बेटा एड्रियन बोला, “जॉयदीप कड़क पिता हैं लेकिन टफ कोच नहीं”
- एड्रियन ने रविवार को आईएसएसएफ जूनियर वर्ल्ड कप राइफल/पिस्टल/शॉटगन नई दिल्ली में पुरुषों की 50 मीटर जूनियर 3पोजिशन स्पर्धा का रजत पदक जीता
अजय नैथानी
‘यथा पिता, यथा पुत्र।’ इस कहावत पर ओलम्पियन जॉयदीप कर्माकर और उनके प्रतिभाशाली पुत्र एड्रियन कर्माकर पर एकदम सटीक बैठती है। क्योंकि एड्रियन अपने पिता जॉयदीप के नक्शेकदम पर चलकर निशानेबाजी में झंडे गाड़ रहे हैं। इसी कड़ी में एड्रियन ने रविवार को आईएसएसएफ जूनियर वर्ल्ड कप राइफल/पिस्टल/शॉटगन नई दिल्ली में पुरुषों की 50 मीटर जूनियर 3पोजिशन स्पर्धा का रजत पदक जीता। घरेलू रेंज में मिली इस कामयाबी के बाद पिता और पुत्र ने घर और रेंज में आपसी संबंधों को लेकर चर्चा की।
जैसा कि आप जानते हैं कि एड्रियन के पिता जॉयदीप खुद एक नामी राइफल निशानेबाज रहे हैं, जो 2012 लंदन ओलम्पिक गेम्स में शिरकत कर चुके हैं जहां वह पुरुष 50 मीटर राइफल प्रोन इवेंट में कांस्य पदक से बेहद करीब से चूकने के बाद चौथे स्थान पर रहे थे। उनके नाम 2010 के सिडनी वर्ल्ड कप में पुरुष 50 मीटर राइफल प्रोन इवेंट का सिल्वर और उसी साल नई दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में पुरुष 50 मीटर राइफल प्रोन पेयर्स स्पर्धा का गोल्ड मेडल है। इस समय भोपाल स्थित एमपी स्टेट शूटिंग एकेंडमी में कोचिंग दे रहे हैं।
- पिता के अनुभव, कामयाबी और गलतियां से सीखता हूं
एड्रियन ने अपनी कामयाबी के बाद कहा, “जैसे कि मेरे पिता खुद एक शूटर रहे हैं। वह उन अनुभवों से गुजर चुके हैं, जिस राह पर अभी मैं चल रहा हूं। वह मुझे काफी कुछ बताते व सिखाते हैं। लिहाजा, मुझे अक्सर कुछ सीखने के लिए गलतियां करने की जरूरत नहीं पड़ती है। मैं उनके अनुभव का इस्तेमाल कर सकता हूं और उनकी गलतियों एवं कामयाबियों से सीख ले सकता हूं। उनका शूटर होना मेरे करियर और खेल यात्रा के लिए निश्चित रूप से बेहद उपयोगी है। मैं उन्हें बचपन में शूटिंग करते हुए देखकर बड़ा हुआ हूं। लिहाजा, मैं इस खेल को अपनाना चाहता था।”
युवा शूटर ने कहा, “बतौर डैड घर पर वह भावुक होकर डांट देते हैं लेकिन रेंज में बहुत अच्छे कोच हैं, क्योंकि वह बहुत संतुलित रहते हैं। किसी तरह का ज्यादा दबाव नहीं डालते हैं। खेल के सभी पहलुओं पर चर्चा करते हैं और उनका अनुभव मददगार साबित होता है।”
- पिता जॉयदीप बोले, सीनियर सर्किट में काफी मेहनत करनी पड़ेगी
भले ही जॉयदीप अपने पुत्र के जूनियर स्तर पर प्रदर्शन से खुश हैं लेकिन उनका मानना है कि एड्रियन अगले साल सीनियर स्तर पर उतरेगा, तो उसे अपने पैर जमाने के लिए काफी मेहनत करने की जरूरत है। जॉयदीप कहते हैं, “यह साल एड्रियन का बहुत अच्छा रहा है, जिसमें उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर (दो वर्ल्ड कप में सिल्वर और एशियन चैम्पियनशिप में तीन गोल्ड) सात पदक जीते हैं। उम्मीद है कि आगे भी अच्छा करेगा। उसे एंड्यूरेंस पर काम करने की जरूरत है जबकि वह तकनीक और मानसिक पहलू पर ठीक चल रहा है।”
पूर्व ओलम्पियन ने आगे कहा, “एक पुराने खिलाड़ी के तौर पर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे किसी स्पोर्ट्स को अपनाए और उसमें तरक्की करें। फिर चाहे वो कोई भी खेल हो। लेकिन बहुत सारे खिलाड़ियों के बच्चे खेलों को नहीं अपनाते हैं खासतौर पर शूटिंग में यह नजारा दुर्लभ होता है। लिहाजा, बतौर पिता मुझे गर्व व खुशी है कि मेरा बेटा एड्रियन मेरी तरह पूरी गंभीरता के साथ शूटिंग खेल रहा है। मैं लंदन ओलम्पिक में ब्रॉन्ज मेडल के करीब जाकर चूक गया था लेकिन मैं इस तरह की उम्मीद उससे नहीं रख रहा हूं। मैं नहीं चाहता कि वो मेरे लिए पदक जीते। मैं चाहता हूं कि वो जॉयदीप कर्माकर के नाम से नहीं जाना जाए। वो एड्रियन कर्माकर के तौर पर अपनी राह और पहचान बनाए।”
- जब बचपन में उसकी जिद के कारण नेशनल का फाइनल्स कुछ समय के लिए रुका
जॉयदीप याद करते हैं, बचपन में एड्रियन की जिद के कारण नेशनल चैम्पियनशिप के फाइनल्स को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा था और उसे दो शॉट चलने का मौका देने के बाद चैम्पियनशिप आगे बढ़ी थी। वह कहते हैं, “जब एड्रियन पांच या सात साल का था, तब उसने एक नेशनल चैम्पियनशिप का फाइनल्स रुकवा दिया था, क्योंकि वो फायर करने की जिद कर रहा था। इसके बाद रेंज ऑफिसर ने उसको दो शॉट चलाने दिए, तब कहीं जाकर खेल फिर से शुरू हुआ।”

वरिष्ठ पत्रकार