ये दोस्ती हम न छोड़ेंगे

  •  ओलम्पिक व विश्व चैम्पियन नीरज चोपड़ा और पाकिस्तान के अरशद नदीम की दोस्ती और प्रतिद्वंदिता के चर्चे आम हैं

राजेंद्र सजवान

सीमा पर भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता जग जाहिर है, जिसका असर खेल मैदानों पर भी देखने को मिल जाता है। फिर चाहे मुकाबला क्रिकेट, हॉकी या किसी भी खेल का क्यों न हो। यह भी सच है कि एक-दूसरे से हार न मानने की जिद्द के चलते दोनों देशों के बीच खेले जाने वाले मुकाबले रोमांच की तमाम सीमाएं पार कर जाते हैं। हाल फिलहाल ओलम्पिक और विश्व चैम्पियन नीरज चोपड़ा और पाकिस्तान के अरशद नदीम की दोस्ती और प्रतिद्वंदिता के चर्चे आम हैं।

 

  एक समय जबकि भारत और पाकिस्तान की हॉकी के बीच श्रेष्ठता के लिए संघर्ष चल रहा था और तराजू के पलड़े इधर-उधर उठ गिर रहे थे, शायद ही किसी ने सोचा होगा कि दोनों देशों की हॉकी को बुरे दिन देखने पड़ सकते हैं। मेजर ध्यानचंद के मैदान में रहते भारतीय हॉकी ने अपना स्वर्ण युग जिया। भारत और पाकिस्तान बन जाने के बाद भी दोनों देशों का दबदबा बना रहा। भले ही सीमा पर कुछ भी चल रहा हो लेकिन खिलाड़ियों की दुश्मनी मैदान तक सीमित रही। मैचों का आदान-प्रदान जारी रहा। भारतीय खिलाड़ी जब कभी पाकिस्तान खेलने जाते उन्हें दोस्तों और भाइयों जैसा सत्कार मिला। इसी प्रकार जब कभी पाकिस्तानी खिलाड़ी भारत में टेस्ट सीरीज और टूर्नामेंट खेलने आए उन्हें भरपूर प्यार और समर्थन मिला।

   बलबीर सिंह सीनियर, हरविंदर सिंह, अजितपाल सिंह, अशोक ध्यानचंद, जफर इकबाल, असलम शेर खान, मोहम्मद शाहिद आदि भारतीय खिलाड़ियों के मैदान में रहते दोनों देशों की हॉकी टॉप पर रही, आपसी भाईचारा भी बना रहा।  अशोक के अनुसार, पाकिस्तान में ध्यानचंद जी  को युगपुरुष के तरह सम्मान दिया जाता है।

 

  इसी प्रकार, इसलाउद्दीन, मंजूर सीनियर, मंजूर जूनियर, सलीम शेरवानी, मुन्नवर, अख्तर रसूल, इफ्तिकार, हनीफ, शाहबाज और दर्जनों अन्य पाकिस्तानी सुपर स्टार भारत आते-जाते रहे। उनसे जब कभी बात हुई तो हर कोई भारत को अपना दूसरा घर बताने से नहीं हिचकिचाया। अशोक के अनुसार, 1974 में जब ऑल एशियन स्टार्स टीम का गठन किया गया तो उसमें दोनों तरफ के आठ आठ महान खिलाड़ी शामिल थे। उनकी एकजुटता लाजवाब थी।

   क्रिकेट में भी भारत-पाक मुकाबले हमेशा से दर्शनीय रहे। भले ही दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई है लेकिन जब कभी आमना-सामना होता है तो हर मुकाबला पहले से बेहतर आंका जाता है। चूंकि दोनों देशों में हॉकी का स्तर और उपलब्धियों में गिरावट आई है इसलिए खेलों पर भी असर पड़ा है। सुनील गावस्कर, बेदी, विश्वनाथ, कपिल, इंजीनियर, दुर्रानी, सचिन, सौरभ, धोनी और विराट का आम पाकिस्तानी क्रिकेटप्रेमी कायल रहा तो इमरान, मियांदाद, अकरम, कादिर, वकार और अन्य खिलाड़ियों को भारत में भी भरपूर सपोर्ट और सम्मान मिला। अब नीरज और अरशद नदीम का परस्पर टकराव दोनों तरफ के खेल प्रेमियों को रास आ रहा है।

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