- डीएसए सीनियर डिवीजन फुटबॉल लीग में उत्तराखंड और गढ़वाल डायमंड के बीच मैच जब 3-3 की बराबरी पर छूटा तो राजधानी के डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम में मिली भगत का भूत जैसे फिर जिंदा हो गया
- दोनों क्लब अधिकारियों और खिलाड़ियों ने किसी भी प्रकार की फिक्सिंग से साफ इनकार किया
- इस मामले में डीएसए के सदस्यों की अलग-अलग राय है, क्योंकि कोई इसे बाय चांस बता रहा है तो कुछ एक को कोई गड़बड़ झाला नजर आता है
- दिल्ली प्रीमियर लीग में अहबाब फुटबॉल क्लब के खिलाड़ियों द्वारा दो सेल्फ गोल मारे जाने को लेकर डीएसए की पहले ही खासी फजीहत हो चुकी है
राजेंद्र सजवान
डीएसए सीनियर डिवीजन फुटबॉल लीग में उत्तराखंड और गढ़वाल डायमंड के बीच खेला गया मैच जब 3-3 की बराबरी पर छूटा तो राजधानी दिल्ली के डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम में मिली भगत का भूत जैसे फिर जिंदा हो गया। हालांकि दोनों क्लब अधिकारियों और खिलाड़ियों ने किसी भी प्रकार की फिक्सिंग से साफ इनकार किया। लेकिन किसी प्रकार की मिली भगत हुई या नहीं इस बारे में स्थानीय इकाई दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) के सदस्यों की अलग-अलग राय है। कोई इस परिणाम को बाय चांस बता रहा है तो कुछ एक हैं, जिन्हें कोई गड़बड़ झाला नजर आता है।
दिल्ली प्रीमियर लीग में अहबाब फुटबॉल क्लब के खिलाड़ियों द्वारा दो सेल्फ गोल मारे जाने को लेकर डीएसए की पहले ही खासी फजीहत हो चुकी है। यह मामला दिल्ली इकाई से होता हुआ एआईएफएफ और शायद फीफा तक जा पहुंचा है। ऐसे में स्थानीय आयोजनों संदेहास्पद मुकाबलों से डीएसए की छवि बिगड़ना स्वाभाविक है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि अपने नए अध्यक्ष के नेतृत्व में डीएसए के छाते के नीचे ढेरो आयोजन हो रहे हैं। स्कूल और आयुवर्ग के अनेक आयोजनों के अलावा ग्रासरूट फुटबॉल की ओर भी ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन रह-रह कर मैच फिक्सिंग की आवाजें उठना अच्छा संकेत नहीं है। सीनियर डिवीजन में ज्यादातर मुकाबले ड्रा होने के कारण भी संदेह पैदा हो रहा है। यही कारण है कि सिटी और भारत यूनाइटेड के बीच 1-1 की बराबरी के मुकाबले पर भी सुगबुगाहट शुरू हो गई है। हालांकि फुटबॉल की गहरी समझ रखने वालों की राय में यह मुकाबला लीग का सबसे रोमांचक और साफ- सुथरा था।
सीनियर डिवीजन के मैचों पर सरसरी नजर डालें तो नेशनल यूनाइटेड सभी तीन मैच जीतकर नंबर एक पोजिशन पर है। गढ़वाल डायमंड, भारत यूनाइटेड और अजमल एफसी फिलहाल अपराजित चल रहे हैं। हालांकि अभी से कोई भविष्यवाणी करना ठीक नहीं होगा। नियत समय से बहुत देरी से शुरू हुई लीग ने 18 मार्च से पांच अप्रैल तक एक चौथाई सफर भी तय नहीं किया है। कारण डॉ. अम्बेडकर स्टेडियम की अनुपलब्धता को बताया जाता है। जो कि सप्ताह में तीन-चार दिन ही स्थानीय इकाई डीएसए को मिल पाता है। ऐसे में डीएसए का लीग कार्यक्रम अस्त-व्यस्त होना स्वाभाविक है।