नाराजगी और आरोपों के साथ निपट गए दिल्ली गेम्स

- दिल्ली ओलम्पिक संघ अध्यक्ष कुलदीप वत्स बोले, दिल्ली गेम्स का खेल बिगाड़ने वालों को माफी नहीं
- वत्स ने स्वीकार किया कि दिल्ली सरकार से फिलहाल किसी प्रकार कि आर्थिक मदद नहीं मिली है और अपनी जेब एवं करीबी मित्रों के सहयोग से खेल संपन्न कर पाए है
- डीओए अध्यक्ष ने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया था कि वो खिलाड़ियों के हितों को प्राथमिकता नहीं दे रही लेकिन एक बार फिर इस प्रकार की बातें निकल कर आ रही हैं
- कुछ खेलों में बाहरी प्रदेशों के खिलाड़ियों के भाग लेने के आरोप लगाए हैं और क्या जांच हो पाएगी
- कुछ खिलाड़ियों को ट्रैक सूट, मेडल, यूनिफॉर्म और खेल उपकरण मुहैया नहीं कराए गए, ऐसे आरोप लगे हैं समापन दिवस पर बहुत से खिलाड़ी, कोच और मेजबान इसलिए नाराज थे क्योंकि उन्हें सर्टिफिकेट और मेडल नहीं दिए गए
- बहुत से खिलाड़ी, कोच और रेफरी-जज यह मूड बनाकर आए थे कि समापन दिवस पर खेल मंत्री के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त करेंगे
- मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने तालकटोरा स्टेडियम में उद्घाटन दिवस पर कहा था कि 20 खेलों में लगभग 22000 खिलाड़ी भाग लेंगे लेकिन यह आंकड़ा बाद में घटकर 11 हजार हो गया
राजेंद्र सजवान
दिल्ली गेम्स 2025 निपट गए। हालांकि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने तालकटोरा स्टेडियम में उद्घाटन दिवस पर खिलाड़ियों और खेलों से जुड़े तमाम कोचों, अधिकारियों और विभिन्न खेलों को संबोधित करते हुए कहा था कि 20 खेलों में लगभग 22000 खिलाड़ी भाग लेंगे। यह आंकड़ा बाद में घटकर 11 हजार हो गया। हालांकि खेलों की संख्या दोगुनी हो गई। यह समीकरण खेल निपट जाने के बाद भी रहस्य बना हुआ है। पिछली सरकार पर दिल्ली ओलम्पिक एसोसिएशन (डीओए) से वादा खिलाफी के आरोप लगे थे।
कुलदीप वत्स के नेतृत्व वाली राज्य इकाई डीओए ने कहा था कि केजरीवाल सरकार खिलाड़ियों के हितों को प्राथमिकता नहीं दे रही। एक बार फिर इस प्रकार की बातें निकल कर आ रही हैं। कुछ खिलाड़ियों को ट्रैक सूट, मेडल, यूनिफॉर्म और खेल उपकरण मुहैया नहीं कराए गए, ऐसे आरोप लगे हैं। समापन दिवस पर बहुत से खिलाड़ी, कोच और मेजबान इसलिए नाराज थे क्योंकि उन्हें सर्टिफिकेट और मेडल नहीं दिए गए। बहुत से खिलाड़ी, कोच और रेफरी-जज यह मूड बनाकर आए थे कि समापन दिवस पर खेल मंत्री के सामने अपनी पीड़ा व्यक्त करेंगे। लेकिन कुछ अपरिहार्य कारणों और जरूरी सरकारी बैठक के चलते खेल मंत्री नहीं पहुंच पाए। बहुत से दबंग खिलाड़ी और कोचों ने बकायदा खेल मंत्री और मुख्यमंत्री के सामने तमाम अनियमितताओं की शिकायत करने का फैसला कर लिया था।
इस बारे में जब दिल्ली ओलम्पिक संघ अध्यक्ष कुलदीप वत्स से पूछा गया तो उन्होंने उलटे आरोप लगाने वालों को आड़े हाथों लिया और उन्हें खेल बिगाड़ने वाला बताया। वत्स के अनुसार कुछ एक पदक- सर्टिफिकेट किसी कारणवश नहीं मिल पाए होंगे। यदि ऐसा है तो अब भी दिए जा सकते हैंl लेकिन जो पहले ही राउंड में बाहर हो गए उनको मैडल कैसे दिया जा सकता है? हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि दिल्ली सरकार से फिलहाल किसी प्रकार कि आर्थिक मदद नहीं मिली है। अपनी जेब और करीबी मित्रों के सहयोग से खेल संपन्न कर पाए हैं। इतना जरूर कहा कि पालिसी बन रही है और पदक विजेताओं को जरूर कुछ मिलेगा।
सवाल यह पैदा होता है कि 11 हजार या 22 हजार में से कितने खिलाड़ियों ने भाग लिया? कुछ खेलों में बाहरी प्रदेशों के खिलाड़ियों के भाग लेने के आरोप लगाए हैं। क्या जांच हो पाएगी? खुद वत्स ने माना कि उन्हें भी शिकायतें मिली हैं और ऐसा करने वाले आयोजकों और कोचों पर सख्त कदम उठाया जाएगा। पूछा यह भी जा रहा है कि ‘दिल्ली ओलम्पिक खेलों’ को ‘दिल्ली गेम्स’ नाम क्यों दिया गया? संभवतया आईओए या डीओए ने ऐतराज किया होगा या कहीं कोई झोल-झाल है! वत्स कहते हैँ कि आईओसी के ऐसे निर्देश हैं, कहीं कोई झोल नहीं हैl
बेहतर होगा कि आयोजक ‘दिल्ली गेम्स’ पर ब्लू प्रिंट निकाल कर पारदर्शिता का प्रदर्शन करें। क्या ऐसा हो पाएगा? इस बारे में वत्स कहते हैं कि पैसे को लेकर कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई। जब कोई मदद मिली ही नहीं तो गड़बड़ कैसे हो सकती है। लेकिन उन्होंने खेल बिगाड़ने वालों को सबक सिखाने का मन बना लिया है। खासकर उन्हें जो कि भाग लेने वाले खिलाड़ियों कि संख्या कम बता रहे हैं और कहीं ज्यादा मेडल, सर्टिफिकेट और ट्रैक सूट की मांग कर रहे हैं।