June 19, 2025

sajwansports

sajwansports पर पड़े latest sports news, India vs England test series news, local sports and special featured clean bold article.

बिना ‘गोल’ की बेशर्म फुटबॉल

राजेंद्र सजवान

फुटबॉल मैदान पर कल्याण चौबे कभी भी बड़ा नाम नहीं रहा। यदि बंगाल, केरल और गोवा के किसी पूर्व फुटबॉलर से पूछेंगे तो वह तपाक से जवाब देगा, “कौन चौबे? इस नाम के किसी खिलाड़ी को नहीं जानता।” फिर भी चौबे कैसे भारतीय फुटबॉल के शीर्ष पर पहुंच गए और तमाम आलोचनाओं के बाद भी कैसे फुटबॉल की छाती पर मूंग दल रहे हैं?

   बेशक, तमाम खेलों की तरह चौबे साहब भी अपनी राजनीतिक पहुंच और पकड़ के चलते भारतीय फुटबॉल को अपने इशारे पर नचा रहे हैं। लेकिन दिन पर दिन दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र सबसे लोकप्रिय खेल मंन फेल हुआ जाता है। देश के ज्यादातर फुटबॉल जानकारों से पूछें तो उनकी राय में किसी अच्छे स्कोरर की कमी के चलते भारतीय फुटबॉल मैच दर मैच पिछड़ रही है, बर्बाद हो रही है।

   फुटबॉल विशेषज्ञ हैरान परेशान हैं। उन्हें कोई राह दिखाई नहीं देती। अब एक नया शिगूफा छोड़ा गया है जिसके मोहपाश में जकड़ कर फुटबॉल फेडरेशन भी पगला गई है। खासकर, बहाने दर बहाने फेंकने वाले कल्याण चौबे भी अनाप-शनाप बयान झाड़ रहे हैं। क्योंकि उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा है इसलिए भारतीय मूल के विदेशी खिलाड़ी को भारत के लिए खेलने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। हालांकि विदेशों में खेलने वाले ऐसे भारतीय फुटबॉलर कम ही हैं। लेकिन मरता न क्या करता!

   देर से ही सही फेडरेशन अध्यक्ष को एक बात समझ आई है कि हमारे पास कोई अच्छा स्कोरर नहीं है। हालांकि चौबे एक औसत दर्जे के गोलकीपर थे लेकिन उन्होंने सही बहाना खोजा है। बेशक, जिस टीम और देश के पास गोल जमाने वाला खिलाड़ी नहीं है उसका खेलना निरर्थक है, धिक्कार है। जिस सुनील छेत्री की तुलना कभी रोनाल्डो और मेस्सी के साथ की जाती थी, वह अब ढलान पर है। लेकिन जिस देश की फुटबॉल करोड़ों युवाओं में एक अच्छा ‘स्कोरर’ पैदा नहीं कर सकती उसके खेलने पर लानत है। यह न भूलें कि फुटबॉल का सार ‘गोल’ में है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *