लानत ऐसी फुटबॉल पर!

  • जून 2024 में भारतीय फुटबॉल के पूर्व कप्तान सुनील छेत्री ने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास की घोषणा की थी लेकिन वह लौट रहे हैं
  • 40 वर्षीय विख्यात फुटबॉलर देश के जाने-माने क्लब बेंगलुरू एफसी के लिए दनादन गोल जमा रहा है और आईएसएल के ताजा सीजन में 12 गोल जमा चुका है
  • संभवतया वह इसी माह मालदीव और बांग्लादेश के खिलाफ खेलकर वापसी का जश्न माना सकता है
  • उसकी वापसी भारत की फुटबॉल, फुटबॉल के कर्णधारों और खासकर फुटबॉल फेडरेशन पर जोरदार तमाचा है, क्योंकि उसके संन्यास के बाद आजमाए गए तमाम खिलाड़ी नाकाम रहे हैं
  • सुनील इसलिए वापस लौट रहा है कि क्योंकि पिछले बीस सालों में भारतीय फुटबॉल उसके जैसा या उसके स्तर के आसपास का खिलाड़ी पैदा नहीं कर पाई है

राजेंद्र सजवान

खबर है कि भारतीय फुटबॉल के सफलतम और विख्यात फुटबॉलर पूर्व कप्तान सुनील छेत्री अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में लौट रहे हैं। जून 2024 में छेत्री ने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास की घोषणा की भी। तारीफ की बात यह है कि 40 वर्षीय खिलाड़ी आज भी भारतीय फुटबॉल में धूम मचा रहा है और देश के जाने-माने आईएसएल क्लब बेंगलुरू एफसी के लिए दनादन गोल जमा रहा है। ताजा सीजन में उसने 12 गोल जमाकर शानदार रिकॉर्ड बनाया है।

   सुनील की वापसी उनका व्यक्तिगत मामला है। जाहिर है कि उसने कुछ सोच समझकर हामी भरी होगी। शायद उसने घरेलू फुटबॉल खेलकर अपने दमखम को जांच-परख लिया होगा। वैसे भी जब लियोनल मेस्सी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो जैसे दिग्गज बढ़ती उम्र के बावजूद गोलों की झड़ी लगा रहे हैं और अपने क्लब व देश की फुटबॉल को गौरवान्वित कर रहे हैं तो सुनील का फैसला भी गलत नहीं है। संभवतया वह इसी माह मालदीव और बांग्लादेश के खिलाफ खेलकर वापसी का जश्न माना सकता है।

   इसमें कोई दो राय नहीं है कि वह भारतीय फुटबॉल के उन बिरले खिलाड़ियों में से हैं, जिन्होंने देश की फुटबॉल में बड़ा योगदान दिया है। लेकिन उसकी वापसी भारत की फुटबॉल, फुटबॉल के कर्णधारों और खासकर फुटबॉल फेडरेशन पर जोरदार तमाचा है। सुनील इसलिए वापस लौट रहा है कि क्योंकि पिछले बीस सालों में भारतीय फुटबॉल उसके जैसा या उसके स्तर के आसपास का खिलाड़ी पैदा नहीं कर पाई है। उसके संन्यास के बाद आजमाए गए तमाम खिलाड़ी नाकाम रहे हैं।

कोच मैनोलो मार्कुएज भी मानते हैं कि सुनील आज भी नंबर 9 पर फिट और हिट है और देश के लिए खेल सकता है क्योंकि आज भी उसका कोई विकल्प नहीं है। पूर्व फुटबॉलरों के अनुसार, सुनील छेत्री की वापसी भारतीय फुटबॉल की दयनीय हालात को दर्शाती है। एशिया के फिसड्डी देशों से बचाने के लिए उसको वापस बुलाया जा रहा है। जाहिर है कि उसका विकल्प तैयार नहीं है। कुछ एक नाराज चैम्पियन तो यहां तक मांग कर रहे हैं कि जब तक कोचिंग सिस्टम नहीं सुधारा जाता और एक दमदार टीम तैयार नहीं हो जाती, भारतीय फुटबॉल के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व पर सरकार द्वारा रोक लगा देनी चाहिए। बेशक लानत ऐसी फुटबॉल पर! लात मारो ऐसी फुटबॉल को!

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