June 16, 2025

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फुटबॉल दिल्ली सीनियर डिवीजन लीग चैम्पियन सीआईएसएफ के लिए प्रीमियर लीग के रास्ते बंद

दिल्ली सॉकर एसोसिएशन अपने लीग मुकाबलों को क्लब आधारित बनाने के लिए दृढ संकल्प है

लिहाजा डीएसए के इस फैसले से सांस्थानिक टीमों पर संकट मंडराया

अहबाब और नेशनल यूनाइटेड को मिला दिल्ली की टॉप फुटबॉल लीग के लिए प्रमोशन

क्लीन बोल्ड/राजेंद्र सजवान

सीआईएसएफ प्रोटेक्टर ने फुटबॉल दिल्ली सीनियर डिवीजन लीग का खिताब जीत लिया है। लेकिन सुपर सिक्स में सभी पांच मैच जीतने और विजेता घोषित होने के बावजूद भी चैम्पियन टीम को प्रीमियर लीग में प्रमोशन मिलना मुश्किल लगता है। इसका कारण यह है कि दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (फुटबॉल दिल्ली) अपने लीग मुकाबलों को क्लब आधारित बनाने के लिए दृढ संकल्प है।

 

  डीएसए के अनुसार इस बारे में सीआईएसएफ टीम प्रबंधन को पहले ही पत्र लिख कर सूचित किया जा चुका है। अर्थात लीग चैम्पियन और दिल्ली फुटबॉल को संचालित करने वाली इकाई के बीच पेंच फंस गया है।

   उल्लेखनीय है कि 14 दिसंबर को जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम पर समाप्त हुए लीग मुकाबलों में अहबाब फुटबॉल क्लब को विजेता घोषित किया गया, जबकि अंकों के आधार पर नेशनल यूनाइटेड तीसरे नंबर पर रही। नियमानुसार शीर्ष दो स्थान की टीमों को प्रीमियर लीग में स्थान मिलना तय है लेकिन चूंकि सीआईएसएफ सांस्थानिक इकाई है इसलिए उसे विजेता होने के बावजूद प्रोमोट नहीं किया जाएगा। इसी प्रकार भारतीय वायुसेना पर भी रोक लगाई जा सकती है, जो कि पहली प्रीमियर लीग में खेल चुकी है।

  

इसमें दो राय नहीं कि सीआईएसएफ सीनियर डिवीजन में भाग लेने वाली अन्य दस टीमों के मुकाबले दमदार है, क्योंकि विभाग ने देश भर के श्रेष्ठ खिलाड़ियों को अपने बल में शामिल किया है और कई अन्य खिलाड़ियों को भर्ती किया जा सकता है।

   विभाग के डीआईजी जितेंद्र राणा और मैनेजर अजित का तर्क है कि उनका विभाग प्रतिभावान खिलड़ियों को रोजगार दे रहा है इसलिए उनके पक्ष को गंभीरता से लेने की जरूरत है।

   उधर नेशनल यूनाइटेड हर हाल में प्रीमियर लीग खेलना चाहेगी, क्योंकि डीएसए ने पहले ही इस बारे में अपना रुख स्प्ष्ट कर दिया था। सीआईएसएफ का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई पत्र नहीं मिला। चूंकि प्रीमियर लीग अभी साल भर दूर है इसलिए राज्य फुटबॉल इकाई के पास कोई भी निर्णय लेने और फैसला सुनाने के लिए पर्याप्त समय है।

 

  लेकिन यदि सीआईएसएफ के बारे में निर्णय हो चुका है तो वायुसेना, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और जाकिर हुसैन कॉलेज भी अछूते नहीं रह सकते। उन्हें भी सांस्थानिक लीग में उतरना होगा और सभी के लिए प्रीमियर लीग के रास्ते बंद हो जाएंगे।

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