सांस्थानिक फुटबॉल: खिलाड़ियों को रोजगार दो,  ट्रॉफी जीत लो!

  • जिन विभागों ने खिलाड़ियों को नौकरी देने का सिलसिला बनाए रखा है, उनमें से कोई भी चैम्पियन बन सकता है
  • लीग यह संदेश लेकर आई है कि अच्छे खिलाड़ियों को नौकरी दें और देश की फुटबॉल के उत्थान में भी रोल अदा करें
  • भारतीय खाद्य निगम मुख्यालय, ईएसआईसी, दिल्ली सरकार, उत्तर रेलवे, दिल्ली ऑडिट, केंद्रीय सचिवालय, कस्टम एक्साइज, भारतीय खाद्य निगम उत्तर क्षेत्र क्वार्टर फाइनल में पहुंच चुकी हैं

राजेंद्र सजवान

डीएसए सांस्थानिक फुटबॉल लीग में चैम्पियन कोई भी बने लेकिन इतना तय है कि वही विभागीय टीमें अंतिम चार में दाखिल होंगी, जिनमें अनुभवी खिलाड़ियों के साथ-साथ युवाओं को भी मौका दिया जा रहा है। या यूं भी कह सकते हैं कि जिन विभागों ने खिलाड़ियों को नौकरी देने का सिलसिला बनाए रखा है, उनमें से कोई भी चैम्पियन बन सकता है।

 

  लीग मुकाबलों में ग्रुप ए से भारतीय खाद्य निगम मुख्यालय और ईएसआईसी, ग्रुप बी से दिल्ली सरकार और उत्तर रेलवे, ग्रुप सी से दिल्ली ऑडिट और केंद्रीय सचिवालय और ग्रुप डी से कस्टम एक्साइज और भारतीय खाद्य निगम उत्तर क्षेत्र ने अंतिम आठ का टिकट हासिल किया है। सभी तीन ग्रुप मैच जीतने वाली टीम दिल्ली सरकार और दिल्ली ऑडिट हैं जिनके पास कुछ युवा खिलाड़ी हैं और सीनियर खिलाड़ियों के साथ उनका तालमेल ठीक-ठाक रहा है। खाद्य निगम मुख्यालय और खाद्य निगम उत्तर क्षेत्र के अलावा कस्टम एंड एक्साइज की टीम भी खिताब के प्रबल दावेदारों में शामिल है। इन टीमों ने भी कोई मैच नहीं हारा। केंद्रीय सचिवालय, उत्तर रेलवे और ईएसआईसी कोई उलटफेर शायद ही कर पाएं।

 

  लीग की बेहद कमजोर टीमों की बात करें तो एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, शहरी विकास मंत्रालय, डीडीए और डीटीसी केवल खानापूरी करती नजर आईं। एआईआईएमएस, बैंक ऑफ इंडिया, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और आईपीजीसी की हालत भी दयनीय नजर आई। कुछ विभागीय टीमों की हालत इतनी खराब है कि उनके ज्यादातर खिलाड़ी दस कदम नहीं दौड़ सकते। कारण अधिकांश पचास से साठ की उम्र के बीच के हैं। डीडीए, डीटीसी, एयरपोर्ट अथॉरिटी, रिजर्व बैंक और शहरी विकास मंत्रालय का कभी नाम था लेकिन खिलाड़ियों की नौकरियां ठप्प पड़ी हैं।

 

  दिल्ली ऑडिट, कस्टम, खाद्य निगम, दिल्ली सरकार और रेलवे में थोड़े से खिलाड़ी भर्ती किए जा रहे है। लेकिन एक भी टीम ऐसी नहीं जिसमें युवा खिलाड़ियों की भरमार हो। ऐसे में किसी भी विभाग के चैम्पियन बनने का दावा नहीं की जा सकता। सही मायने में इस बार की सांस्थानिक लीग राजधानी की टीमों और उनके विभागों के लिए यह संदेश लेकर आई है कि अच्छे खिलाड़ियों को नौकरी दें और उनके भविष्य को संवारने के साथ-साथ देश की फुटबॉल के उत्थान में भी रोल अदा करें। यह ना भूलें कि कोई भी खेल तब तक तरक्की नहीं कर सकता जब तक उसके खिलाड़ी बेरोजगार और खाली पेट हैं। सरकारें और उसके विभाग यह भी जान लें कि फुटबॉल दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल है।

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