June 16, 2025

sajwansports

sajwansports पर पड़े latest sports news, India vs England test series news, local sports and special featured clean bold article.

यही खेलों का सच है!

  • विजय गोयल और उमा भारती की तरह अजय माकन जैसे खेल मंत्रियों को उनकी सरकारों ने खुलकर काम नहीं करने दिया
  • खेल महासंघों की गुंडई, दादागिरी और चौधराहट के आगे उपरोक्त खेल मंत्रियों की सारी खेल उत्थान की योजनाएं धरी की धरी रह गईं
  • इस समय आईओए में जो घमासान चल रहा है, उसकी स्क्रिप्ट खेल महासंघों के असरदार लोगों द्वारा तैयार की गई है और उन पर अंकुश लगाना किसी सरकार के बूते की बात फिलहाल नजर नहीं आती

राजेंद्र सजवान

आदरणीय विजय गोयल जी ने जब देश के खेलमंत्री का पदभार संभाला तो उन्होंने सबसे पहले देश की प्रमुख खेल हस्तियों, चैम्पियन खिलाड़ियों और खेल पत्रकारों से संवाद करने की इच्छा जाहिर की और शास्त्री भवन में अपने कार्यालय में बकायदा उनके साथ समय बिताया और देश के खेलों पर लंबी चर्चा भी की। संयोग से विश्व विजेता हॉकी टीम के कप्तान सरदार अजीतपाल सिंह और वरिष्ठ खेल पत्रकार आदरणीय उन्नी कृष्णन जी के साथ मुझे भी वार्तालाप में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। खेल मंत्री जी ने देश में खेलों के गले सड़े ढांचे में सुधार के उपाय जानने चाहे और साथ ही यह भी पूछा कि कैसे कोई किसी राष्ट्रीय खेल महासंघ का अध्यक्ष बन सकता है।

 

  अजीतपाल जी और उन्नी सर ने उन्हें अपने अनुभवों के आधार पर देश में खेलों की वस्तुस्थिति के बारे में काफी कुछ स्पष्ट किया। लेकिन जब मुझसे पूछा कि किसी खेल महासंघ या संगठन का अध्यक्ष कैसे बना जा सकता है, तो मुंह से अनायास ही निकल गया, “कोई भगवान को प्यारा होगा तब दूसरे का नंबर आएगा।” यह सुनकर मंत्री जीत कुछ नाराज हुए तो अजीतपाल बोले, “सर यही इस देश के खेलों का सच हैं।”    कुछ इसी प्रकार का एक वाकया उस वक्त का है, जब भारतीय महिला हॉकी टीम ने कॉमनवेल्थ गेम्स का स्वर्ण पदक जीता था। खेल मंत्री उमा भारती ने बकायदा एक सम्मान समारोह में तमाम खिलाड़ियों को सम्मानित करने की घोषणा की और अपना वादा पूरा किया। लेकिन कुछ दिनों बाद खेल महासंघों के पदाधिकारी उनकी दरियादिली को टेढ़ी नजर से देखने लगे थे।

कुछ इसी प्रकार के हालात का सामना एक और लोकप्रिय खेल मंत्री अजय माकन को भी करना पड़ा। उनके पास देश के खेलों को नई दिशा देने और खेल बिल को खेल हित में ढालने की अनेकों योजनाएं थीं। लेकिन विजय गोयल और उमा भारती की तरह उन्हें भी या तो उनकी सरकारों ने खुलकर काम नहीं करने दिया या फिर खेल महासंघों की गुंडई, दादागिरी और चौधराहट के आगे सारी खेल उत्थान की योजनाएं धरी की धरी रह गईं। जी हां, भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) में जो घमासान चल रहा है, उसकी स्क्रिप्ट खेल महासंघों के असरदार लोगों द्वारा तैयार की गई है। उन पर अंकुश लगाना किसी सरकार के बूते की बात फिलहाल नजर नहीं आती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *