दिल्ली पुलिस की वापसी से क्लबों के होश उड़े

  • नार्थ ईस्ट के खिलाड़ियों से सजी दिल्ली पुलिस ने डीएसए बी‘  डिवीज़न लीग का खिताब जीतकर राजधानी की फुटबॉल जगत में खलबली मचाई दी है
  • राजधानी की टॉप टीमों में गिनी जाने वाली दिल्ली पुलिस टीम विभागीय खामियों के चलते रसातल में चली गई थी
  • उसकी सफलता से घबराए स्थापित क्लब विभागीय टीमों के लिए हमेशा की तरह अलग संस्थानिक लीग के आयोजन की मांग कर रहे हैं
  • छोटेबड़े क्लबों को इस बात का डर है कि यदि इसी प्रकार संस्थान की टीमों की घुसपैठ होती रही तो उनके लिए तरक्की के रास्ते बंद हो सकते हैं

राजेंद्र सजवान

हाल ही में खेली गई डीएसए दिल्ली ‘बी’  डिवीज़न लीग की चैंपियन टीम का खिताब दिल्ली पुलिस ने जीत कर बड़ा धमाका किया है l लेकिन दिल्ली की टीम के खिलाड़ियों पर सरसरी नज़र डालें तो  यह टीम नार्थ ईस्ट पुलिस  जैसी लगती है l लेकिन हैरान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि भारतीय फुटबाल में मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, असम, मेघालय आदि प्रदेशों के खिलाड़ी धूम मचाए हुए है l उनके दम पर दिल्ली पुलिस की फुटबॉल फिर से जी उठी है जोकि स्वागत योग्य है l

   हालांकि दिल्ली की फुटबॉल में ऐसा बहुत कुछ चल रहा है, जिसे लेकर डीएसए पदाधिकारियों में टकराव बढ़ रहा है। गुटबाजी जोरों पर है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों का प्रदर्शन इसलिए शानदार कहा जाएगा, क्योंकि विभिन्न आयु वर्गों में अकादमी स्तर पर और क्लब आयोजन में दिल्ली की फुटबॉल बेहतर कर रही है। हाल ही में राष्ट्रीय खेलों में अर्जित तीसरा स्थान  शानदार कहा जाएगा लेकिन फिलहाल चर्चा दिल्ली पुलिस का ‘बी’ डिवीजन लीग का खिताब जीतने की है।

   बेशक, सालों बाद पुलिसकर्मियों का रंगत  में लौटना शानदार रहा। कुछ साल पहले तक दिल्ली पुलिस टीम की गिनती राजधानी की टॉप टीमों में थी। विभागीय खामियों के चलते दिल्ली पुलिस की फुटबॉल टीम पर लगभग ताले लग गए थे। लेकिन लीग खिताब के साथ पुलिसकर्मियों की धमाकेदार वापसी को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। स्थानीय क्लब, जिनसे लाखों लेकर सदस्यता दी गई है और पूर्व स्थापित क्लब मांग कर रहे है कि विभागीय टीमों के लिए हमेशा की तरह अलग संस्थानिक लीग का आयोजन किया जाए।

   फिलहाल, डीएसए में भारतीय  वायु सेना, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और दिल्ली पुलिस प्रमुख संस्थानिक क्लब हैं। छोटे-बड़े क्लबों को इस बात का डर है कि यदि इसी प्रकार संस्थान की टीमों की घुसपैठ होती रही तो उनके लिए तरक्की के रास्ते बंद हो सकते हैं। देखा जाए तो क्लब अधिकारियों की चिंता जायज है और अलग से संस्थानिक क्लबों की लीग का आयोजन भी फुटबॉल की बेहतरी के लिए सही रहेगा। जहां एक तरफ क्लब सुरक्षित रहेंगे तो संस्थानिक लीग के नियमित आयोजन से खिलाड़ियों को स्पोर्ट्स कोटे की नौकरियां भी मिलेंगी। दुर्भाग्यवश, ऐसा दिल्ली और देश में कहीं नहीं हो रहा है।

   संस्थानिक फुटबॉल का पिछला इतिहास देखें तो डेसू, दिल्ली ऑडिट, भारतीय खाद्य निगम, डीडीए, पीएनबी, ओबीसी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, रेलवे, डीटीसी आदि संस्थानों ने फुटबॉल  में बड़ा नाम कमाया है। प्रतिभावान खिलाड़ियों को नौकरियां दी गईं। लेकिन अब सब कुछ बर्बाद हो चुका है। संस्थानिक टीमों की पहचान खत्म हो गई है l प्रतिभावान फुटबॉलर और अन्य खिलाड़ी बेरोजगार घूम रहे हैं औऱ खेल से दूर हो रहे हैं। ऐसे में दिल्ली पुलिस की वापसी नई उम्मीद कही जाएगी l होगा सकता है अन्य विभागों को भी समझ आ जाए l लेकिन साथ ही यह मांग भी की जा रही है कि विभागीय  लीग (टूर्नामेंट ) अलग से आयोजित किए जाएंl

1 thought on “दिल्ली पुलिस की वापसी से क्लबों के होश उड़े”

  1. Departmental teams hamesha sei regular kilabs sei havi rahteu haii, eg CISF, Air Force, DP , in teamo pei sarkar kei lakho cr kharch hotei hai , jabki stapith kilabo keii pasd limited resource hotei hai!
    Bakii Dp ko A div mei promote honei ki hardik shubhkamnaie!!
    ⚽️🍁

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