राजेंद्र सजवान
भारतीय फुटबॉल किस हाल में है, कहां खड़ी है और सुधार के लिए क्या कुछ किया जाना चाहिए? इन सब मुद्दों को लेकर ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (एआईएफएफ) ने फुटबॉल हाउस में एक बैठक का आयोजन किया, जिसमें तकनीकी समिति की राय जानी गई। इस बैठक को पूर्व अंतरराष्ट्रीय फुटबॉलर आईएम विजयन ने चेयर किया। एआईएफएफ अध्यक्ष कल्याण चौबे, कोषाध्यक्ष किपा अजय और महासचिव अनिल कुमार मौजूद थे। हालांकि वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक में फुटबॉल सुधार का वही पुराना राग अलापा गया लेकिन देश के फुटबॉल प्रेमी, पूर्व खिलाड़ी, कोच और विशेषज्ञ क्या सोचते हैं उनकी प्रतिक्रिया से रू-ब-रू कराते हैं और जानते हैं कि भारतीय फुटबॉल के बारे में उसके अपने क्या कहते हैं।
बिहार के राहुल सिंह बताते हैं कि उनके राज्य में फुटबॉल भ्रष्टाचार सबसे ज्यादा है और जब तक भ्रष्ट पदाधिकारियों को धक्के मार कर बाहर नहीं किया जाता सुधार नहीं हो सकता है। कोलकाता के गौतम दास को लगता है कि ग्रासरूट फुटबॉल को सुधारने से पहले शीर्ष अधिकारियों को खुद सुधरना होगा। निर्वान शाह ने फेडरेशन की कमेटी पर सवालिया निशान लगाते हुए पूछा है कि अच्छे खिलाड़ी होने का मतलब नहीं कि वह बेहतर प्रबंधन कर पाएगा। अशोक राय चौधरी, जय कुमार, अनूप दामोदरन की राय में फेडरेशन अपने कोचों की अनदेखी कर रहा है तो मनोज कुमार हंसदा का मानना है कि विदेशी खिलाड़ियों को बढ़ावा देना गलत है। आईएसएल में अपने खिलाड़ियों की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए l विदेशी उन पर भारी पड़ रहे हैं।
बंगाल के सुदिप्तो घोष के अनुसार, विदेशी अकादमियों को आमंत्रित किया जाए और उनकी तकनीक से सीखा जाए। विली विली को लगता है कि बैठकें करने और समोसे खाने से फुटबॉल नहीं सुधरेगी। सुभेंदु चटर्जी और अर्जुन थेवाली पारबिल के अनुसार बैठकों से समय बर्बाद होगा। पब्लिक का पैसा लुटाया जा रहा है। देबासिस बेरा का आरोप है कि बैठक में कल्याण चौबे के जी हुजूर आते हैं। ऐसे फुटबॉल नहीं सुधरेगी।
कोलकाता के कौशिक राय चक्रवर्ती ने तो कल्याण चौबे को पद से हटाने को हल बता दिया तो समित धर कह रहे हैं कि भारत जल्दी ही 140वें स्थान पर पहुंचने वाला है। आपकी क्या राय है?