- भारत की दोयाम दर्जे की टीम मालदीव पर 3-0 की जीत
- कप्तान सुनील छेत्री ने अपना 95वां अंतरराष्ट्रीय गोल दागा
राजेंद्र सजवान
दोस्ताना मुकाबले में मालदीव पर जीत दर्ज करने वाली भारतीय फुटबॉल टीम जश्न मना रही है। देश के सबसे ज्यादा गोल वाले स्टार खिलाड़ी सुनील छेत्री की वापसी के कसीदे पढ़े जा रहे हैं और उसे फिर से क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मेस्सी की क्लास का खिलाड़ी बताया जा रहा है। अपना विदेशी कोच स्टार स्ट्राइकर सुनील छेत्री की वापसी का जायज ठहरा रहा है, तो ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) फिर से अकड़-धकड़ दिखाने लगी है। लेकिन क्या सचमुच जश्न मनाने का समय आ गया है और क्या वर्तमान टीम के भरोसे भारतीय फुटबॉल लुटी-पिटी प्रतिष्ठा वापस पा सकेगी? क्या 2036 में विश्व कप खेलने का सपना पूरा हो पाएगा और क्या 489 दिन बाद मिली जीत पर पागलों जैसा व्यवहार ठीक है?
इन सवालों के जवाब देने से पहले मालदीव की फुटबॉल का पोस्टमार्टम कर लेते हैं। मालदीव की ताजा फीफा वर्ल्ड रैंकिंग 156 के आसपास है और सबसे बेहतर स्थिति 2006 में 126वां स्थान थी। जिस देश को हराने के कसीदे पढ़े जा रहे हैं वह भारत के किसी बड़े गांव जैसा है, जिसकी कुल आबादी पांच लाख बीस हजार के आसपास है। भारतीय फुटबॉल का गुणगान करने से पहले यह भी बता दें कि मालदीव कभी भी फुटबॉल ताकत नहीं रहा।
जहां तक भारतीय फुटबॉल की बात है, तो दशकों पहले ओलम्पिक में धूम मचाने वाले भारत ने दो अवसरों पर एशिया महाद्वीप का चैम्पियन बनने का गौरव पाया। वर्तमान फीफा रैंकिंग 126 है और आबादी 150 करोड़ के आसपास है। अर्थात मालदीव को बमुश्किल हराने वाले दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का फुटबॉल तंत्र बेहद मरा-गिरा है। क्योंकि एक अदना सा मैच जीते महीनों बीत जाते हैं इसलिए मालदीव जैसे देश से मैत्री मैच जीतने का जश्न मनाना तो बनता है। लेकिन जिस किसी ने मैच देखा, यही कह रहा है कि ऐसी कमजोर टीम के भरोसे भारतीय फुटबॉल की पंचर गाड़ी आगे बढ़ने वाली नहीं है। कुछ फुटबॉल विशेषज्ञ तो यह भी कह रहे हैं कि सुनील छेत्री ने वापस लौटकर भारी भूल की है।