- भारत के लिए पेरिस खेलों का खास महत्व है, क्योंकि भारत 2036 ओलम्पिक खेलों के आयोजन का दावा पेश करना चाहता है और 2047 तक खेलों का सुपर पॉवर बनने का इरादा रखता है
- पेरिस ओलम्पिक में भारतीय खिलाड़ी 16 खेलों में भाग ले रहे हैं जबकि ओलम्पिक खेलों की संख्या 32 है। अर्थात् भारतीय भागीदारी मात्र आधे में ही है
- अब तक के नतीजों पर नजर डालें तैराकी और जिम्नास्टिक में भारत की भागीदारी कम अवसरों पर रही है। ऐसे में पदक की कल्पना भी निरर्थक है जबकि यह ना भूलें कि इनमें सर्वाधिक पदक दांव पर होते हैं
- भले ही देश की सरकार लाख दावे करे लेकिन सौ साल की ओलम्पिक यात्रा के दौरान मात्र दो व्यक्तिगत ओलम्पिक गोल्ड जीतने वाला, आधे-अधूरे ओलम्पिक में भाग लेने वाला और खोखले दावों पर जीने वाला देश खेल की ताकत कैसे बन पाएगा
- 1900 से 2020 तक के 19 ओलम्पिक खेलों में भारत के खाते 10 गोल्ड, नौ सिल्वर और 16 ब्रॉन्ज सहित कुल 35 पदक हैं जबकि इतने पदक अमेरिका, चीन और कुछ अन्य देश मात्र एक ओलम्पिक में जीत ले जाते हैं
राजेंद्र सजवान
पेरिस ओलम्पिक में अगर-मगर के आकलन के लिए कोई जगह नहीं बची है। अब सीधे-सीधे खेल होगा और जो खिलाड़ी या टीम बेहतर प्रदर्शन करेंगे, अपना श्रेष्ठ देंगे, वो पदक जीतेंगे और अपने देश में मान-सम्मान पाएंगे। जैसा कि बार-बार कहा जाता है कि भारत के लिए पेरिस खेलों का खास महत्व है, क्योंकि भारत 2036 ओलम्पिक खेलों के आयोजन का दावा पेश करना चाहता है और 2047 तक खेलों का सुपर पॉवर बनने का इरादा रखता है।
पेरिस ओलम्पिक में भारतीय खिलाड़ी 16 खेलों में भाग ले रहे हैं जबकि ओलम्पिक खेलों की संख्या 32 है। अर्थात् भारतीय भागीदारी मात्र आधे में ही है। अब तक के नतीजों पर नजर डालें तैराकी और जिम्नास्टिक में भारत की भागीदारी कम अवसरों पर रही है। ऐसे में पदक की कल्पना भी निरर्थक है। एथलेटिक्स में नीरज चोपड़ा का गोल्ड एकमात्र उपलब्धि है। कुछ खेलों पर सरसरी नजर डालें तो तीरंदाजी, घुड़सवारी, गोल्फ, जूडो, नौकायन, सेलिंग, टेबल टेनिस जैसे खेलों में भारतीय खिलाड़ी कोई पदक नहीं जीत पाए हैं। यह ना भूलें कि तैराकी, जिम्नास्टिक ऐसे खेल हैं, जिनमें सर्वाधिक पदक दांव पर होते हैं। इन खेलों में हमारे खिलाड़ी इतने पिछड़े हैं कि आने वाले कई सालों तक पदक जीतने के ज्यादा अवसर नजर नहीं आते हैं।
भले ही देश की सरकार, खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण लाख दावे करे और खेलों में बड़ी ताकत बनने की हुंकार भरे लेकिन सौ साल की ओलम्पिक भागीदारी के दौरान मात्र दो व्यक्तिगत ओलम्पिक गोल्ड जीतने वाला, आधे-अधूरे ओलम्पिक में भाग लेने वाला और खोखले दावों पर जीने वाला देश खेल की ताकत कैसे बन पाएगा? बेशक, पेरिस ओलम्पिक के परिणाम और खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर बहुत कुछ निर्भर करता है।
जहां तक कुल जीते गए पदकों की बात है तो 1900 से 2020 तक के 19 ओलम्पिक खेलों में भारत के खाते 10 गोल्ड, नौ सिल्वर और 16 ब्रॉन्ज सहित कुल 35 पदक हैं। इतने पदक अमेरिका, चीन और कुछ अन्य देश मात्र एक ओलम्पिक में जीत ले जाते हैं। यदि आजादी पूर्व तीन हॉकी स्वर्ण को एक तरफ कर दें तो यह प्रदर्शन दयनीय कहा जाएगा। अर्थात् भारत को खेलों में सुपर पॉवर बनने के लिए पेरिस 2024 में कुछ अनोखा और श्रेष्ठतम कर दिखाना होगा। लेकिन क्या हमारे खिलाड़ी ऐसा कर पाएंगे?