- प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दिल्ली की फुटबॉल में इस प्रकार की हिंसा शायद ही पहले कभी देखने को मिली हो
- यूनाइटेड भारत के कप्तान सौरभ चौधरी को गंभीर चोटें आई हैं और उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया
- रेफरी मनीष वशिष्ठ ने दोनों तरफ के तीन-तीन खिलाडियों और एक-एक ऑफिसियल को लाल कार्ड दिखाए
- फ्रेंड्स यूनाइटेड के कप्तान आदित्य कुमार, महिप अधिकारी, अभय सिंह और टीम मैनेजर बिजेन्दर प्रसाद और यूनाइटेड भारत के मिलोन सरदार, एस के अफसर, कप्तान सौरभ चौधरी और कोच सुमन बनर्जी को रेड कार्ड दिखाकर बाहर भेजा गया
- इस खूनी मुकाबले में भले ही फ्रेंड्स यूनाइटेड एफसी की यूनाइटेड भारत पर 3-1 से जीत हुई लेकिन मार-पीट और फ्री फॉर ऑल के चलते फुटबॉल शर्मसार हुई
राजेंद्र सजवान
विवाद, अनुशासनहीनता और अनियमितता से घिरी डीएसए दिल्ली प्रीमियर लीग ने शुक्रवार को वो देखा, जिसकी कल्पना डॉ. बीआर अम्बेडकर स्टेडियम में मौजूद राजधानी दिल्ली के फुटबॉल प्रेमियों ने नहीं की थी। खूनी मुकाबले में भले ही फ्रेंड्स यूनाइटेड फुटबॉल क्लब ने यूनाइटेड भारत को 3-1 से परास्त कर पूरे अंक अर्जित किए लेकिन मार-पीट और फ्री फॉर ऑल के चलते फुटबॉल शर्मसार हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दिल्ली की फुटबॉल में इस प्रकार की हिंसा शायद ही पहले कभी देखने को मिली हो।
नतीजन रेफरी मनीष वशिष्ठ ने दोनों तरफ के तीन-तीन खिलाडियों और एक-एक ऑफिसियल को लाल कार्ड दिखाए। फ्रेंड्स यूनाइटेड के कप्तान आदित्य कुमार, महिप अधिकारी, अभय सिंह और टीम मैनेजर बिजेन्दर प्रसाद और यूनाइटेड भारत के मिलोन सरदार, एस के अफसर, कप्तान सौरभ चौधरी और कोच सुमन बनर्जी को लाल कार्ड देखने पड़े। यूनाइटेड भारत के कप्तान सौरभ चौधरी को गंभीर चोटें आई हैं। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। मैच कमिशनर असलम के अनुसार, दोषियों के नाम अनुशासन समिति को भेज दिए गए हैं।
संघर्षपूर्ण मुकाबले में फ्रेंड्स यूनाइटेड के लिए ईशान ने दो गोल जमाए और एक गोल राणा ने किया। सुदीप्ता मंडल ने यूनाइटेड भारत के लिए सांत्वना गोल किया। इसमें दो राय नहीं कि विजेता टीम ने बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन आखिरी 20 मिनट के खेल में धक्का मुक्की और मार-पीट का जो खेल शुरू हुआ वह ना सिर्फ शर्मनाक था डीपीएल पर बड़ा दाग माना जा रहा है l रेफरी और मैच कमीशनर के अनुसार फसाद की जड़ में विजेता फ्रेंड्स यूनाइटेड के खिलाड़ी और बैंच पर बैठे ऑफिसियल रहे, जिनके नाम फिलहाल गुप्त रखे गए हैं।
मैच देखने आए मुट्ठी भर फुटबाल प्रेमियों ने खूनी मुकाबले को दिल्ली की फुटबाल का काला दिन करार दिया। उल्लेखनीय है कि दिल्ली प्रीमियर लीग देर से शुरू होने और फिक्सिंग के आरोपों के कारण लगातार अपनी छवि खराब कर रही है। लेकिन आज का हादसा इसलिए चिंता का विषय है क्योंकि खिलाडियों ने एक-दूसरे को मारने पीटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके इस कुकृत्य में अधिकारियों का शामिल होना लीग की छवि खराब करता है।
Strict action against the players involved in the free for all fighting is desirable and suspension for remaining matches of the leg besides imposing heavy fine against both the clubs so that such shameful incidents do not reoccur in the remaining league ahead. Moreover, Manager and Coaches, whose duty inside the playfield is crucial and utmost important in order to maintain the discipline amongst their players but instead of controlling the players they joined the fray and instigated their players which made the situation worst which never happened in the history of Delhi Football. At least they deserve the highest punishment including financial penalty. I was there during the incident.