52 साल क्यों लगे?

  • भारतीय हॉकी टीम ने उप-विजेता एवं खतरनाक मानी जाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम को 3-2 से पीटकर सनसनी मचा दी
  • इस जीत ने भारतीय हॉकी को सत्तर के दशक की याद दिला दी जब भारत ने 1972 के म्यूनिख ओलम्पिक में ऑस्ट्रेलिया को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया था
  • पेरिस ओलम्पिक में भारत ने जैसे ही कंगारुओं पर जीत दर्ज की, भारतीय मीडिया, हॉकी प्रेमी और हॉकी जानकार ऐसा व्यवहार करने लगे जैसे कि भारत ने ओलम्पिक गोल्ड जीत लिया हो
  • बहुत से लोगों को यह खबर अटपटी सी लगी और उन्होंने पूछा, पांच दशकों तक भारतीय हॉकी कहां थी?
  • कुछ हॉकी प्रेमी यह भी पूछते हैं कि ऑस्ट्रेलिया को हराने में इतने साल क्यों लग गए

राजेंद्र सजवान

दो दिन पहले तक जिस भारतीय हॉकी टीम को देश के हॉकी प्रेमी बुरा भला कह रहे थे और जिसके खिलाड़ियों को चुका हुआ और सुस्त करार दिया जा रहा था। उसने अचानक करवट बदली और पहले ओलम्पिक चैम्पियन बेल्जियम से संघर्ष करवा दिया और फिर उपविजेता एवं खतरनाक मानी जाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम को 3-2 से पीटकर सनसनी मचा दी। इस जीत ने भारतीय हॉकी को सत्तर के दशक की याद दिला दी जब भारत ने 1972 के म्यूनिख ओलम्पिक में ऑस्ट्रेलिया को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया था। तत्पश्चात् 52 सालों तक भारतीय हॉकी टीम ऑस्ट्रेलिया को ओलम्पिक में हरा नहीं पाई।

   अंतत: पेरिस ओलम्पिक में भारत ने जैसे ही कंगारुओं पर जीत दर्ज की, भारतीय मीडिया, हॉकी प्रेमी और हॉकी जानकार ऐसा व्यवहार करने लगे जैसे कि भारत ने ओलम्पिक गोल्ड जीत लिया हो। देशभर के समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में खिलाड़ियों का स्तुतिगान शुरू हो गया। देश के बड़े-छोटे समाचार पत्र-पत्रिकाओं में खबर छपी, ‘भारत ने 52 सालों के बाद ऑस्ट्रेलिया को हराया।’

   बहुत से लोगों को यह खबर अटपटी सी लगी। कुछ एक ने पूछा, पांच दशकों तक भारतीय हॉकी कहां थी? कुछ हॉकी प्रेमी यह भी पूछते हैं कि ऑस्ट्रेलिया को हराने में इतने साल क्यों लग गए। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत कभी हॉकी में बड़ी ताकत था लेकिन जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड आदि देशों की ऊंची छलांग के कारण भारत और पाकिस्तान की हॉकी पिछड़ती चली गई। खासकर, जब से ऑस्ट्रेलिया बड़ी ताकत बनकर उभरा है भारत हमेशा दबाव में रहा। 1976 के ओलम्पिक में ऑस्ट्रेलिया 6-1 से विजेता रहा। तो कॉमनवेल्थ गेम्स और अन्य आयोजनों में कंगारुओं ने भारतीय हॉकी को बुरी तरह सताया, रुलाया और गोल जमाए। एक-दो मुकाबले सात-आठ गोल के अंतर से जीतने वाले ऑस्ट्रेलिया को अंतत: भारत ने पटखनी दे डाली है।  

  भले ही कुछ लोग 52 सालों बाद मिली जीत पर खुशी मना रहे हैं और अपनी हॉकी का स्तुतिगान कर रहे हैं। आठ ओलम्पिक फतह करने वाली टीम को यदि सालों के इंतजार के बाद जीत नसीब हुई है तो कुछ एक दिन और इंतजार करने की जरूरत है। अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर नजर रखें और भारतीय हॉकी को पोडियम पर देखने के बाद ही कोई राय बनाए।

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