भारतीय फुटबॉल में वायुसेना की हवा फुस्स क्यों है?

  • दिल्ली की फुटबॉल पर सरसरी नजर डालें तो तीन-चार दशक पहले तक डीएसए लीग खेलने वाली वायुसेना की टीमों- ‘नई दिल्ली’ और ‘वायुसेना पालम’ का बड़ा नाम था
  • कभी डूरंड कप, डीसीएम कप और देशभर के टूर्नामेंट में वायुसेना की टीमें भाग लेती थी और अनेकों बार वायुसेना ने दिल्ली लीग का खिताब जीता
  • वायुसैनिकों में उन्नी, सरकार, कश्मीरा, विश्वास, मैथ्यूज आदि खिलाड़ियों का खेल अपने उफान पर था
  • आज की वायुसेना टीमों के प्रदर्शन पर नजर डालें तो डीएसए प्रीमियर लीग में नई दिल्ली वायुसेना टॉप टीमों में स्थान नहीं बना पाई जबकि वायुसेना पालम को सीनियर डिवीजन में औसत दर्जे की टीमों ने पीछे धकेल दिया
  • वायुसेना भी आर्मी और नेवी की तरह फुटबॉल की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे रही और नतीजा सामने है
  • उसकी फुटबॉल टीम में पहले वाली बात नहीं रही, क्योंकि खिलाड़ियों की भर्ती नहीं हो रही और खेल कोटा निरंतर घट रहा है

राजेंद्र सजवान

भारतीय फुटबॉल में वायुसेना बहुत बड़ा नाम नहीं है लेकिन इतना छोटा भी नहीं कि हर कोई ऐरा-गैरा उसे फुटबॉल का पाठ पढ़ा जाए जैसा कि दिल्ली की सीनियर डिवीजन लीग में देखने को मिला है। वायुसेना पालम सुपर सिक्स में तो पहुंच गई किंतु पहली तीन में स्थान नहीं बना पाई। सीधा सा मतलब है कि वायुसेना में अब पहले जैसे खिलाड़ी नहीं रहे।

   दिल्ली की फुटबॉल पर सरसरी नजर डालें तो तीन-चार दशक पहले तक दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) लीग खेलने वाली वायुसेना की टीमों- ‘नई दिल्ली’ और ‘वायुसेना पालम’ का बड़ा नाम था। डूरंड कप, डीसीएम कप और देशभर के टूर्नामेंट में वायुसेना की टीमें भाग लेती थी। अनेकों बार वायुसेना ने दिल्ली लीग का खिताब जीता। तब स्थानीय फुटबॉल में शिमला यंग्स, यंग मैन, सिटी, मुगल्स, स्टेट बैंक, दिल्ली पुलिस, गढ़वाल हीरोज आदि टीमों का प्रदर्शन काबिले तारीफ था। वायुसैनिकों में उन्नी, सरकार, कश्मीरा, विश्वास, मैथ्यूज आदि खिलाड़ियों का खेल अपने उफान पर था।

 

  आज की वायुसेना नई दिल्ली और वायुसेना पालम के प्रदर्शन पर नजर डालें तो डीएसए प्रीमियर लीग में नई दिल्ली वायुसेना का प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा लेकिन टॉप टीमों में स्थान नहीं बना पाई। वायुसेना पालम को सीनियर डिवीजन लीग में औसत दर्जे की टीमों ने पीछे धकेल दिया। यह सिलसिला पिछले कई सालों से चल रहा है। जो वायुसैनिक कभी उड़-उड़ कर खेलते थे उनके बाद के खिलाड़ियों में वह पहले वाली बात नजर नहीं आती। यह हाल तब है जब भारतीय वायुसेना द्वारा देश-विदेश के स्कूली खिलाड़ियों का प्रसिद्ध टूर्नामेंट ‘सुब्रतो कप’ आयोजित किया जाता है, जिसमें तीन अलग-अलग आयु वर्गों में टॉप स्कूली खिलाड़ी भाग लेते हैं। फिर भी वायुसेना को अच्छे खिलाड़ियों का अकाल है। ऐसा क्यों?

   शायद इसलिए क्योंकि वायुसेना भी आर्मी और नेवी की तरह फुटबॉल की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे रही। नतीजा सामने है। सेना की फुटबॉल टीम में पहले वाली बात नहीं रही। शायद इसलिए भी फौज में खिलाड़ियों की भर्ती नहीं हो रही, क्योंकि खेल कोटा निरंतर घट रहा है। टीम में ज्यादातर खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्होंने नौकरी मिलने के बाद फुटबॉल को गंभीरता से लिया है। यही कारण है कि जो वायुसेना कभी मोहन बागान, ईस्ट बंगाल, जेसीटी मिल्स, मफतलाल जैसी नामी टीमों को टक्कर देती थी उसकी हवा खराब है।

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