फुटबॉल दिल्ली: अंत बुरा तो सब बुरा!

  • ‘ए’ डिवीजन लीग के अंतिम मारपीट, लात-घूंसे चले, गाली-गलौच इतनी हुई, कि डीएसए उसकी आयोजन समिति, पदाधिकारियों, खिलाड़ियों और फुटबॉल प्रेमियों को तौबा करनी पड़ी
  • एमिटी के कोच हंसराज ने मैच रेफरी लक्ष्य के फैसलों पर बार-बार टीका टिप्पणी की और उसे भद्दी गालियां दी गईं
  • जब खिताबी जीत का जश्न मनाने वाले नोएडा सिटी के खिलाड़ियों पर एमिटी के समर्थकों की भीड़ ने हल्ला बोल दिया और उन्हें बीच मैदान दौड़ा-दौड़ा कर पीटा
  • डीएसए के वरिष्ठ पदाधिकारी हेमचंद के साथ भी बदसलूकी की गई नतीजन पुलिस को बुलाना पड़ा
  • इसी तरह का कांड 19 जून को सामने आया था, जब नोएडा सिटी एफसी और नॉर्दन यूनाइटेड एफसी के खिलाड़ियों के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई, लात-घूंसे चले और गाली-गलौज हुई थी
  • सवाल यह पैदा होता है कि डीएसए कब कोई ठोस निर्णय लेगी?

राजेंद्र सजवान

अगर ‘अंत भला सब भला’ होता है तो ‘अंत बुरा सब बुरा’, क्यों नहीं हो सकता? इसी कहावत में दिल्ली सॉकर एसोसिएशन (डीएसए) की ‘ए’ डिवीजन लीग को परखा जाए, तो 22 टीमों के लीग मुकाबलों और तत्पश्चात सुपर सिक्स राउंड के मैच ठीक-ठाक आयोजित किए गए। बस अंतिम दिन के मैच को एक तरफ कर दें तो सबकुछ ठीक-ठाक रहा लेकिन अंत इतना बुरा था कि डीएसए उसकी आयोजन समिति, पदाधिकारियों, खिलाड़ियों और फुटबॉल प्रेमियों को तौबा करनी पड़ी। मारपीट हुई, लात-घूंसे चले, गाली-गलौच हुई, सब कुछ फ्री फॉर ऑल हुआ। इस तरह का कांड 19 जून को सामने आया था, जब नोएडा सिटी एफसी और नॉर्दन यूनाइटेड एफसी के खिलाड़ियों के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई, लात-घूंसे चले और गाली-गलौज हुई थी।

   बहरहाल, गुरुवार शाम को लीग का अंतिम मैच एमिटी इंडियन नेशनल फुटबॉल क्लब और हॉप्स फुटबॉल क्लब के बीच खेला गया। एमिटी को हर हाल में जीतने की जरूरत थी वर्ना नोएडा सिटी एफसी का खिताब जीतना तय था। लेकिन एमिटी लाख जतन करने के बावजूद मुकाबला 2-4 से हार गई। ऐसी हार जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। जिस हॉप्स को एमिटी ने लीग मुकाबले में आसानी से हराया था। सुपर सिक्स लीग के अति महत्वपूर्ण मैच में उसने एमिटी को बुरी तरह से रगड़ दिया। इस प्रकार 12 अंक अर्जित करने वाली नोएडा सिटी एफसी चैम्पियन बनी और एमिटी को शर्मसार होना पड़ा।

   बेशक, हार-जीत खेल का हिस्सा है लेकिन एमिटी के कोच हंसराज ने मैच रेफरी लक्ष्य के फैसलों पर बार-बार टीका टिप्पणी की। उसे भद्दी गालियां दी गईं। एमिटी के समर्थक भी रेफरी और लाइंसमैन पर भड़कते देखे गए। अंतत: उस वक्त हद हो गई जब खिताबी जीत का जश्न मनाने वाले नोएडा सिटी के खिलाड़ियों पर एमिटी के समर्थकों की भीड़ ने हल्ला बोल दिया और उन्हें बीच मैदान दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इतना ही नहीं डीएसए के वरिष्ठ पदाधिकारी हेमचंद के साथ भी बदसलूकी की गई। नतीजन पुलिस को बुलाया गया।

   उल्लेखनीय है कि 19 जून को खेले गए एक लीग मुकाबले के दौरान नोएडा सिटी एफसी और नॉर्दन यूनाइटेड एफसी के बीच जमकर उत्पात मचा था। धक्का-मुक्की हुई, लात-घूंसे चले और गाली-गलौज हुई थी। 27वें मिनट में ऐसा घमासान शुरू हुआ था, जिसकी पहले से ही आशंका थी। दो खिलाड़ियों के बीच हल्की धक्का-मुक्की हुई, जिसमें दो-चार और फिर सभी खिलाड़ी शामिल हो गए। लात-घूंसे चले और खेल का मैदान फ्री फॉर ऑल हो गया। रेफरी फजल, लाइंसमैन मोहम्मद अंसारी एवं कुलदीप तड़ियाल और फोर्थ ऑफिसियल लक्ष्य ने मार-पीट को रोकने का भरसक प्रयास किया लेकिन खिलाड़ी रोके नहीं रुक पा रहे थे। रेफरी मोहम्मद फैजल को रेड व येलो कार्डों दिखाने पड़े, जिस कारण नॉर्दन यूनाइटेड के दो और नोएडा सिटी के एक खिलाड़ी को मैदान छोड़ना पड़ा था। नॉर्दन यूनाइटेड के मैनेजर गौरव कक्कड़ भी रेफरी के गुस्से का शिकार बने और उन्हें भी बेंच छोड़ना पड़ा। मैच के बाद पराजित टीम नॉर्दन यूनाइटेड के मैनेजर गौरव कक्कड़ और क्लब अध्यक्ष नीतू कक्कड़ ने आयोजन समिति को पत्र लिखकर टीम की हार के लिए रेफरी और फोर्थ ऑफिसियल को जिम्मेदार ठहराते हुए अपना विरोध दर्ज कराया है, जिसमें यह मांग की गई है कि रेफरियों की इस टीम को फिर कभी कोई मैच न दिया जाए।

   बेशक, रेफरी के फैसलों पर उंगली उठी। उसके कुछ निर्णय हैरान करने वाले थे। यह भी दिखाई-सुनाई पड़ा कि कुछ रेफरी फुटबॉल माफिया के इशारों पर काम कर रहे हैं। ठीक वैसे ही जैसे कि डीएसए के कुछ क्लबों को शक की नजर से देखा जा रहा है। लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि डीएसए कब कोई ठोस निर्णय लेगी? क्या डीएसए की अंतर कलह दिल्ली की फुटबॉल को बर्बाद कर रही है?

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