अरब खिलाड़ी न सिर्फ शारीरिक तौर पर ज्यादा दमखम वाले थे अपितु वे बेहतर रणनीति के साथ खेले
उनकी मेस्सी को घेरने और अन्य विपक्षी खिलाड़ियों को लगातार व्यस्त रखने की उनकी योजना काम कर गई
सम्भवत: अर्जेंटीना की हार ऊंची रैंकिंग वाली टीमों के लिए सबक हो सकता है और देखते हैं अगला नंबर किसका लगता है
फीफा रैंकिंग में 51वें नंबर का एशियाई देश यदि तीसरे नंबर की टीम को हरा सकता है तो फिर कुछ और अप्रत्याशित नतीजों के लिए तैयार रहना होगा
सऊदी अरब की जीत ने एशियाई फुटबॉल का गौरव तो बढ़ाया ही है
क्लीन बोल्ड /राजेंद्र सजवान
खेल और जंग में कभी भी कुछ भी हो सकता है लेकिन जैसा फीफा वर्ल्ड कप 2022 के दूसरे दिन मंगलवार को अर्जेंटीना के साथ हुआ शायद ही किसी को उम्मीद रही होगी। खिताब की दावेदार टीमों में शामिल की जा रही सुपर स्टार लियोनेल मेस्सी के नेतृत्व वाली टीम को कोई एशियाई टीम हरा सकती है ऐसा तो अर्जेंटीना के समर्थकों ने बिल्कुल नहीं सोचा होगा।
जो देश विश्व चैम्पियन रहा हो और जिसके पास कप्तान मेस्सी जैसा करिशमाई खिलाड़ी हो, उसको ऐसा दिन देखना पड़ सकता है, लगभग अविश्वसनीय सा है। लेकिन खेल में कभी-कभी ऐसा हो जाता है। हालांकि अर्जेंटीना के पास आगे बढ़ने के अभी और भी मौके हैं। उसे मेक्सिको और पोलैंड से निपटना है और ग्रुप में पहले दो स्थान पाने वाली टीमें आगे बढ़ सकती हैं।
जहां तक विश्व कप में एशियाई देशों की बात है तो किसी एशियाई देश की यह तीसरी जीत है। शुरुआती मैचों में मेजबान कतर और ईरान की पराजय के बाद यह माना जा रहा था कि अर्जेंटीना के सामने सऊदी अरब शायद ही टिक पाए। कई फुटबाल दिग्गजों ने इस लातिन अमेरिकी टीम को खिताब जीतने की प्रबल दावेदार बताया था। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले 36 मैचों में अर्जेंटीना ने अजेय रहने का रिकॉर्ड कायम किया था लेकिन किसको पता था कि कोई एशियाई देश उसके विजयी रथ को थाम देगा।
फुटबॉल की गहरी समझ रखने वाले एक्सपर्ट्स और पूर्व खिलाड़ी कह रहे हैं कि अत्याधिक आत्मविश्वास और कप्तान मेस्सी पर अत्याधिक निर्भरता अर्जेंटीना को भारी पड़ी। कतर और ईरान की हार में एक बड़ा कारण यह रहा कि उनके खिलाडी अपेक्षाकृत कद-काठी में इक्वाडोर और इंग्लैंड के खिलाड़ियों से उन्नीस थे जबकि अरब खिलाड़ी न सिर्फ शारीरिक तौर पर ज्यादा दमखम वाले थे अपितु वे बेहतर रणनीति के साथ खेले और मेस्सी को घेरने और अन्य खिलाड़ियों को लगातार व्यस्त रखने की उनकी योजना काम कर गई।
भले ही अर्जेंटीना ने पेनल्टी किक पर पहला गोल जमाया लेकिन अरबी खिलाड़ियों ने अपने गोल को हर संभव बचाने का सिलसिला आखिर तक बनाए रखा और साथ ही मेस्सी व उनकी आक्रमण पंक्ति को बिलकुल भी चलने नहीं दिया। यह सही है कि विश्व फुटबॉल के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को रोकना अच्छे से अच्छे रक्षकों के बूते की बात नहीं लेकिन मेस्सी को सऊदी रक्षकों ने न सिर्फ रोका उसे उसका स्वाभाविक खेल भी नहीं खेलने दिया। सम्भवत: अर्जेंटीना की हार ऊंची रैंकिंग वाली टीमों के लिए सबक हो सकता है। फीफा रैंकिंग में 51वें नंबर का एशियाई देश यदि तीसरे नंबर की टीम को हरा सकता है तो फिर कुछ और अप्रत्याशित नतीजों के लिए तैयार रहना होगा। देखते हैं अगला नंबर किसका लगता है। फिलहाल सऊदी अरब ने एशियाई फुटबॉल का गौरव तो बढ़ाया ही है।