…तो फिर कोई क्यों ओलम्पियन बनना चाहेगा?

  • विश्व विजेता क्रिकेटरों की प्रधानमंत्री द्वारा आवभगत, विक्ट्री परेड और वानखेड़े स्टेडियम में सम्मान मिलना उनकी लोकप्रियता को तो दर्शाता है और साथ ही यह भी पता चलता है कि कैसे एक बड़ी कामयाबी किसी क्रिकेटर को आम से खास बना देती है
  • क्रिकेट ने जब-जब बड़ी सफलता पाई है, वर्ल्ड कप और अन्य खिताब जीते पूरे देश ने उन्हें सर आंखों बैठाया तो औद्योगिक घरानों, बड़ी कंपनियों और क्रिकेट उद्योग ने उन पर लाखों करोड़ों की बारिश की है
  • बाकी खेल, जिन्हें ओलम्पिक खेल भी कहा जा सकता है यदा-कदा ही बड़े मान सम्मान और लाखों-करोड़ों के हकदार बन पाते हैं
  • खेल जानकारों, विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं की माने तो भारतीय युवा अन्य खेलों में इसलिए कामयाब नहीं हो पा रहे, क्योंकि प्रतिभावान, फिट और योग्य खिलाड़ी क्रिकेट को पहली प्राथमिकता मानते हैं
  • कई युवा सोचते होंगे कि काश वे भी क्रिकेट खेलते और खूब सारा पैसा व शौहरत कमाते

राजेंद्र सजवान

अकसर जब भारतीय क्रिकेट में जोरदार धमाका होता है, कोई खिलाड़ी बड़ा रिकॉर्ड बनाता है या भारतीय टीम कोई विश्व स्तरीय खिताब जीत जाती है, तो पूरा देश कई दिनों, हफ्तों और महीनों तक क्रिकेट की उपलब्धियों के रसपान में मदहोश रहता है। टी-20 वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम का मान-सम्मान और खिलाड़ियों एवं सपोर्ट स्टाफ को मिलने वाले पारिश्रमिक को देखते हुए अन्य खेलों से जुड़े खिलाड़ियों में से कुछ एक का दिल जरूर धड़का होगा। कई एक ने सोचा होगा कि काश वे भी क्रिकेट खेलते और खूब सारा पैसा व शौहरत कमाते।

   विश्व विजेता क्रिकेटरों की प्रधानमंत्री द्वारा आवभगत, विक्ट्री परेड और वानखेड़े स्टेडियम में सम्मान मिलना उनकी लोकप्रियता को तो दर्शाता है साथ ही यह भी पता चलता है कि कैसे एक बड़ी कामयाबी किसी क्रिकेटर को आम से खास बना देती है। क्रिकेट ने जब-जब बड़ी सफलता पाई है, वर्ल्ड कप और अन्य खिताब जीते पूरे देश ने उन्हें सर आंखों बैठाया तो औद्योगिक घरानों, बड़ी कंपनियों और क्रिकेट उद्योग ने उन पर लाखों करोड़ों की बारिश की है। दूसरी तरफ बाकी खेल, जिन्हें ओलम्पिक खेल भी कहा जा सकता है यदा-कदा ही बड़े मान सम्मान और लाखों-करोड़ों के हकदार बन पाते हैं। ऐसा इसलिए है कि क्योंकि बाकी खेलों में हमारे खिलाड़ी बड़ी संख्या में कामयाब नहीं हो पाते हैं। जहां तक सफल खिलाड़ियों की बात है तो उनको उंगलियों पर गिना जा सकता है।

   खेल जानकारों, विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं की माने तो भारतीय युवा अन्य खेलों में इसलिए कामयाब नहीं हो पा रहे, क्योंकि प्रतिभावान, फिट और योग्य खिलाड़ी क्रिकेट को पहली प्राथमिकता मानते हैं। खुद एक नामी क्रिकेटर के अनुसार जब कोई खिलाड़ी ओलम्पिक पदक जीत जाता है या अन्य कोई बड़ी उपलब्धि पाता है तो उसे सरकारी खजाने में से दो-चार करोड़ रुपये मिलते हैं। कुछ स्पॉन्सर उसे इतनी ही रकम देते हैं लेकिन सिर्फ आईपीएल और अन्य विदेशी लीग खेलने पर एक क्रिकेट 10-20 करोड़ सालाना कमा लेता है। तो फिर युवा क्रिकेट की तरफ क्यों नहीं भागेगा। एक अन्य नामी क्रिकेटर कहता है कि उन्हें बॉलीवुड सितारों जैसा सम्मान और धन वैभव मिलता है। तो आने वाली पीढ़ी को क्रिकेट खेलने से कैसे रोक सकते हैं।

   भले ही चार साल बाद क्रिकेट भी ओलम्पिक खेल बनने जा रहा है। लेकिन फिलहाल क्रिकेट की बादशाहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला!

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