वी.के. पाहुजा स्टैटिसटिकल बुलेटिन का 44वां संस्करण जारी

  • मुख्य अतिथि एयर कोमोडोर (रि.) अश्मिंदर सिंह बहल ने अन्य गणमान्य अतिथियों की मौजूगी में भारतीय तैराकी की इनसाइक्लोपीडिया के ताजा संस्करण का अनावरण किया
  • पूर्व रोइंग खिलाड़ी और अर्जुन अवार्डी कर्नल (रि.) आर.एस. भानवाला, एसएफआई के उपाध्यक्ष राजकुमार, एसएफआई के पूर्व उपाध्यक्ष बलराज शर्मा, पूर्व अंतर्राष्ट्रीय तैराक व अर्जुन अवार्ड भानू सचदेवा, और वरिष्ठ खेल पत्रकार राकेश थपलियाल ने वी.के. पाहुजा स्टैटिसटिकल बुलेटिन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपने विचार रखे
  • वी.के. पाहुजा स्टैटिसटिकल बुलेटिन का पहला संस्करण 23 जून 1981 का निकाला था

संवाददाता

नई दिल्ली। भारत में स्विमिंग स्टैटिसटिक्स के जनक कहलाने वाले विरेंद्र कुमार पाहुजा को 23, जून 2024, रविवार की दोपहर उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए याद किया गया। मौका था राजधानी दिल्ली में वी.के. पाहुजा स्टैटिसटिकल बुलेटिन के 44वें संस्करण के विमोचन का, जो कि चार दशक से ज्यादा समय से निर्बाध छप रही है। इस मौके पर मौजूद मुख्य अतिथि एयर कोमोडोर (रि.) अश्मिंदर सिंह बहल ने अन्य गणमान्य अतिथियों की मौजूगी में भारतीय तैराकी की इनसाइक्लोपीडिया के ताजा संस्करण का अनावरण किया। उनके साथ मंच पर मौजूद पूर्व रोइंग खिलाड़ी और अर्जुन अवार्डी कर्नल (रि.) आर.एस. भानवाला, भारतीय तैराकी महासंघ (एसएफआई) के उपाध्यक्ष राजकुमार, एसएफआई के पूर्व उपाध्यक्ष बलराज शर्मा, पूर्व अंतर्राष्ट्रीय तैराक व अर्जुन अवार्ड भानू सचदेवा, और वरिष्ठ खेल पत्रकार राकेश थपलियाल ने वी.के. पाहुजा स्टैटिसटिकल बुलेटिन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अपने विचार रखे।

   इस मौके पर बुलेटिन की पहली प्रति भारत के वरिष्ठतम गोताखोर अधिकारी पी.डी. दत्ता को भेंट की गई। इस अवसर पर दिल्ली के श्यामा प्रसाद मुखर्जी (एसपीएम) स्विमिंग पूल में चलने वाली साई-ग्लेनमार्क अकादमी के मुख्य कोच पार्थ प्रतिम मजूमदार और सहायक कोच नितिन के साथ भारत के विभिन्न राज्यों के छह शीर्ष तैराकों को सम्मानित किया गया। सम्मानित किए गए तैराकों में आर्यन वर्नाकर, लकी अली, रौनक, सुवर्णशिनी प्रियदर्शनी, धृति अहरवाल और तितिक्षा रावत शामिल थे। ये छह तैराक वर्तमान में दिल्ली के एसपीएम स्विमिंग पूल में चलने वाली साई-ग्लेनमार्क अकादमी में प्रशिक्षण ले रहे हैं।

   एयर कमोडोर (डॉ.) अश्मिंदर सिंह बहल ने खेलों के माध्यम से चरित्र निर्माण पर जोर दिया और स्वास्थ्य के लिए तैराकी को एक खेल के रूप में सराहा। एसएफआई के पूर्व उपाध्यक्ष बलराज शर्मा ने पाहुजा साहब और खेल के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा को याद किया और बताया कि कैसे सभी लोग नए संस्करण का बेसब्री से इंतजार करते थे ताकि सभी भारतीय तैराकी के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य पर सभी अपडेट से अवगत हो सकें। फेडरेशन के वर्तमान उपाध्यक्ष राजकुमार और दोनों अर्जुन पुरस्कार विजेताओं कर्नल (रि.) आर.एस. भानवाला और भानु सचदेवा ने इस अनूठी तैराकी बुलेटिन के महत्व और उपयोगिता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि बुलेटिन में दिए गए समय से तैराकों/कोचों को अपने लिए निर्धारित बेंचमार्क को लक्षित करने में मदद मिलेगी। यह उन्हें उपलब्धि के अगले स्तर की योजना बनाने के साथ-साथ अपने सपनों को हासिल करने में मदद करेगा। मंच पर मौजूद सभी अतिथियों ने डॉ. मीनाक्षी पाहुजा की कड़ी मेहनत, खेल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और अमूल्य साहित्य को जीवित रखने के लिए उनकी सराहना की।

   आज के कार्यक्रम में खेल पत्रकार समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हुए राकेश थपलियाल ने बताया कि कैसे पाहुजा साहब अपने लम्ब्रेटा स्कूटर पर प्रेस विज्ञप्ति देने आते थे और पत्रकारों से तैराकी और तैराकों को बढ़ावा देने के लिए अनुरोध करते थे। उन्होंने आगे बताया कि कैसे खेल पत्रकार तैराकी सांख्यिकी बुलेटिन के नए संस्करण का बेसब्री से इंतजार करते थे। इस दौरान देश के कई जाने-माने कोच, युवा तैराक और उनके माता-पिता मौजूद थे और वी.के. पाहुजा के तीनों बच्चों, प्रियांक पाहुजा (पुत्र), डॉ. सुप्रिया पाहुजा और डॉ. मीनाक्षी पाहुजा (पुत्रियां) के लिए यह बुलेटिन खेल के प्रति प्रेम, जुनून, प्रतिबद्धता और निस्वार्थ सेवा का परिणाम है।

   वी.के. पाहुजा स्टैटिसटिकल बुलेटिन भारतीय फेडरेशन, राज्य एसोसिएशनों, अधिकारियों, कोचों, खिलाड़ियों और पत्रकारों के लिए एक ग्रंथ की तरह है, जो कि भारत में एक्वेटिक्स खेलों (तैराकी, डाइविंग और वाटर पोलो) के बारे में बेहद जरूरी जानकारियां देती है, खासतौर पर आंकड़ों की नजर से। राष्ट्रीय पदक धारक, अंतरराष्ट्रीय वाटर पोलो खिलाड़ी, फिना अंतर्राष्ट्रीय वाटर पोलो रेफरी, शिक्षक और पूर्व कोच विरेंद्र कुमार पाहुजा ने भारत में एक्वेटिक्स खेलों के आंकड़ों को व्यवस्थित करने के इरादे के साथ वी.के. पाहुजा स्टैटिसटिकल बुलेटिन का पहला संस्करण 23 जून 1981 को निकाला, जिसकी प्रेरणा उन्हें अपने मित्र स्वर्गीय संजय गांधी के सुझाव के बाद मिली लेकिन जब तक पहला संस्करण निकलता उससे पहले 1980 में संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। लिहाजा, तत्कालीन सांसद अरुण नेहरू ने पहले संस्करण को जारी किया। उन्होंने बिना थके हर साल इस बुलेटिन को प्रकाशित करने का सिलसिला 35 संस्करणों तक जारी रखा। 19 अक्टूबर 2015 को उनकी देहांत के बाद यह इस बुलेटिन को आगे बढ़ाने का जिम्मा उनकी बेटियों डॉ. सुप्रिया पहुजा (राष्ट्रीय पदक धारक, तैराकी कोच) , डॉ. मीनाक्षी पाहुजा (पूर्व तैराक व लेडी श्रीराम में (फिजीकल एजुकेशन) एसोसिएट प्रोफेसर) और बेटे प्रियांक पाहुजा (राष्ट्रीय पदक धारक, तैराकी कोच) ने संभाला।

   इस बार के बुलेटिन में भारतीय तैराक आदित्य जितेन्द्र देसाई, वाटर पोलो खिलाड़ी भागेश जगदीश कुठे, ट्रायथलीट लाईखुराम बिजनकुमार सिंह और तेलहेबा सोरम, आयरनमैन सैखोम बिश्वोरजीत सिंह और लाईखुराम बिटेन सिंह तथा उभरते तैराक आयुषी कैलाश अखाड़े और श्लोक राहुल पांडव का विशेष साक्षात्कार है। दो प्रमुख भारतीय प्रशिक्षकों श्री नीलकंठ तुकारामखाड़े और प्रशांत करमाकर के विशेष साक्षात्कार भी प्रकाशित किए गए हैं।

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