पीकेएल है भारतीय कबड्डी की असली ताकत:गोस्वामी
- पीकेएल के चेयरमैन और मशाल स्पोर्ट्स के बिजनेस हेड अनुपम गोस्वामी के अनुसार साल दर साल कबड्डी लीग में खेल का स्तर सुधर रहा है और हर साल छह से आठ प्रतिभावान खिलाड़ी स्थापित खिलाड़ियों का स्थान झपट ले जाते हैं
राजेंद्र सजवान
“विशुद्ध भारतीय खेल कबड्डी साल दर साल और लीग दर लीग लोकप्रिय हो रहा है और यह खेल तब देश के प्रमुख खेलों में शुमार हो जाएगा जब इसे कॉमनवेल्थ और ओलम्पिक खेलों में शामिल किया जाएगा”, प्रो कबड्डी लीग के चेयरमैन और मशाल स्पोर्ट्स के बिजनेस हेड अनुपम गोस्वामी ने शुक्रवार राजधानी दिल्ली में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल के जवाब में कहा। उनके अनुसार साल दर साल पीकेएल में खेल का स्तर सुधर रहा है और हर साल छह से आठ प्रतिभावान खिलाड़ी स्थापित खिलाड़ियों का स्थान झपट ले जाते हैं। चालू लीग के नतीजों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी खिलाड़ी और टीम को कमतर आंकना ठीक नहीं होगा। मैचों के नतीजे गवाह हैं कि कांटे के मुकाबलों में खेल का बढ़ता स्तर साफ नजर आता है। लेकिन कबड्डी में कम देशों की भागीदारी खेल के लिए चिंता का विषय है।

जैसा कि सर्वविदित है कि यह खेल भारत के कारण एशियाड में टिका हुआ है, जिसमें महाद्वीप के गिने चुने देश ही भाग लेते हैं। लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब भाग लेने वालें तीन से चार देशों की टीमों का खर्च भारतीय कबड्डी फेडरेशन उठाता था। पूर्व फेडरेशन अध्यक्ष स्व. जनार्दन गहलोत ने हालांकि इस बारे में कभी भी हामी नहीं भरी लेकिन भारतीय कबड्डी को सजाने संवारने में उनका योगदान बड़ा रहा। हालांकि कबड्डी आज भी वहीं खड़ी है जहां गहलोत छोड़ गए थे। बड़ा बदलाव पीकेएल की शुरुआत से आया है जिसने बाकी खेलों की लीग को फीका कर दिया है। फिर भी सच्चाई यह है कि भारत के अलावा इस खेल में सिर्फ ईरान ही मजबूत टीम है। दोनों की असली भिड़ंत एशियाई खेलों में देखने को मिलती है। यह टकराव कुछ-कुछ भारत-पाक हॉकी जैसा है।

उल्लेखनीय है कि हॉकी में कभी भारत पाक शीर्ष पर थे और दोनों देशों ने कई बार करिश्माई प्रदर्शन किए लेकिन आज कुछ यूरोपीय देश आगे बढ़ निकले हैं। कबड्डी में भारत के सामने ईरान खड़ा है। लेकिन भारतीय कबड्डी की असली ताकत पीकेएल है। अतः कबड्डी की हालात हॉकी जैसी नहीं होने वाली, ऐसा गोस्वामी का दावा है।
