- एआईएफएफ द्वारा आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में घरेलू फुटबॉल के स्टार खिलाड़ियों, आयोजकों, राज्य ईकाइयों, रेफरियों आदि को सम्मानित किया गया
- फुटबॉल फेडरेशन द्वारा आयोजित बेमौसम अवार्ड समारोह को लेकर शायद खेल मंत्री मनसुख मांडविया को पूरी जानकारी नहीं दी गई और उन्हें यह नहीं बताया गया कि भारत विश्व फुटबॉल हंसी का पात्र बन कर रह गया है
- दो एशियाड जीतने वाली और ओलम्पिक खेलों में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय फुटबॉल की हालत यह है कि वो एशिया में 22वें और विश्व रैंकिंग में 124वें स्थान पर पहुंच गई है
- एआईएफएफ के अवार्ड समारोह के जरिये भारतीय फुटबॉल के प्रथम पुरुष कल्याण चौबे संभवतया अपनी ताकत दिखाने की नीयत रखते हैं
- यही कारण है कि चौबे ने खेल मंत्री के साथ पूर्व खेल मंत्री किरण रिजिजू, भारतीय ओलम्पिक समिति, भारतीय खेल संघों, खेल मंत्रालय और साई के वरिष्ठ अधिकारियों को आमंत्रित किया और उनके हाथों पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न हुआ
राजेंद्र सजवान
केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया को पदभार संभाले कुछ सप्ताह हुए हैं लेकिन वह भी बखूबी जान गए हैं कि भारतीय खेलों का बड़ा टारगेट 2047 तक सुपर पावर बनने का है। 19 जुलाई को उनका सामना देश के जाने-माने खेल पत्रकारों और खेलों को बनाने-बिगाड़ने वाले फेडरेशन अधिकारियों, कोचों और प्रशासकों से हुआ। अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) द्वारा आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में घरेलू फुटबॉल के स्टार खिलाड़ियों, आयोजकों, राज्य ईकाइयों, रेफरियों आदि को सम्मानित किया गया। दिल्ली खेल पत्रकार संघ (डीएसजेए) द्वारा भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के साथ मिलकर पेरिस ओलम्पिक के लिए भारत की तैयारियों पर मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आयोजित सेमिनार में खेल मंत्री ने जोर-शोर से उपस्थिति दर्ज की। दोनों कार्यक्रमों में उन्होंने अपनी सरकार के प्रयासों की सराहना की और कहा कि वे सिर्फ भाषण देने और मजमा लगाने के लिए नहीं आए हैं। उनकी सरकार भारतीय खेलों को शीर्ष पर देखना चाहती है और मोदी जी के नेतृत्व में देश और खेल तेजी से प्रगति कर रहा है और आगे बढ़ रहा है। पेरिस ओलम्पिक में भारतीय खिलाड़ियों से बहुत उम्मीद है।
बेशक, खेल मंत्री ऊर्जावान हैं और उनके नेतृत्व में देश के खेल अधिकाधिक प्रगति करेंगे और पेरिस ओलम्पिक में पदकों की झड़ी लगाकर हमारे खिलाड़ी देश का गौरव बढ़ाएंगे लेकिन फुटबॉल फेडरेशन द्वारा आयोजित बेमौसम अवार्ड समारोह को लेकर शायद उन्हें पूरी जानकारी नहीं दी गई। उन्हें यह नहीं बताया गया कि भारत विश्व फुटबॉल हंसी का पात्र बन कर रह गया है। दो एशियाड जीतने वाली और ओलम्पिक खेलों में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय फुटबॉल की हालत यह है कि वो एशिया में 22वें और विश्व रैंकिंग में 124वें स्थान पर पहुंच गई है।
उस समय जब देश ओलम्पिक तैयारियों में जुटा है, एआईएफएफ के अवार्ड समारोह के मायने कुछ-कुछ समझ आते हैं। संभवतया भारतीय फुटबॉल के प्रथम पुरुष कल्याण चौबे अपनी ताकत दिखाने की नीयत रखते हैं। यही कारण है कि उन्होंने खेल मंत्री के साथ पूर्व खेल मंत्री किरण रिजिजू, भारतीय ओलम्पिक समिति, भारतीय खेल संघों, खेल मंत्रालय और साई के वरिष्ठ अधिकारियों को आमंत्रित किया और उनके हाथों पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न हुआ। हैरानी वाली बात यह है कि किसी ने भी एआईएफएफ मुखिया से यह नहीं पूछा कि भारतीय फुटबॉल दिन पर दिन क्यों बर्बाद हो रही है और क्यों उनकी फेडरेशन में गुटबाजी का खेल चल रहा है। हां, किरण रिजिजू ने इतना जरूर कहा कि 1950-60 में भारतीय फुटबॉल का बड़ा नाम था लेकिन अब पहले वाली बात नहीं रही। दो बड़े मंत्रियों, आईओए और खेल संघों के बड़ों और साई के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति देखकर कुछ पत्रकार और पूर्व खिलाड़ी यह कहते पाए गए कि भारतीय फुटबॉल से ध्यान हटाने के लिए यह सब तामझाम जोड़ा गया है।
दिल्ली खाली हाथ?
अवार्ड नाइट में लालिंजुआला छांगटे और इंदुमती को क्रमश: पुरुष एवं महिला वर्ग का सर्वश्रेष्ठ भारतीय फुटबॉलर आंका गया। श्रेष्ठ कोच का सम्मान जमशेदपुर एफसी के कोच खालिद जमील और शुक्ला दत्ता को मिला। डेविड लाललाम सांगा और नेहा क्रमश: साल के उभरते पुरुष एवं महिला खिलाड़ी घोषित किए गए। रामचंद्रन वेंकटरमन और उज्जवल हलदर क्रमश: श्रेष्ठ रेफरी व सहायक रेफरी आंके गए। ग्रासरूट आयोजनों, महिला फुटबॉल को बढ़ावा देने, खिलाड़ियों के रजिस्ट्रेशन, नए प्रोजेक्ट लांचिंग, रेफरी कोर्स, राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट आयोजित करने के लिए गुजरात, बंगाल, कर्नाटक, पंजाब, जेएंडके, केरल और अन्य राज्यों को सम्मानित किया गया लेकिन दिल्ली (डीएसए) को कोई सम्मान नहीं मिल पाया। ऐसा क्यों हुआ? क्या एआईएफएफ ने रेवड़ियां बांटी?
2023-24 के लिए सभी एआईएफएफ पुरस्कार विजेताओं की सूची:
- वर्ष का सर्वश्रेष्ठ पुरुष खिलाड़ी: लल्लियांजुआला छंगटे
- वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी: इंदुमति कथिरेसन
- वर्ष का उभरता सर्वश्रेष्ठ पुरुष खिलाड़ी: डेविड लालहलनसांगा
- वर्ष की उभरती सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी: नेहा
- वर्ष का सर्वश्रेष्ठ पुरुष कोच: खालिद जमील
- वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला कोच: सुक्ला दत्ता
- वर्ष का सर्वश्रेष्ठ रेफरी: रामचंद्रन वेंकटेश
- वर्ष का सर्वश्रेष्ठ सहायक रेफरी: उज्जल हलदर
- सबसे सफल एमए (क्लब प्रतियोगिताएं): भारतीय फुटबॉल संघ (पश्चिम बंगाल)
- सबसे सफल एमए (एनएफसी प्रतियोगिताएं): ऑल मणिपुर फुटबॉल संघ
- सर्वश्रेष्ठ एमए – महिला फुटबॉल का समर्थन: पंजाब फुटबॉल संघ
- सबसे अधिक एआईएफएफ प्रतियोगिताओं की मेजबानी करने के लिए सर्वश्रेष्ठ एमए: ओडिशा और गोवा फुटबॉल संघ का फुटबॉल संघ
- सबसे अधिक खिलाड़ी पंजीकरण वाला एमए (पुरुष): केरल फुटबॉल संघ
- सबसे अधिक खिलाड़ी पंजीकरण वाला एमए (महिला): वेस्टर्न इंडिया फुटबॉल संघ (महाराष्ट्र)
- नई परियोजनाओं को लॉन्च करने वाले एमए के लिए विशेष पुरस्कार: गुजरात राज्य फुटबॉल संघ
- सबसे अधिक जमीनी स्तर की गतिविधियों वाले एमए: गुजरात राज्य फुटबॉल संघ
- सबसे अधिक युवा टूर्नामेंट आयोजित करने वाले एमए: कर्नाटक राज्य फुटबॉल संघ
- सबसे अधिक कोचिंग पाठ्यक्रमों वाले एमए: पंजाब फुटबॉल संघ
- सबसे अधिक रेफरी पाठ्यक्रमों वाले एमए: गुजरात राज्य फुटबॉल संघ
विभिन्न एआईएफएफ आयोजनों को समर्थन देने वाले विशेष पुरस्कार:
- अरुणाचल प्रदेश सरकार और अरुणाचल प्रदेश फुटबॉल संघ: संतोष ट्रॉफी फाइनल राउंड की मेजबानी के लिए
- ओडिशा सरकार और ओडिशा फुटबॉल संघ: फीफा विश्व कप क्वालीफायर, इंटरकॉन्टिनेंटल कप, कलिंगा सुपर कप, सीनियर महिला एनएफसी ग्रुप स्टेज, जूनियर बॉयज और गर्ल्स एनएफसी टियर 1 और सब-जूनियर यूथ लीग की मेजबानी के लिए
- जम्मू और कश्मीर खेल परिषद: भारत अंडर 17 पुरुष राष्ट्रीय टीम शिविर की दो बार मेजबानी करने और टीआरसी ग्राउंड के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने के लिए
भारत में फुटबॉल को बढ़ावा देने में उत्कृष्ट समर्थन के लिए पुरस्कार:
- फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड
- निविया
- युवा मामले और खेल मंत्रालय खेल
- इंडिगो
- भारतीय खेल प्राधिकरण
- परफॉर्मैक्स