजपा और केंद्र शासित राज्य की आप सरकारों) के बीच का टकराव है, जिस कारण देश की राजधानी में खेल की स्थिति गड़बड़ाई हुई है। केंद्र द्वारा सर्वाधिकार प्राप्त उप-राज्यपाल और इस केंद्र शासित प्रदेश की राज्य सरकार काम करने की बजाय एक-दूसरे पर आरोप लगाते थे लेकिन अब केंद्र और दिल्ली में एक ही पार्टी की सरकार बन चुकी है लेकिन यहां खेलों के हालात जस के तस बने हैं। आखिर इस उदासीनता की वजह क्या है? जिसने दिल्ली की तैराकी और उससे जुड़े लगभग 8,000 स्कूली छात्रों और उन्हें प्रशिक्षण देने वाले कोचों व अन्य स्टाफ के भविष्य को अधर में डाल दिया है।

  • 58वीं दिल्ली राज्य तैराकी प्रतियोगिता की घोषणा हो चुकी है लेकिन पूल तैयार नहीं

   अब चिंता का विषय यह है कि दिल्ली स्विमिंग एसोसिएशन (डीएसए) की तदर्थ कमेटी के चेयरमैन एसके साहू ने 58वीं दिल्ली राज्य तैराकी प्रतियोगिता के आयोजन की घोषणा कर दी है, जो कि 26 व 27 मई 2025 को राजधानी के तालकटोरा स्टेडियम में होगी। इस टूर्नामेंट में प्रदर्शन के आधार पर खिलाड़ियों का चयन दिल्ली की टीम में होगा, जो 22 से 26 जून 2025 तक भुवनेश्वर में होने वाली राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में शिरकत करेगी।  

  • गरीब स्कूली छात्रों का भविष्य अधर में

   राजधानी की तैराकों की नर्सरी बन चुके दिल्ली सरकार के 26 तरणताल अभी तक बंद पड़े, इसकी वजह क्या है दिल्ली की तैराकी से जुड़े जानकारों को भी नहीं मालूम। दिल्ली की तैराकी को नजदीक से जानने वालों के अनुसार, लेकिन इस वजह से खिलवाड़ सरकारी स्कूलों के उन गरीब स्कूली छात्रों के साथ हो रहा है, जो अपनी तैयारियों के लिए दिल्ली के तरणतालों पर बहुत हद तक निर्भर है क्योंकि वे निजी स्विमिंग पूल और वहां मौजूद कोचों का खर्च उठाने की क्षमता नहीं रखते हैं। सूत्रों की माने तो ये सभी तरणताल दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग (खेल) के मताहत काम करते हैं, जिसका मुख्यालय छत्रसाल स्टेडियम में हैं लेकिन वहां बैठे शीर्ष अधिकारी इन स्विमिंग पूलों को शुरू करने को लेकर उदासीन व अनिच्छुक नजर आते हैं, क्योंकि लगातार दूसरे साल भी सरकारी स्विमिंग पूल खोलने में अनावश्यक देरी हुई है।   

  • कोचों, लाइफ गार्डों एवं अन्य स्टाफ (अनुबंधित) को समय पर नहीं मिलता है वेतन

   इस बदहाली की एक प्रमुख वजह इन तरणतालों को संभाल रहे कोचों, लाइफ गार्डों और उनसे अन्य स्टाफ को समय पर तनख्वाह ना मिलना रहा है। ये सभी दिल्ली सरकार को करार के तहत अपनी सेवाएं दे रहे है, जिनमें से एक कुछ तो 1998 से अनुबंधित कोच हैं। इसके अलावा उन्हें केंद्र एवं दिल्ली के संबंधित विभागों (भारतीय खेल प्राधिकरण, नगर निगम और दिल्ली पुलिस) से जरूर क्लीयरेंस का समय पर नहीं मिलना है, जो कि लालफीताशाही के कारण लटकी हुई है और निचला स्टाफ इंतजार करता रह जाता है।

  • संबंधित विभागों एवं अधिकारियों को सक्रिय मोड पर आने की जरूरत

   बहरहाल, अभी भी बहुत देर नहीं हुई, लेकिन यह जरूरी है कि इसके लिए केंद्र और दिल्ली सरकार के संबंधित विभाग सक्रिय मोड पर आए और तरणतालों को चालू करने में तत्परता दिखाएं। अगर ऐसा नहीं होता तो छात्र माकूल परिस्थितियां नहीं मिलने की वजह खेलों खासतौर पर तैराकी से मुंह मोड़ लेंगे। प्रतिभाशाली तैराक बेहतर अवसरों की तलाश में दूसरे राज्यों का रुख करेंगे। यह देश की राजधानी की तैराकी के लिए बड़ा झटका होगा, क्योंकि जब खेलों की नर्सरी से खिलाड़ी नहीं निकलेंगे, तो राज्य, राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदकों की उम्मीद करना बेमानी होगा।

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