राजेंद्र सजवान
हाल ही में देश की राजधानी में खेले गए दो बड़े महिला फुटबॉल आयोजनों में हरियाणा की खिलाड़ियों के जलवे देख कर हर कोई कह रहा है कि आने वाले सालों में हरियाणा महिला फुटबॉल का ‘हब’ बनने जा रहा है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें नहीं लगता कि इस खेल में हरियाणा कोई बड़ा नाम बन कर सामने आ सकता है। इसलिए क्योंकि दूध-दही के प्रदेश में फुटबॉल खिलाड़ियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
फिलहाल, महिला फुटबॉल को थोड़ा विराम देते हुए पुरुष फुटबॉल की तरफ बढ़ते हैं और तीस-चालीस साल पीछे चलें तो हरियाणा भी कभी फुटबॉल में जाना पहचाना नाम था। विभिन्न जिलों और शहरों में कई राष्ट्रीय स्तर के क्लब थे जिनसे निकल कर अनेकों खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाई। धीरे-धीरे राज्य फुटबाल एसोसिएशन की गंदी राजनीति ने सब कुछ तबाह कर किया। जो थोड़े बहुत खिलाड़ी निकल रहे हैं , दिल्ली और अन्य प्रदेशों में खेल कर रोजी-रोटी कमा रहे हैं। अब लड़कियों ने मोर्चा संभाला है। यूं तो हरियाणा हर खेल में अव्वल है लेकिन फुटबॉल में उसकी छोरियां कमाल कर रही हैं।
हालांकि, कहा यह जा रहा है कि हरियाणा फुटबॉल एसोसिएशन वर्षों बाद सही काम कर रही है लेकिन यदि ऐसा है तो क्यों प्रदेश की फुटबॉल प्रतिभाएं दिल्ली और पड़ोस के राज्यों से होती हुई गुजरात जा पहुंची हैं? दिल्ली के एक-दो क्लबों को छोड़ दें तो लगभग 15 क्लब ऐसे हैं जिनमें खेलने वाली अस्सी फीसदी खिलाड़ी हरियाणा से हैं। हाल ही में राजधानी के अंबेडकर स्टेडियम में आयोजित पांच राज्यों की महिला लीग (IWL) में चैंपियन बनी गुजरात की टीम की नब्बे फीसदी खिलाड़ी हरियाणा से थीं। लड़कियों ने बातचीत के चलते कहा कि हरियाणा में खेल के लिए माहौल नहीं है, जिस कारण से वे बाहरी प्रदेशों को सेवाएं देने के लिए मजबूर हैं।
अक्सर पढ़ने सुनने को मिलता है कि हरियणा भारत का प्रमुख खेल प्रदेश है और यह सच भी है लेकिन उसके फुटबाल, हॉकी और अन्य खेलों की प्रतिभाएं दूसरे प्रदेशों को सेवाएं देने के लिए विवश क्यों हैं?
कुछ साल पहले तक भारतीय महिला फुटबाल में बंगाल, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मणिपुर आदि प्रदेशों की लड़कियों पर निर्भर थी लेकिन अब हरियाणा महिला फुटबॉल का कारखाना बन कर सामने आया है। लेकिन एआईएफएफ की गलत नीतियों ने ना सिर्फ हरियाणा, देश की फुटबॉल को बर्बाद कर दिया है।
फुटबाल जानकारों की मानें तो पुरुष टीम की तुलना में भारतीय महिला फुटबाल का भविष्य सुरक्षित है। जरूरत इस बात की है कि दमखम और स्किल की धनी हरियाणवी लड़कियों को बढावा दिया जाए।