- भारतीय फुटबॉल टीम के हेड कोच ने बताया कि वे अभी खिलाड़ियों को देख परख रहे है और उन्होंने अधिकतर खिलाड़ियों को मानसिक तौर पर कमजोर पाया, जो कि भारतीय फुटबॉल का सबसे चिंताजनक पहलू भी है
- स्पेनिश कोच ने भारतीय खिलाड़ियों को ‘इंडियन मानसिकता’ के साथ जोड़ते हुए कहा कि उन्हें एक दमदार टीम तैयार करने के लिए ना सिर्फ खिलाड़ियों को तकनीकी रूप से सुधारना होगा अपितु उन्हें मानसिक रूप से सुदृढ़ भी बनाना होगा, जिसमें समय लग सकता है
राजेंद्र सजवान
भारतीय राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के नए हेड कोच मैनोलो मार्कुएज की राय में भारतीय फुटबॉल को यदि आगे बढ़ना है और प्रमुख फुटबॉल राष्ट्रों से मुकाबला करना है तो खिलाड़ियों का शारीरिक और तकनीकी रूप से फिट होना बहुत जरूरी है। लेकिन यदि खिलाड़ी मानसिक रूप से कमजोर होंगे तो वे आधुनिक फुटबॉल में पिछड़ सकते हैं।
रविवार को राजधानी दिल्ली में ‘मीट द प्रेस’ कार्यक्रम में एफसी गोवा के हेड कोच ने उपलब्ध प्रतिभाओं के बारे में बताया कि वे अभी खिलाड़ियों को देख परख रहे है। इस बीच उन्होंने अधिकतर खिलाड़ियों को मानसिक तौर पर कमजोर पाया, जो कि भारतीय फुटबॉल का सबसे चिंताजनक पहलू भी है। स्पेनिश कोच ने भारतीय खिलाड़ियों को ‘इंडियन मानसिकता’ के साथ जोड़ते हुए कहा कि उन्हें एक दमदार टीम तैयार करने के लिए ना सिर्फ खिलाड़ियों को तकनीकी रूप से सुधारना होगा अपितु उन्हें मानसिक रूप से सुदृढ़ भी बनाना होगा, जिसमें समय लग सकता है।
क्रोएशियाई कोच इगोर स्टीमैक के स्थान पर भारतीय फुटबॉल टीम का हेड कोच बनाए जाने को मार्कुएज ने बड़ी चुनौती बताया। उनके अनुसार, एफसी गोवा के चीफ कोच के साथ-साथ वे भारतीय टीम के कोच का दायित्व आसानी से संभाल सकते हैं लेकिन उन्हें मानसिक रूप से मजबूत खिलाड़ी चाहिए, जिनकी खोज जारी है। कोच के अनुसार, भारतीय टीम को सुधारना और संवारना बड़ी चुनौती है। खासकर 151 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 94 गोल दागने वाले सुनील छेत्री के रिक्त स्थान की भरपाई आसान नहीं होगी। उनके अनुसार, प्रतिभाओं की तलाश के लिए ग्रासरूट स्तर पर पर भी प्रयास करने पड़ेंगे।
इस बीच एक सवाल के जवाब में मार्कुएज ने कहा कि भारत के पास एक बेहतरीन क्रिकेट टीम है, क्योंकि क्रिकेट में एक का स्थान लेने के लिए कई खिलाड़ी तैयार हैं लेकिन फुटबॉल में ऐसा नहीं है। उनके अनुसार, भारतीय फुटबॉल लगातार नीचे फिसल रही है और अफगानिस्तान से भी पीछे है। ऐसे में कोच और फेडरेशन के प्रयासों से ही काम नहीं चलेगा। सभी फुटबॉल प्रेमियों को भी योगदान देना होगा।